सरगुजा: यहां 450 अपात्र लोगों के पीएम आवास बन गए हैं. जिनके पास पहले से ही पक्के का मकान था. वहीं लाभ लेने वाले 800 हितग्राहियों का पता ही नहीं चल रहा है. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या ये 800 लोग शहर में नहीं हैं. पक्का मकान लेकर तो कोई शहर छोड़कर भाग नहीं सकता या फिर इसमें नगर निगम के कर्मचारियों की लापरवाही है कि वो 800 हितग्राहियों को खोज ही नहीं पा रहा है.
हितग्राहियों के पास पहले से पक्के मकान
नगर निगम पीएम आवास के एएचपी मकानों के पात्र हितग्राहियों की जांच करा रहा था. यह जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है. लम्बा समय बीत चुका है लेकिन जांच अब तक नहीं हो पाई है. निगम के अधिकारी अब तक सिर्फ 25 वार्डों में ही हितग्राहियों के सूची की जांच कर सके हैं. इसमें भी जो खुलासे हुए हैं, वह चौंकाने वाले हैं. जिन लोगों ने आवेदन किया था, उनमें से लगभग 800 हितग्राहियों का अब तक पता ही नहीं चल सका है. जबकि साढ़े चार सौ से अधिक लोगों के पास पहले से पक्का मकान है. जांच पूरी नहीं होने की वजह से अपात्र हितग्राहियों को लेकर एक तरफ स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. जबकि जो पात्र हितग्राही हैं, वे भी इन कर्मचारियों की धीमी गति के कारण प्रभावित हो रहे हैं.
मोर मकान मोर चिन्हारी योजना
शासन द्वारा गरीबों को रहने के लिए छत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पीएम आवास योजना के तहत मकानों का निर्माण किया जा रहा है. पीएम आवास में केंद्र के साथ ही राज्यों की भी हिस्सेदारी होती है. सरगुजा जिले के ननि क्षेत्र की बात की जाए तो शहरी क्षेत्र में बेघरों को अपना छत उपलब्ध कराने के लिए मोर मकान मोर चिन्हारी के 3422 एएचपी मकानों की स्वीकृति दी गई थी. एएचपी के मकानों के लिए ननि के पास पूर्व में 10526 लोगों ने आवेदन किया था. ननि द्वारा एएचपी मकानों का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है लेकिन इस दौरान यह बात सामने आई थी कि आवेदन करने वालों के साथ ही चयनित हितग्राहियों में से भी बड़ी संख्या में लोग इस योजना के लिए अपात्र हैं.
अंबिकापुर में आधे शहर की सड़कों में क्यों रहता है अंधेरा?
अपात्रों को आवास प्रदान करने को लेकर अंबिकापुर नगर निगम की सामान्य सभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा भी किया था. सदन में सभापति के सामने धरने पर भी बैठ गए थे. इस दौरान निगम सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि पात्र, अपात्र की जांच कराई जा सकती है लेकिन सूची में जो हितग्राही पात्र हैं, उनके आवेदन को निरस्त नहीं किया जाएगा. पीएम आवास के लिए एजेंसी का चयन भी साल 2015 में भाजपा के प्रदेश की सत्ता में रहते हुए हुआ था. ऐसे में निगम ने अपात्रों की जांच के लिए आदेश दिए थे. निगम की सामान्य सभा में पीएम आवास के एएचपी मकानों की जांच के लिए आदेश 10 अगस्त को दिया गया था, लेकिन पांच महीने का समय बीत जाने के बाद भी निगम के मोहर्रिर इसकी जांच पूरी नहीं कर पाए हैं. ऐसे में जो पात्र हितग्राही हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है. हैरानी की बात तो यह है कि निगम के अधिकारी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
अब तक सिर्फ 25 वार्ड में ही हुआ सर्वे
नगर निगम की टीम अब तक 48 में से 25 वार्डों के सर्वे का काम पूरा कर पाई है. इसमें जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. अब तक लगभग 3800 आवेदनकर्ताओं की जांच की गई है, जिसमें से 450 लोग ऐसे हैं, जिनके पहले से पक्के मकान हैं. वहीं 850 आवेदनकर्ता अब तक ननि क्षेत्र को मिल ही नहीं पाए हैं. लगभग 800 लोग राजस्व नजूल की भूमि पर काबिज हैं, जबकि 150 लोगों के पास कच्चे घर हैं और उनके नाम पर जमीन है. इसलिए वे बीएलसी की श्रेणी में आते हैं. इसी तरह 20 से अधिक हितग्राहियों की फॉर्म भरने के बाद किन्ही कारणों से मौत हो गई है. लगभग 8 लोगों को फॉर्म भरने के बाद अटल आवास उपलब्ध कराए जा चुके हैं. 50 लोगों को राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत पट्टा दिया जा चुका है. अब ये बीएलसी की श्रेणी में हैं. 30 से 32 लोग ऐसे मिले हैं, जिनके नाम दो जगह हैं. वहीं वन विभाग की जमीन पर काबिज 16, शासकीय जमीन पर काबिज 25 लोग मिले हैं. 493 लोगों को विभिन्न योजनाओं का पट्टा मिल चुका है. 50 से अधिक लोग निगम क्षेत्र के बाहर रहते हैं. ऐसे में विभिन्न कारणों से ये एएचपी मकानों के लिए पात्र नहीं हैं.
प्रधानमंत्री आवास के तहत सरगुजा में मोर मकान मोर चिन्हारी के अंतर्गत एएचपी मकानों की योजना ऐसे हितग्राहियों के लिए है, जिनके नाम से भारत में कहीं जमीन व मकान नहीं है और उनकी आय तीन लाख से कम है. इसके साथ ही इस योजना का लाभ निगम के मलीन बस्तियों में रहने वाले, हाईटेंशन तार के नीचे रहने वाले, तालाबों की मेढ़ पर रहने वाले, बाढ़ क्षेत्र में रहने वालों सहित अन्य पात्र हितग्राहियों के लिए हैं.
ननि क्षेत्र में एएचपी के तहत 3422 मकान स्वीकृत हुए हैं लेकिन अब तक सुभाषनगर क्षेत्र में सिर्फ 493 मकानों का निर्माण ही शुरू हो सका है. इसके अलावा लक्ष्मीपुर और फुंदुरडिहारी क्षेत्र में भी ये मकान बनाए जाने हैं, लेकिन जांच अधूरी रहने और अन्य कारणों से बाकी निर्माण अब तक प्रारंभ नहीं हो सके हैं. ननि साढ़े चार लाख रुपए की लागत से 1 बीएचके के एक मकान का निर्माण कर रही है और योजना के तहत हितग्राही को महज 75 हजार रुपए अंशदान के रूप में किश्तों में जमा करने होते हैं. इसमें भी पांच हजार रुपए हितग्राही को प्रारम्भ में देने होते हैं.
मेयर डॉ अजय तिर्की का कहना है कि जांच को जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए जाएंगे. हम यही चाहते हैं कि पात्र हितग्राहियों को इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिले और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं जांच पूर्ण कराने के साथ ही मकानों के निर्माण को भी निर्धारित समय पर पूरा कराया जाएगा.