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सरगुजा मेडिकल कॉलेज में अब होगी लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की जांच

सरगुजा में कोरोना वायरस (corona virus) की जांच के लिए स्थापित किया गया आरटीपीसीआर (RTPCR) लैब अब अन्य बीमारियों की जांच में भी सहायक बन रहा है. माइक्रोबायोलॉजी (microbiology) विभाग जल्द ही लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर (Leptospirosis and typhus fever) की जांच भी शुरू करने जा रहा है.

Leptospirosis and typhus fever will now be investigated in Surguja Medical College
सरगुजा मेडिकल कॉलेज में अब होगी लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की जांच
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Published : Sep 8, 2021, 2:08 PM IST

सरगुजा: कोरोना वायरस की जांच के लिए स्थापित किया गया आरटीपीसीआर लैब (RTPCR Lab) अब अन्य बीमारियों की जांच में भी सहायक बन रहा है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Microbiology) जल्द ही लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर (Leptospirosis and typhus fever) की जांच भी शुरू करने जा रहा है. ये दोनों ही बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) हैं और काफी घातक होते हैं. बड़ी बात है कि इन दोनों ही बीमारियों के लक्षण समान्य मलेरिया, टायफाइड (malaria, typhoid) व अन्य बुखार वाली बीमारियों की तरह ही होते हैं.

सरगुजा संभाग की बात की जाए तो ऐसी बीमारियों की आशंका डॉक्टरों ने अधिष्ठाता के समक्ष जाहिर की थी जिसके बाद इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच के लिए पहल की गई है और अब एक महीने के अंदर किट आने पर दोनों जांच मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वायरोलॉजी लैब (Virology Lab) में शुरू करने की बात कही जा रही है.

कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने से पहले कोई भी व्यक्ति इस वायरस से पूरी तरह अनजान था. सामान्य तौर पर हम मलेरिया, डेंगू, टायफाइड, निमोनिया, कालाजार वायरल व पेशाब में संक्रमण (Malaria, Dengue, Typhoid, Pneumonia, Kala-azar Viral and Urinary Infection)जैसी बीमारियों को ही जानते थे लेकिन अब कोरोना वायरस से हर कोई भली-भांति वाकिफ है. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अब संभाग में लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टायफस फीवर जैसी बीमारी की भी संभावना बढ़ गई. हालांकि इन दोनों वायरस की पुष्टि नहीं हुई है.

लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Leptospirosis and typhus fever bacterial infections) है. इनके लक्षण भी बाकी बिमारियों की तरह ही हैं. चूंकि डॉक्टर लक्षण आधारित उपचार करते हैं और पिछले कुछ दिनों से सामने आ रहे बुखार के मामलों की जांच व अध्ययन के बाद डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के के अधिष्ठाता से चर्चा के दौरान इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की संभावना जताई थी.

जिसके बाद अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने इसे गंभीरता से लेते हुए शासन को लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की जांच की सुविधा शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा था और अब कहा जा रहा है कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग को इन दोनों जांच के लिए अनुमति मिल गई है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा मरीजों की सुविधाओं में विस्तार करते हुए एक महीने के भीतर इस जांच को शुरू करने की तैयारी में है और जल्द ही जांच किट भी मेडिकल कॉलेज (Medical college) को मिल जाएगा.


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चूहे के मूत्र से फैलता है लेप्टोस्पायरोसिस
विशेषज्ञों का कहना है कि लेप्टोस्पायरोसिस चूहे के मूत्र से फैलने वाला एक बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) है. आम तौर पर बारिश के समय चूहे का मूत्र बारिश के पानी में मिल जाता है और जब कोई व्यक्ति इनके संपर्क में आता है या शरीर में लगी चोट के कारण यह बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह बीमारी होती है. लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण (Leptospirosis infection) के कारण बुखार के साथ ही लिवर, किडनी पर भी इसका असर पड़ता है. वहीं चिकित्सकों का कहना है कि टायफाइड व स्क्रब टायफस फीवर के नाम सुनने में जरूर के जैसे लगते है लेकिन दोनों एक दूसरे से बिलकुल भिन्न है और दोनों के लिए अलग बैक्टीरिया जिम्मेदार है.

एलाइजा मशीन से होगी जांच
माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टायफस फीवर की जांच किट आने के बाद शुरू किए जाने की बात कही जा रही है. इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच एलाइजा मशीन (Eliza Machine) में शिरोलॉजी (Shirology) पद्धति से मरीज के खून का सैम्पल लेकर किया जाता है. अब इस जांच के सरगुजा में शुरू होने से मरीजों के इलाज की सुविधा में निश्चित रूप से वृद्धि होगी.

सरगुजा: कोरोना वायरस की जांच के लिए स्थापित किया गया आरटीपीसीआर लैब (RTPCR Lab) अब अन्य बीमारियों की जांच में भी सहायक बन रहा है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Microbiology) जल्द ही लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर (Leptospirosis and typhus fever) की जांच भी शुरू करने जा रहा है. ये दोनों ही बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) हैं और काफी घातक होते हैं. बड़ी बात है कि इन दोनों ही बीमारियों के लक्षण समान्य मलेरिया, टायफाइड (malaria, typhoid) व अन्य बुखार वाली बीमारियों की तरह ही होते हैं.

सरगुजा संभाग की बात की जाए तो ऐसी बीमारियों की आशंका डॉक्टरों ने अधिष्ठाता के समक्ष जाहिर की थी जिसके बाद इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच के लिए पहल की गई है और अब एक महीने के अंदर किट आने पर दोनों जांच मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वायरोलॉजी लैब (Virology Lab) में शुरू करने की बात कही जा रही है.

कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने से पहले कोई भी व्यक्ति इस वायरस से पूरी तरह अनजान था. सामान्य तौर पर हम मलेरिया, डेंगू, टायफाइड, निमोनिया, कालाजार वायरल व पेशाब में संक्रमण (Malaria, Dengue, Typhoid, Pneumonia, Kala-azar Viral and Urinary Infection)जैसी बीमारियों को ही जानते थे लेकिन अब कोरोना वायरस से हर कोई भली-भांति वाकिफ है. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अब संभाग में लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टायफस फीवर जैसी बीमारी की भी संभावना बढ़ गई. हालांकि इन दोनों वायरस की पुष्टि नहीं हुई है.

लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Leptospirosis and typhus fever bacterial infections) है. इनके लक्षण भी बाकी बिमारियों की तरह ही हैं. चूंकि डॉक्टर लक्षण आधारित उपचार करते हैं और पिछले कुछ दिनों से सामने आ रहे बुखार के मामलों की जांच व अध्ययन के बाद डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के के अधिष्ठाता से चर्चा के दौरान इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की संभावना जताई थी.

जिसके बाद अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने इसे गंभीरता से लेते हुए शासन को लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की जांच की सुविधा शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा था और अब कहा जा रहा है कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग को इन दोनों जांच के लिए अनुमति मिल गई है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा मरीजों की सुविधाओं में विस्तार करते हुए एक महीने के भीतर इस जांच को शुरू करने की तैयारी में है और जल्द ही जांच किट भी मेडिकल कॉलेज (Medical college) को मिल जाएगा.


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चूहे के मूत्र से फैलता है लेप्टोस्पायरोसिस
विशेषज्ञों का कहना है कि लेप्टोस्पायरोसिस चूहे के मूत्र से फैलने वाला एक बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) है. आम तौर पर बारिश के समय चूहे का मूत्र बारिश के पानी में मिल जाता है और जब कोई व्यक्ति इनके संपर्क में आता है या शरीर में लगी चोट के कारण यह बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह बीमारी होती है. लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण (Leptospirosis infection) के कारण बुखार के साथ ही लिवर, किडनी पर भी इसका असर पड़ता है. वहीं चिकित्सकों का कहना है कि टायफाइड व स्क्रब टायफस फीवर के नाम सुनने में जरूर के जैसे लगते है लेकिन दोनों एक दूसरे से बिलकुल भिन्न है और दोनों के लिए अलग बैक्टीरिया जिम्मेदार है.

एलाइजा मशीन से होगी जांच
माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टायफस फीवर की जांच किट आने के बाद शुरू किए जाने की बात कही जा रही है. इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच एलाइजा मशीन (Eliza Machine) में शिरोलॉजी (Shirology) पद्धति से मरीज के खून का सैम्पल लेकर किया जाता है. अब इस जांच के सरगुजा में शुरू होने से मरीजों के इलाज की सुविधा में निश्चित रूप से वृद्धि होगी.

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