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कई अधिकारी बदले लेकिन नहीं बदला इस स्वास्थ्य केन्द्र का हाल - स्वास्थ्य केन्द्र

हम बात कर रहे हैं जिले के सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की, जहां सरकारी मापदंडों के आधार पर मरीजों का इलाज नहीं किया जाता है.

स्वास्थ्य केन्द्र
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Published : Mar 28, 2019, 3:00 AM IST

Updated : Mar 28, 2019, 1:31 PM IST

सरगुजा : कई कलेक्टर बदल गए, कई अधिकारियों का तबादला हो गया, यहां तक अब तो सरकार भी बदल गई लेकिन इस स्वास्थ्य केन्द्र की हालत में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यहां की अव्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं. यहां अस्पताल से ज्यादा भीड़ डॉक्टरों के सरकारी क्वार्टरों में दिखाई देती है.

वीडियो

हम बात कर रहे हैं जिले के सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की, जहां सरकारी मापदंडों के आधार पर मरीजों का इलाज नहीं किया जाता है.

सो रहा प्रबंधन
एक औषधि केन्द्र है, जो महीने में गिनती के 2 दिन खुलता है. पीने के पानी के लिए लगाया वाटर ATM काफी महीनों से धूल खा रहा है. लेकिन प्रबंधन को कोई सुध नहीं है.

डॉक्टर्स ही नहीं करते नियमों का पालन
अस्पलात का प्रबंधन उदासीन बना हुआ है. यहां के डॉक्टर्स खुद नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर देते हैं. सरकारी दवाईयों का स्टॉक खत्म ही रहता है. मरीज बाहर से दवाई खरीदने को मजबूर रहते हैं. वहीं जब बंद पड़े जन औषधि केन्द्र के बारे में पूछताछ की जाती है तब उसे कुछ समय के लिए खोल दिया जाता है.

फोन लगाने के बाद पहुंचता है स्टाफ
अस्पताल प्रबंधन इतना लापरवाह है कि स्टाफ कभी मौके पर मौजूद नहीं रहता है. यहां इलाज के लिए आए मरीजों को भटकना पड़ता है. फोन लगा कर बुलाने के बाद ही कर्मचारी हॉस्पिटल पहुंचते हैं. इस अस्पताल में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त तो है किंतु आज भी यह अस्पताल में इलाज की उचित व्यवस्था नहीं है.

क्या कहते हैं अधिकारी?
सरगुजा के सी.एम.एच.ओ सिसोदिया से भी बात की गई तो उन्होंने समस्याओं के जल्द समाधान का आश्वासन दिया है. अब देखना यह होगा कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था कब तक सुधर पाती है.

सरगुजा : कई कलेक्टर बदल गए, कई अधिकारियों का तबादला हो गया, यहां तक अब तो सरकार भी बदल गई लेकिन इस स्वास्थ्य केन्द्र की हालत में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यहां की अव्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं. यहां अस्पताल से ज्यादा भीड़ डॉक्टरों के सरकारी क्वार्टरों में दिखाई देती है.

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हम बात कर रहे हैं जिले के सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की, जहां सरकारी मापदंडों के आधार पर मरीजों का इलाज नहीं किया जाता है.

सो रहा प्रबंधन
एक औषधि केन्द्र है, जो महीने में गिनती के 2 दिन खुलता है. पीने के पानी के लिए लगाया वाटर ATM काफी महीनों से धूल खा रहा है. लेकिन प्रबंधन को कोई सुध नहीं है.

डॉक्टर्स ही नहीं करते नियमों का पालन
अस्पलात का प्रबंधन उदासीन बना हुआ है. यहां के डॉक्टर्स खुद नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर देते हैं. सरकारी दवाईयों का स्टॉक खत्म ही रहता है. मरीज बाहर से दवाई खरीदने को मजबूर रहते हैं. वहीं जब बंद पड़े जन औषधि केन्द्र के बारे में पूछताछ की जाती है तब उसे कुछ समय के लिए खोल दिया जाता है.

फोन लगाने के बाद पहुंचता है स्टाफ
अस्पताल प्रबंधन इतना लापरवाह है कि स्टाफ कभी मौके पर मौजूद नहीं रहता है. यहां इलाज के लिए आए मरीजों को भटकना पड़ता है. फोन लगा कर बुलाने के बाद ही कर्मचारी हॉस्पिटल पहुंचते हैं. इस अस्पताल में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त तो है किंतु आज भी यह अस्पताल में इलाज की उचित व्यवस्था नहीं है.

क्या कहते हैं अधिकारी?
सरगुजा के सी.एम.एच.ओ सिसोदिया से भी बात की गई तो उन्होंने समस्याओं के जल्द समाधान का आश्वासन दिया है. अब देखना यह होगा कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था कब तक सुधर पाती है.

Intro:एंकर....कई कलेक्टर बदल गए, कई अधिकारी बदल गए अब तो सरकार भी बदल गयी किन्तु सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था नहीं सुधरी इस अस्पताल में डॉक्टर तो है किन्तु बेहतर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। यहाँ आज भी मरीजों को अव्यवस्था से जूझना पड़ता है। इस बड़े अस्पताल की बात करें तो यहाँ अस्पताल से ज्यादा भीड़ डॉक्टरों के सरकारी क्वार्टरों में दिखाई देता है। इस अस्पताल में यदि कोई बड़ा एक्सीडेंटल केश आ जाये तो यहाँ इलाज के अभाव में अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुँचते तक ही मरीजों की मृत्यु हो जाती है ऐसे में प्रशासनिक उदासीनता की जांच सरकार तक जरूर पहुँचेगी अब तो स्वास्थ्य मंत्री भी इसी जिले के है। बदहाल दिख रही ये सरकारी ढांचा अंदर से भी बदहाल है यहाँ मरीजों के लिए न तो सरकारी मापदंडो के आधार पर इलाज होता है और न ही यहाँ बेहतर जांच पड़ताल की व्यवस्था है जी हाँ अब बात कर रहे है आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले के सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जो सीतापुर में संचालित होने के बाद भी जिम्मेदारी की निग़ाहों से कोशो दूर है। कहने को तो यहाँ गरीबो के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है लेकिन वह ही प्रबंधन की मनमानी के कारण सबसे ज्यादा लुटे जा रहे है। इस अस्पताल में जन औषधि केंद्र सालों से बंद है जब इस जन औषधि केंद्र के संदर्भ में पूछा जाता है तो उसे केवल दिखावे हेतु कुछ मिनटों के लिए खोल दिया जाता है। वहीं इस अस्पताल में आज वाटर ए.टी.म काफी महीनों से बंद है जिसको लेकर यहाँ मरीजों को पानी की व्यवस्था को लेकर काफी मशक्कत करना पड़ता है। इस अस्पताल के नियम कानून को डॉक्टर सहित मरीज भी फॉलो नहीं करते जहाँ वाहन पार्किंग करना मना है वहाँ डॉक्टर सहित मरीज धड़ल्ले से अपने वाहनों को खड़ा कर देते है। इस अस्पताल में सरकारी दवाईयों का उचित स्टॉक भी उपलब्ध नहीं रहता जिसको लेकर मरीजों को बाहर से दवाईयों का खरीददारी करना पड़ता है।

व्ही.ओ.~ इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इतना ही नहीं डॉक्टरों सहित कर्मचारियों के आने जाने के समय में भी सवाल खड़ा कर दिया जाए तो यह मालूम हो जाएगा कि यह अस्पताल कितना बदहाल है। यहाँ तक की यहाँ घटना दुर्घटना होने वाले केश जब आता है तो आपातकालिन में डॉक्टर और ड्रेसर ईलाज सहित पट्टी बंधन हेतु खोजना और फ़ोन लगाना पड़ता है तब जाकर कुछ हद तक ईलाज हो पाता है। इस अस्पताल में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या तो है किंतु आज भी यह अस्पताल ईलाज की उचित व्यवस्था से कोशो दूर है। यहाँ तक कि इस अस्पताल के उचित लाइटिंग और हवादार पंखे की बात करें तो आधा से अधिक खराब दिखाई देते है। अब देखना यह होगा कि इस करोड़ों के अस्पताल में बेहतर इलाज की समुचित व्यवस्था कब तक हो पाती है। पत्रकारों के द्वारा जब सुबह साढ़े दस बजे अस्पताल का निरीक्षण किया गया तब कई डॉक्टर ओ.पी.डी में अनुपस्थित दिखे यहाँ तक कि महिला ओ.पी.डी कक्ष क्रमांक में भी सुबह साढ़े दस बजे तक बंद दिखाई दिया,इन सभी चीजों का पूरा सामना महिला मरीजों को उठाना पड़ता है। यहाँ तक कि एक्स रे कक्ष भी सुबह साढ़े दस तक बंद दिखाई दिया ऐसे में आप मान सकते है कि अपने सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्था से बदहाल है। इन सभी चीजों के संदर्भ में सरगुजा के सी.एम.एच.ओ सिसोदिया से भी बात की गई तो उनके द्वारा इन सभी चीजों में जल्द सुधार करने की बात कही गई। अब देखना यह होगा कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था कब तक सुधार पाती है ? क्या लोग इसी तरह परेशानी से जूझते रहेंगे।

बाईट 01~ कुमारी पूनम।
(मरीज) चश्मा पहनी हुई।

बाईट 02~ धनेश्वर मरीज।
(सिंदूरी तौलिया में शर्ट पहने हुए)

बाईट 03~स्टॉफ महिला।
(साड़ी पहनी हुई)

बाईट 04~स्टॉफ नर्स।
(सफेद एपरोन पहनी हुई।)

विजुअज 01~हॉस्पिटल का दृश्य।

विजुअल 01~हॉस्पिटल समय में बन्द एक्स रे रूम का।

विजुअल 02~बंद जन औषधि केंद्र का।

विजुअल 03~ बंद महिला ओपीडी का दृश्य।

विजुअल 04~ चिकित्सक कक्ष में अनुपस्थित डॉक्टरों का दृश्य।

विजुअल 05~ दो वृद्ध महिलाओं का दृश्य।

विजुअल 06~ आयुष विभाग में इलाज समय मे ताला लगा हुआ का दृश्य।

Roshan Soni...!!!
Sitapur...!!!

Mob.~7804011178Body:एंकर....कई कलेक्टर बदल गए, कई अधिकारी बदल गए अब तो सरकार भी बदल गयी किन्तु सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था नहीं सुधरी इस अस्पताल में डॉक्टर तो है किन्तु बेहतर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। यहाँ आज भी मरीजों को अव्यवस्था से जूझना पड़ता है। इस बड़े अस्पताल की बात करें तो यहाँ अस्पताल से ज्यादा भीड़ डॉक्टरों के सरकारी क्वार्टरों में दिखाई देता है। इस अस्पताल में यदि कोई बड़ा एक्सीडेंटल केश आ जाये तो यहाँ इलाज के अभाव में अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुँचते तक ही मरीजों की मृत्यु हो जाती है ऐसे में प्रशासनिक उदासीनता की जांच सरकार तक जरूर पहुँचेगी अब तो स्वास्थ्य मंत्री भी इसी जिले के है। बदहाल दिख रही ये सरकारी ढांचा अंदर से भी बदहाल है यहाँ मरीजों के लिए न तो सरकारी मापदंडो के आधार पर इलाज होता है और न ही यहाँ बेहतर जांच पड़ताल की व्यवस्था है जी हाँ अब बात कर रहे है आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले के सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जो सीतापुर में संचालित होने के बाद भी जिम्मेदारी की निग़ाहों से कोशो दूर है। कहने को तो यहाँ गरीबो के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है लेकिन वह ही प्रबंधन की मनमानी के कारण सबसे ज्यादा लुटे जा रहे है। इस अस्पताल में जन औषधि केंद्र सालों से बंद है जब इस जन औषधि केंद्र के संदर्भ में पूछा जाता है तो उसे केवल दिखावे हेतु कुछ मिनटों के लिए खोल दिया जाता है। वहीं इस अस्पताल में आज वाटर ए.टी.म काफी महीनों से बंद है जिसको लेकर यहाँ मरीजों को पानी की व्यवस्था को लेकर काफी मशक्कत करना पड़ता है। इस अस्पताल के नियम कानून को डॉक्टर सहित मरीज भी फॉलो नहीं करते जहाँ वाहन पार्किंग करना मना है वहाँ डॉक्टर सहित मरीज धड़ल्ले से अपने वाहनों को खड़ा कर देते है। इस अस्पताल में सरकारी दवाईयों का उचित स्टॉक भी उपलब्ध नहीं रहता जिसको लेकर मरीजों को बाहर से दवाईयों का खरीददारी करना पड़ता है।

व्ही.ओ.~ इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इतना ही नहीं डॉक्टरों सहित कर्मचारियों के आने जाने के समय में भी सवाल खड़ा कर दिया जाए तो यह मालूम हो जाएगा कि यह अस्पताल कितना बदहाल है। यहाँ तक की यहाँ घटना दुर्घटना होने वाले केश जब आता है तो आपातकालिन में डॉक्टर और ड्रेसर ईलाज सहित पट्टी बंधन हेतु खोजना और फ़ोन लगाना पड़ता है तब जाकर कुछ हद तक ईलाज हो पाता है। इस अस्पताल में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या तो है किंतु आज भी यह अस्पताल ईलाज की उचित व्यवस्था से कोशो दूर है। यहाँ तक कि इस अस्पताल के उचित लाइटिंग और हवादार पंखे की बात करें तो आधा से अधिक खराब दिखाई देते है। अब देखना यह होगा कि इस करोड़ों के अस्पताल में बेहतर इलाज की समुचित व्यवस्था कब तक हो पाती है। पत्रकारों के द्वारा जब सुबह साढ़े दस बजे अस्पताल का निरीक्षण किया गया तब कई डॉक्टर ओ.पी.डी में अनुपस्थित दिखे यहाँ तक कि महिला ओ.पी.डी कक्ष क्रमांक में भी सुबह साढ़े दस बजे तक बंद दिखाई दिया,इन सभी चीजों का पूरा सामना महिला मरीजों को उठाना पड़ता है। यहाँ तक कि एक्स रे कक्ष भी सुबह साढ़े दस तक बंद दिखाई दिया ऐसे में आप मान सकते है कि अपने सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्था से बदहाल है। इन सभी चीजों के संदर्भ में सरगुजा के सी.एम.एच.ओ सिसोदिया से भी बात की गई तो उनके द्वारा इन सभी चीजों में जल्द सुधार करने की बात कही गई। अब देखना यह होगा कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था कब तक सुधार पाती है ? क्या लोग इसी तरह परेशानी से जूझते रहेंगे।

बाईट 01~ कुमारी पूनम।
(मरीज) चश्मा पहनी हुई।

बाईट 02~ धनेश्वर मरीज।
(सिंदूरी तौलिया में शर्ट पहने हुए)

बाईट 03~स्टॉफ महिला।
(साड़ी पहनी हुई)

बाईट 04~स्टॉफ नर्स।
(सफेद एपरोन पहनी हुई।)

विजुअज 01~हॉस्पिटल का दृश्य।

विजुअल 01~हॉस्पिटल समय में बन्द एक्स रे रूम का।

विजुअल 02~बंद जन औषधि केंद्र का।

विजुअल 03~ बंद महिला ओपीडी का दृश्य।

विजुअल 04~ चिकित्सक कक्ष में अनुपस्थित डॉक्टरों का दृश्य।

विजुअल 05~ दो वृद्ध महिलाओं का दृश्य।

विजुअल 06~ आयुष विभाग में इलाज समय मे ताला लगा हुआ का दृश्य।

Roshan Soni...!!!
Sitapur...!!!

Mob.~7804011178Conclusion:
Last Updated : Mar 28, 2019, 1:31 PM IST
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