सरगुजा: 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के तौर पर मनाया जाता है. गौरैया यानि वो नन्ही चिड़िया जो अमूमन हर घर के आंगन में चहकती थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों में गौरैया की संख्या में तेजी से कमी आ रही है जो प्रकृति के लिए चिंताजनक है, इसी वजह से साल 2010 से गौरैया के संरक्षण के उद्देश्य को लेकर गौरैया दिवस मनाया जाने लगा.
गौरैया दिवस पर जंतु विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर अमित बनाफर ने बताया कि गौरैया समाज के लिए कितनी लाभकारी है और इसके पतन से किस तरह प्राकृतिक नुकसान हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि गौरैया वो चिड़ियां है जो लारवा और कीट का सेवन करती है, जिससे प्रकृति में कीड़े-मकोड़ों का संतुलन बना रहता है. गौरैया खेतों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खा लेती हैं और किसानों की फसल बर्बाद होने से बचाती है.
गौरैया किसानों के लिए हितकारी
उन्होंने बताया कि गौरैया की संख्या में कमी की वजह से अब फसल के कीड़ों को मारने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का उपयोग करते हैं, जिससे इंसानों को मिलने वाले अनाज साब्जियां सभी कीटनाशक दवाओं की वजह से अनेक बीमारियों को दावत दे रही हैं. गौरैया ही नहीं प्रकृति के द्वारा बनाए गए चक्र में से किसी भी एक चक्र के नष्ट होने पर इसका संतुलन बिगड़ता है और उससे होने वाले नुकसान का सीधा असर इंसानी जीवन पर पड़ता है.
पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए हम सभी जिम्मेदार
गौरैया की लगातार घटती संख्या को लेकर उन्होंने कहा कि इस पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए इंसान ही जिम्मेदार है, क्योंकि गौरैया की घटती संख्या के पीछे जो कारण सामने आए हैं वो उनके रहवास की समस्या के साथ साथ मोबाइल रेडिएशन हैं, रहवास ना होने से गौरैया करंट या तीव्र ध्वनि की चपेट में आने से विलुप्त हो रही है तो वहीं मोबाइल रेडिएशन की वजह से मादा गौरैया की प्रजनन क्षमता खत्म होने की भी बात सामने आई है.
प्रकृति और पशु-पक्षियों का रखें ख्याल
धरती पर अगर इंसानों का जीवन बचाना है तो उसे आधुनिकीकरण के साथ साथ प्रकृति के संरक्षण के लिए भी उतनी ही जिम्मेदारी से सोचना होगा जितनी जिम्मेदारी से वो अन्य आधुनिक वस्तुओं को अपनाता जा रहा है. वरना प्रकृति के चक्र के बिगड़ने का खामियाजा इंसानों को ही भुगतना पड़ेगा.
गौरैया को बचाने के लिए करें सहयोग
ईटीवी भारत आप सभी लोगों से अपील करता है कि विश्व गौरिया दिवस पर सभी गौरैया के खाने-पीने और आवास की व्यस्था अपने घर-आंगन में करें ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को गौरैया किताबों और गूगल में न दिखाकर अपने आंगन में दिखा सकें.