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डाकिया डाक लाया.. मिलिये हर मौसम में जिम्मेदारी के साथ घर-घर सेवा देने वाले पोस्टमैन से

राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस 2022: आज के इस डिजिटल समय में भले ही पोस्टमैन की पूछपरख कम हो गई हो लेकिन एक समय था जब कॉलोनी में पोस्टमैन के आने पर हर कोई पूछता था "क्या हमारी चिट्ठी आई हैं". इस प्रश्न का उत्तर देने के बीच पोस्टमैन का चिट्ठी-पत्री के बीच एक-एक कर छांटना और फिर कहना चिठ्ठी आई है, चेहरे पर मुस्कान ला देता था. उसी मुस्कान दिलाने वालों को ये दिन समर्पित है.

National Postal Workers Day 2022
राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस 2022
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Published : Jul 1, 2022, 12:11 PM IST

Updated : Jul 1, 2022, 12:17 PM IST

सरगुजा : बेहद जरूरी सेवा डाक सेवा में लगातार काम कर रहे कर्मचारियों के सम्मान में डाक कर्मचारी दिवस दिवस मनाया जाता है. हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर ETV भारत की टीम ने डाक विभाग के एक महत्वपूर्ण कर्मचारी से बातचीत की. वैसे तो एक बड़ा महकमा डाक विभाग में काम करता है, लेकिन डाकिया के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है. डाकिया यानी की पोस्टमैन हर परिस्थिति में आपकी डाक आपके घर तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं पोस्टमैन के जीवन के अनुभव. (National Postal Workers Day 2022)

राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस 2022
डाकिया डाक लाया: ठंडी, गर्मी, बरसात हर मौसम में समय पर आपकी डाक घर में डिलीवर करने वाले शख्स डाकिया होते हैं. कुछ साल पहले तक भरी बरसात या चिलचिलाती धूप में वे साइकिल में घूम-घूमकर डाक बांटते थे. लेकिन अब वे बाइक में घूमकर चिट्ठी-पत्री देते हैं. एड्रेस पता करते हैं और घर की डोर बेल बजाकर डाक आया है...आवाज लगाते हैं. इस आवाज को सुनकर लोग सब काम छोड़ अपनी डाक लेने दरवाजे पर पहुंच जाते हैं. इसी तरह पोस्टमैन अपना सफर जारी रखता है.

हर डाक हमारे लिए है महत्वपूर्ण: राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस पर ETV भारत ने अंबिकापुर के पोस्ट मैन वीरेंद्र सोनी से बात की. उन्होंने बताया "दिक्कतें बहुत झेलनी पड़ती है. ठंड में, गर्मी में, बरसात में, 12 महीने डाक पहुंचानी पड़ती है. बरसात में भी हर डाक को बेहद जरूरी डाक समझकर उसे पहुंचाना पड़ता है. भले ही वो साधारण चिट्ठी क्यों ना हो. जिस पते पर आया है, उस पते पर पूरी जिम्मेदारी के साथ पहुंचाया जाता है." (Interaction with Ambikapur Postman Ravindra Soni )

लेटर में मोबाइल नंबर जरूर लिखें: वीरेंद्र ने बताया ''संचार के विस्तार से पोस्टमैन को फायदे भी मिलते हैं. जैसे लेटर में अगर मोबाइल नंबर लिखा हो तो डिलीवरी करने में आसानी होती है. प्राप्तकर्ता चाहे कहीं पर भी हो उनसे बात करके उन तक डाक पहुंचा दी जाती है. हर लेटर में मोबाइल नंबर नहीं लिखा होता है. फिर भी 50 प्रतिशत लेटर में मोबाइल नंबर लिखा होता है. लोगों से अपील है कि वो प्राप्तकर्ता और बुकिंग करने वाले का मोबाइल नंबर जरूर लिखें. इससे पोस्टमैन आसानी से डाक पहुंचा सकता है."

Doctors day Special: कोरोना काल में नहीं की जान की परवाह, बिना संक्रमित हुए हजारों मरीजों का किया इलाज

साइकिल से बाइक पर आया डाकिया: वीरेंद्र बताते हैं "आज भी लेटर बॉक्स में लोग लेटर डालते हैं. उसमें साधारण डाक डाली जाती है. लेटर बॉक्स समय-समय पर खुलता है. डाक, ऑफिस लाई जाती है. फिर सील लगने के बाद डाक को भेजा जाता है. पहले साइकिल से डाक बांटते थे. अब शहर बड़ा हो गया है. इस वजह से बाइक से निकलना पड़ता है.''

जिम्मेदारी निभा कर मिलती है खुशी: वीरेंद्र से जब पूछा गया कि इतनी जिम्मेदारी का काम करने में कितनी संतुष्टि मिलती है तो उन्होंने हंसते हुए कहा "संतुष्टि मिलती है. प्राप्तकर्ता का जो भी डाक होता है, उस तक पहुंचा देने में बहुत खुशी मिलती है."

आज भी है वही अंदाज: सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए मैसेंजर के रूप में बहुत बड़ी क्रांति आई है. लेकिन डाक विभाग की सेवाओं का अलग महत्व है. इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. डाकिया अपने उसी अंदाज में घर-घर डाक पहुंचा रहे हैं.



सरगुजा : बेहद जरूरी सेवा डाक सेवा में लगातार काम कर रहे कर्मचारियों के सम्मान में डाक कर्मचारी दिवस दिवस मनाया जाता है. हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर ETV भारत की टीम ने डाक विभाग के एक महत्वपूर्ण कर्मचारी से बातचीत की. वैसे तो एक बड़ा महकमा डाक विभाग में काम करता है, लेकिन डाकिया के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है. डाकिया यानी की पोस्टमैन हर परिस्थिति में आपकी डाक आपके घर तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं पोस्टमैन के जीवन के अनुभव. (National Postal Workers Day 2022)

राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस 2022
डाकिया डाक लाया: ठंडी, गर्मी, बरसात हर मौसम में समय पर आपकी डाक घर में डिलीवर करने वाले शख्स डाकिया होते हैं. कुछ साल पहले तक भरी बरसात या चिलचिलाती धूप में वे साइकिल में घूम-घूमकर डाक बांटते थे. लेकिन अब वे बाइक में घूमकर चिट्ठी-पत्री देते हैं. एड्रेस पता करते हैं और घर की डोर बेल बजाकर डाक आया है...आवाज लगाते हैं. इस आवाज को सुनकर लोग सब काम छोड़ अपनी डाक लेने दरवाजे पर पहुंच जाते हैं. इसी तरह पोस्टमैन अपना सफर जारी रखता है.

हर डाक हमारे लिए है महत्वपूर्ण: राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस पर ETV भारत ने अंबिकापुर के पोस्ट मैन वीरेंद्र सोनी से बात की. उन्होंने बताया "दिक्कतें बहुत झेलनी पड़ती है. ठंड में, गर्मी में, बरसात में, 12 महीने डाक पहुंचानी पड़ती है. बरसात में भी हर डाक को बेहद जरूरी डाक समझकर उसे पहुंचाना पड़ता है. भले ही वो साधारण चिट्ठी क्यों ना हो. जिस पते पर आया है, उस पते पर पूरी जिम्मेदारी के साथ पहुंचाया जाता है." (Interaction with Ambikapur Postman Ravindra Soni )

लेटर में मोबाइल नंबर जरूर लिखें: वीरेंद्र ने बताया ''संचार के विस्तार से पोस्टमैन को फायदे भी मिलते हैं. जैसे लेटर में अगर मोबाइल नंबर लिखा हो तो डिलीवरी करने में आसानी होती है. प्राप्तकर्ता चाहे कहीं पर भी हो उनसे बात करके उन तक डाक पहुंचा दी जाती है. हर लेटर में मोबाइल नंबर नहीं लिखा होता है. फिर भी 50 प्रतिशत लेटर में मोबाइल नंबर लिखा होता है. लोगों से अपील है कि वो प्राप्तकर्ता और बुकिंग करने वाले का मोबाइल नंबर जरूर लिखें. इससे पोस्टमैन आसानी से डाक पहुंचा सकता है."

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साइकिल से बाइक पर आया डाकिया: वीरेंद्र बताते हैं "आज भी लेटर बॉक्स में लोग लेटर डालते हैं. उसमें साधारण डाक डाली जाती है. लेटर बॉक्स समय-समय पर खुलता है. डाक, ऑफिस लाई जाती है. फिर सील लगने के बाद डाक को भेजा जाता है. पहले साइकिल से डाक बांटते थे. अब शहर बड़ा हो गया है. इस वजह से बाइक से निकलना पड़ता है.''

जिम्मेदारी निभा कर मिलती है खुशी: वीरेंद्र से जब पूछा गया कि इतनी जिम्मेदारी का काम करने में कितनी संतुष्टि मिलती है तो उन्होंने हंसते हुए कहा "संतुष्टि मिलती है. प्राप्तकर्ता का जो भी डाक होता है, उस तक पहुंचा देने में बहुत खुशी मिलती है."

आज भी है वही अंदाज: सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए मैसेंजर के रूप में बहुत बड़ी क्रांति आई है. लेकिन डाक विभाग की सेवाओं का अलग महत्व है. इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. डाकिया अपने उसी अंदाज में घर-घर डाक पहुंचा रहे हैं.



Last Updated : Jul 1, 2022, 12:17 PM IST
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