ETV Bharat / city

Indira Gandhi Death Anniversary: 'सरगुजा और इंदिरा का है गहरा संबंध'

इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (Indira Gandhi death anniversary ) पर जानिए इंदिरा गांधी के पहले सरगुजा दौरे के बारे में.

know-about-indira-gandhi-first-visit-to-surguja-on-indira-gandhi-death-anniversary
इंदिरा गांधी की सरगुजा यात्रा
author img

By

Published : Oct 31, 2021, 10:23 AM IST

Updated : Oct 31, 2021, 12:15 PM IST

सरगुजा: आज देश की पहली महिला प्रधानमंत्री आयरन लेडी के नाम से विख्यात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (Indira Gandhi death anniversary ) है. इस पुण्यतिथि पर ETV भारत आपको इंदिरा और छत्तीसगढ़ के सबंधों के बारे में बताने जा रहा है. अविभाजित मध्यप्रदेश के सरगुजा से इंदिरा गांधी का विशेष लगाव था. तभी तो इंदिरा अपने न्यूनतम कार्यकाल में भी 4 बार सरगुजा आई थी. बचपन से राजनीति में रुचि रखने वाले और इंदिरा गांधी के अनन्य प्रशंसक गोविंद शर्मा से ETV भारत ने बात की और जाना कि इंदिरा और सरगुजा का कैसा सबंध रहा है.

इंदिरा गांधी के अनन्य प्रशंसक गोविंद शर्मा से खास बातचीत
सवाल : इंदिरा गांधी कितने बार सरगुजा आईं, कारण क्या थे? और किस तरह का रिश्ता था उनका सरगुजा से?


जवाब : वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) के परदादा महाराज रामानुजशरण सिंहदेव के समय से नेहरू जी से सरगुजा का सबंध रहा है. रियासत काल में जवाहर लाल नेहरू के करीबी सबंध सरगुजा राजपरिवार से रहे हैं. स्वतंत्रता के संग्राम में उन्होंने नेहरू जी की मदद की थी तो उस समय से ही सबंध था. इसी वजह से अपनी किशोरावस्था से ही इंदिरा गांधी इन चीजों से परिचित थी. साल 1966 में प्रधानमंतरी बनने के बाद 10 जून 1967 में इंदिरा पहली बार सरगुजा आई थी.

अकाल के दौर में पहुंची थी सरगुजा

साल 1967 में देश में भयंकर अकाल पड़ा था. सरगुजा की हालत काफी खराब थी. लोग कंदमूल खा कर जिंदा थे, तब 10 जून 1967 को इंदिरा गांधी सरगुजा आईं. दरिमा में उनका प्लेन उतरा और प्रधानमंत्री के आने के बाद कुछ अधिकारी इंतजाम देखने के लिये उनसे पहले गाड़ी दौड़ाते हुये अम्बिकापुर की ओर निकले. उस समय सड़क नहीं थी सड़क पर इतनी धूल थी कि इंदिरा गांधी के काफिले से पहले निकली गाड़ियों से उड़े धूल के गुबार की वजह से उन्हें रुककर इंतजार करना पड़ा. ये देखकर इंदिरा गांधी काफी नाराज हो गई. तत्काल उन्होंने 15 हजार रुपये दरिमा से अंबिकापुर तक सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत किया. उसी से वो सड़क बनाई गई.

स्कूल के दौरे पर पहुंची थी इंदिरा

स्कूल में बच्चों को दलिया बंट रहा था. उस समय इंदिरा गांधी उसे देखने आई. एक कमरे में स्कूल लगता था. उसके दो दरवाजे थे. एक से इंदिरा आई और दूसरे दरवाजे पर मैं खड़ा था, तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र छाता लगाकर खड़े थे, उस दिन मैंने उनको करीब से देखा और उनकी नजर भी मिली. वो मेरे जीवन का सौभाग्यशाली क्षण था. अकाल के समय कनाडा से दूध के डिब्बे आये थे. किसमिस और रशियन बिस्किट आई थी. जो बहुत ही स्वादिष्ट थी. दो तरह की खुशबू वाले बिस्कुट आए थे. वो आज भी याद है. वाड्रफनगर दौरे से लौटकर इंदिरा जिला अस्पताल के बगल में बने तत्कालीन रेस्ट हाउस के रात रुकी थी.

इसके बाद इंदिरा गांधी 14 अप्रैल 1973 में आई. लेकिन इस बार दरिमा हवाई पट्टी पर ही मंच बनाया गया था. इंदिरा गांधी वहीं से स्पीच देकर वापस लौट गईं. इसके बाद 23 मार्च 1980 को इंदिरा गांधी फिर सरगुजा आईं. 1975 में जब देश में अशांति फैल गई थी. जय प्रकाश नारायण ने आंदोलन खड़ा कर दिया था. कुछ नेताओं ने रेल की पटरियों को उखाड़ रहे थे. रेल कई कई घंटे देर से पहुंच रहे थी. जमाखोरी और कालाबाजारी चरम पर थी. तब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था और इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी घोषित कर दी. इससे कलाबाजारी खत्म हो गई और सब चीजों के रेट तुरंत कंट्रोल हो गए.

21 वर्षों में कोरबा बनी उर्जाधानी, जिले के कोयले से कई राज्य होते हैं रोशन लेकिन अब भी यहां है अंधेरा

इमरजेंसी बहुत अच्छी थी. लेकिन इसका परिणाम यह निकला की कुछ मंत्री या कुछ लोग जिनको चांडाल चौकड़ी भी नाम दिया गया था. उन लोगों ने इसका दुरुपयोग किया. नशबंदी में बहुत ज्यादा उत्साह दिखाया. अनावश्यक धरपकड़ हुई तो इससे इंदिरा गांधी डिफेम हो गईं और जब उन्होंने दोबारा चुनाव किया, तो वही कैंडीडेट उन्होंने रिपीट कर दिया. सरगुज़ा से भी बाबूनाथ सिंह लंबे समय तक सांसद रहे. लेकिन उन्होंने ऐसा कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया था, तो जनता ने उन्हें नकार दिया और इंदिरा गांधी की सरकार भी नहीं बनी.इसमें एक संयोग रहा कि रात को रेडियो में न्यूज आ रहा था. जब वो चुनाव हारीं, मैंने उनको चिठ्ठी लिखा था कि आपके हारने से हमको दुख है. हम अपने-अपने प्रत्याशियों से क्षुब्द जरूर थे लेकिन ये चाहते थे कि आप सत्ता में रहे. उस चिट्ठी का उत्तर इंदिरा गांधी कार्यालय से आया था. जिसमे नस्ती की हुई पिन का निशान भी आज तक बना हुआ है. इंदिरा गांधी के यहां हजारों लेटर ट्रक में जाते थे. लेकिन उसमें पिन का यह निशान बताता है कि शायद मेरी चिट्ठी उनके समक्ष रही है.

जनता दल का शासन था इंदिरा गांधी को जेल में भी डाला गया. लेकिन फिर दोबारा चुनाव करना पड़ गया. इंदिरा गांधी दोबारा सरकार में आ गई तो इंदिरा गांधी जब दोबारा चुनी गई है तो इसके बाद वो 2 महीने तो बदली हुई व्यवस्था को अपने हिसाब से सही करने में लगी थी. लेकिन बतौर प्रधानमंत्री उनका दिल्ली छोड़कर जो पहला दौरा हुआ वो सबसे पहले सरगुजा आईं. जनवरी 1980 में इंदिरा सत्ता में आई. 23 मार्च 1980 को सरगुजा आई. इसी से पता चलता है की सरगुजा से उनका कितना लगाव था. इस प्रकार से अपने कम समय के राजनैतिक जीवन मे इंदिरा लगातार सरगुा आती रही. 4 बार उन्होंने सरगुजा का दौरा किया. इससे यह प्रतीत होता है कि इस क्षेत्र से इंदिरा गांधी का विशेष लगाव रहा है.

सरगुजा: आज देश की पहली महिला प्रधानमंत्री आयरन लेडी के नाम से विख्यात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (Indira Gandhi death anniversary ) है. इस पुण्यतिथि पर ETV भारत आपको इंदिरा और छत्तीसगढ़ के सबंधों के बारे में बताने जा रहा है. अविभाजित मध्यप्रदेश के सरगुजा से इंदिरा गांधी का विशेष लगाव था. तभी तो इंदिरा अपने न्यूनतम कार्यकाल में भी 4 बार सरगुजा आई थी. बचपन से राजनीति में रुचि रखने वाले और इंदिरा गांधी के अनन्य प्रशंसक गोविंद शर्मा से ETV भारत ने बात की और जाना कि इंदिरा और सरगुजा का कैसा सबंध रहा है.

इंदिरा गांधी के अनन्य प्रशंसक गोविंद शर्मा से खास बातचीत
सवाल : इंदिरा गांधी कितने बार सरगुजा आईं, कारण क्या थे? और किस तरह का रिश्ता था उनका सरगुजा से?


जवाब : वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) के परदादा महाराज रामानुजशरण सिंहदेव के समय से नेहरू जी से सरगुजा का सबंध रहा है. रियासत काल में जवाहर लाल नेहरू के करीबी सबंध सरगुजा राजपरिवार से रहे हैं. स्वतंत्रता के संग्राम में उन्होंने नेहरू जी की मदद की थी तो उस समय से ही सबंध था. इसी वजह से अपनी किशोरावस्था से ही इंदिरा गांधी इन चीजों से परिचित थी. साल 1966 में प्रधानमंतरी बनने के बाद 10 जून 1967 में इंदिरा पहली बार सरगुजा आई थी.

अकाल के दौर में पहुंची थी सरगुजा

साल 1967 में देश में भयंकर अकाल पड़ा था. सरगुजा की हालत काफी खराब थी. लोग कंदमूल खा कर जिंदा थे, तब 10 जून 1967 को इंदिरा गांधी सरगुजा आईं. दरिमा में उनका प्लेन उतरा और प्रधानमंत्री के आने के बाद कुछ अधिकारी इंतजाम देखने के लिये उनसे पहले गाड़ी दौड़ाते हुये अम्बिकापुर की ओर निकले. उस समय सड़क नहीं थी सड़क पर इतनी धूल थी कि इंदिरा गांधी के काफिले से पहले निकली गाड़ियों से उड़े धूल के गुबार की वजह से उन्हें रुककर इंतजार करना पड़ा. ये देखकर इंदिरा गांधी काफी नाराज हो गई. तत्काल उन्होंने 15 हजार रुपये दरिमा से अंबिकापुर तक सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत किया. उसी से वो सड़क बनाई गई.

स्कूल के दौरे पर पहुंची थी इंदिरा

स्कूल में बच्चों को दलिया बंट रहा था. उस समय इंदिरा गांधी उसे देखने आई. एक कमरे में स्कूल लगता था. उसके दो दरवाजे थे. एक से इंदिरा आई और दूसरे दरवाजे पर मैं खड़ा था, तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र छाता लगाकर खड़े थे, उस दिन मैंने उनको करीब से देखा और उनकी नजर भी मिली. वो मेरे जीवन का सौभाग्यशाली क्षण था. अकाल के समय कनाडा से दूध के डिब्बे आये थे. किसमिस और रशियन बिस्किट आई थी. जो बहुत ही स्वादिष्ट थी. दो तरह की खुशबू वाले बिस्कुट आए थे. वो आज भी याद है. वाड्रफनगर दौरे से लौटकर इंदिरा जिला अस्पताल के बगल में बने तत्कालीन रेस्ट हाउस के रात रुकी थी.

इसके बाद इंदिरा गांधी 14 अप्रैल 1973 में आई. लेकिन इस बार दरिमा हवाई पट्टी पर ही मंच बनाया गया था. इंदिरा गांधी वहीं से स्पीच देकर वापस लौट गईं. इसके बाद 23 मार्च 1980 को इंदिरा गांधी फिर सरगुजा आईं. 1975 में जब देश में अशांति फैल गई थी. जय प्रकाश नारायण ने आंदोलन खड़ा कर दिया था. कुछ नेताओं ने रेल की पटरियों को उखाड़ रहे थे. रेल कई कई घंटे देर से पहुंच रहे थी. जमाखोरी और कालाबाजारी चरम पर थी. तब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था और इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी घोषित कर दी. इससे कलाबाजारी खत्म हो गई और सब चीजों के रेट तुरंत कंट्रोल हो गए.

21 वर्षों में कोरबा बनी उर्जाधानी, जिले के कोयले से कई राज्य होते हैं रोशन लेकिन अब भी यहां है अंधेरा

इमरजेंसी बहुत अच्छी थी. लेकिन इसका परिणाम यह निकला की कुछ मंत्री या कुछ लोग जिनको चांडाल चौकड़ी भी नाम दिया गया था. उन लोगों ने इसका दुरुपयोग किया. नशबंदी में बहुत ज्यादा उत्साह दिखाया. अनावश्यक धरपकड़ हुई तो इससे इंदिरा गांधी डिफेम हो गईं और जब उन्होंने दोबारा चुनाव किया, तो वही कैंडीडेट उन्होंने रिपीट कर दिया. सरगुज़ा से भी बाबूनाथ सिंह लंबे समय तक सांसद रहे. लेकिन उन्होंने ऐसा कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया था, तो जनता ने उन्हें नकार दिया और इंदिरा गांधी की सरकार भी नहीं बनी.इसमें एक संयोग रहा कि रात को रेडियो में न्यूज आ रहा था. जब वो चुनाव हारीं, मैंने उनको चिठ्ठी लिखा था कि आपके हारने से हमको दुख है. हम अपने-अपने प्रत्याशियों से क्षुब्द जरूर थे लेकिन ये चाहते थे कि आप सत्ता में रहे. उस चिट्ठी का उत्तर इंदिरा गांधी कार्यालय से आया था. जिसमे नस्ती की हुई पिन का निशान भी आज तक बना हुआ है. इंदिरा गांधी के यहां हजारों लेटर ट्रक में जाते थे. लेकिन उसमें पिन का यह निशान बताता है कि शायद मेरी चिट्ठी उनके समक्ष रही है.

जनता दल का शासन था इंदिरा गांधी को जेल में भी डाला गया. लेकिन फिर दोबारा चुनाव करना पड़ गया. इंदिरा गांधी दोबारा सरकार में आ गई तो इंदिरा गांधी जब दोबारा चुनी गई है तो इसके बाद वो 2 महीने तो बदली हुई व्यवस्था को अपने हिसाब से सही करने में लगी थी. लेकिन बतौर प्रधानमंत्री उनका दिल्ली छोड़कर जो पहला दौरा हुआ वो सबसे पहले सरगुजा आईं. जनवरी 1980 में इंदिरा सत्ता में आई. 23 मार्च 1980 को सरगुजा आई. इसी से पता चलता है की सरगुजा से उनका कितना लगाव था. इस प्रकार से अपने कम समय के राजनैतिक जीवन मे इंदिरा लगातार सरगुा आती रही. 4 बार उन्होंने सरगुजा का दौरा किया. इससे यह प्रतीत होता है कि इस क्षेत्र से इंदिरा गांधी का विशेष लगाव रहा है.

Last Updated : Oct 31, 2021, 12:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.