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अंबिकापुर शहर के करीब पहुंचा हाथियों का दल, महिला को कुचला

Elephants crush woman in Ambikapur: अंबिकापुर में हाथियों ने एक महिला को कुचलकर मार डाला है. शुक्रवार को महिला अपने खेत की रखवाली कर रही थी. इसी दौरान हाथियों ने महिला को कुचल दिया. ग्रामीणों ने हाथियों के पहुंचने की सूचना वन विभाग और पुलिस को दी है. elephants reached village close to Ambikapur

elephants reached village close to Ambikapur
अंबिकापुर के करीब पहुंचे हाथी
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Published : Sep 23, 2022, 10:52 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर शहर के करीब हाथियों का दल पहुंच चुका है. इस दल में नर और मादा हाथियों के साथ बच्चे भी है. जिससे हाथियों के उग्र होने की संभावना ज्यादा है. हाथियों ने शुक्रवार सुबह भकुरा गांव में खेत की रखवाली कर रही 45 साल की एक महिला को कुचल दिया है. मृतक महिला का नाम गुड्डी पैकरा है. फिलहाल हाथी भुकरा गांव में ही विचरण कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अंबिकापुर कोतवाली पुलिस और वन विभाग को हाथियों के गांव पहुंचने की सूचना दी है. elephants reached village close to Ambikapur
Elephants crush woman in Ambikapur

छत्तीसगढ़ में साकार होगी हाथी मानव साहचर्य की कल्पना! ऐसे थमेगा हाथी मानव द्वंद

छत्तीसगढ़ के 11 जिलों में हाथियों की मौजूदगी है. आधा दशक पहले तक हाथी कोरबा, कोरिया, रायगढ़, जशपुर और सरगुजा तक ही सीमित थे. अब हाथियों का दायरा बढ़कर महासमुंद, धमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद तक भी फैल चुका है. हाथियों ने लगातार अपने क्षेत्र का विस्तार किया है (elephant human conflict in Chhattisgarh). सरकार को न सिर्फ जनहानि बल्कि फसल और घरों को नुकसान होने पर भी मुआवजा राशि के तौर पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. हाथी मानव द्वंद कम करने के लिए ही अब वनविभाग विभाग साहचर्य की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में काम कर रहा है.

क्या है साहचर्य: साहचर्य का नियम भी गणित के नियमों की तरह काम करता है. ऐसा माना जाता है कि साहचर्य करने वाले जंतु परस्पर मेलजोल के साथ एक साथ रहते हैं. पारस्परिक समझदारी साहचर्य का सबसे प्रमुख बिंदु है. यह नियम तभी साकार होगा, जब हम एक दूसरे को डिस्टर्ब ना करें. हाथी किसी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उन्हें परेशान न किया जाए (elephant attacks in chhattisgarh) .

क्या करें और क्या ना करें: कोरबा वन मंडल डीएफओ प्रियंका पांडे कहती हैं कि "यदि हम दक्षिण के राज्यों की छत्तीसगढ़ से तुलना करें तो वहां पढ़े लिखों की तादाद बहुत ज्यादा है. जब हाथी किसी एक क्षेत्र विशेष में पहुंचता है तो लोगों से यह अपील की जाती है कि हाथियों से दूर रहें. जंगलों में ना जाएं. वे इस बात का शब्दश: पालन करते हैं. क्या करना है और क्या नहीं करना, उन्हें इसका ज्ञान होता है. जबकि छत्तीसगढ़ में हाथियों को भगाने के लिए लोग सड़क पर उतर आते हैं. विपरीत तरह से व्यवहार करते हैं, जिससे पता चलता है कि हम ज्यादा स्ट्रेस में हैं. अब हम लोगों को इसी दिशा में जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि जब हाथी आता है तो आपको क्या नहीं करना है. प्रशिक्षित लोगों को सूचना दें. हाथियों के पास इंसानों से 5 गुना ज्यादा दिमाग होता है. उन्हें सब कुछ याद रहता है."

सरगुजा: अंबिकापुर शहर के करीब हाथियों का दल पहुंच चुका है. इस दल में नर और मादा हाथियों के साथ बच्चे भी है. जिससे हाथियों के उग्र होने की संभावना ज्यादा है. हाथियों ने शुक्रवार सुबह भकुरा गांव में खेत की रखवाली कर रही 45 साल की एक महिला को कुचल दिया है. मृतक महिला का नाम गुड्डी पैकरा है. फिलहाल हाथी भुकरा गांव में ही विचरण कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अंबिकापुर कोतवाली पुलिस और वन विभाग को हाथियों के गांव पहुंचने की सूचना दी है. elephants reached village close to Ambikapur
Elephants crush woman in Ambikapur

छत्तीसगढ़ में साकार होगी हाथी मानव साहचर्य की कल्पना! ऐसे थमेगा हाथी मानव द्वंद

छत्तीसगढ़ के 11 जिलों में हाथियों की मौजूदगी है. आधा दशक पहले तक हाथी कोरबा, कोरिया, रायगढ़, जशपुर और सरगुजा तक ही सीमित थे. अब हाथियों का दायरा बढ़कर महासमुंद, धमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद तक भी फैल चुका है. हाथियों ने लगातार अपने क्षेत्र का विस्तार किया है (elephant human conflict in Chhattisgarh). सरकार को न सिर्फ जनहानि बल्कि फसल और घरों को नुकसान होने पर भी मुआवजा राशि के तौर पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. हाथी मानव द्वंद कम करने के लिए ही अब वनविभाग विभाग साहचर्य की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में काम कर रहा है.

क्या है साहचर्य: साहचर्य का नियम भी गणित के नियमों की तरह काम करता है. ऐसा माना जाता है कि साहचर्य करने वाले जंतु परस्पर मेलजोल के साथ एक साथ रहते हैं. पारस्परिक समझदारी साहचर्य का सबसे प्रमुख बिंदु है. यह नियम तभी साकार होगा, जब हम एक दूसरे को डिस्टर्ब ना करें. हाथी किसी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उन्हें परेशान न किया जाए (elephant attacks in chhattisgarh) .

क्या करें और क्या ना करें: कोरबा वन मंडल डीएफओ प्रियंका पांडे कहती हैं कि "यदि हम दक्षिण के राज्यों की छत्तीसगढ़ से तुलना करें तो वहां पढ़े लिखों की तादाद बहुत ज्यादा है. जब हाथी किसी एक क्षेत्र विशेष में पहुंचता है तो लोगों से यह अपील की जाती है कि हाथियों से दूर रहें. जंगलों में ना जाएं. वे इस बात का शब्दश: पालन करते हैं. क्या करना है और क्या नहीं करना, उन्हें इसका ज्ञान होता है. जबकि छत्तीसगढ़ में हाथियों को भगाने के लिए लोग सड़क पर उतर आते हैं. विपरीत तरह से व्यवहार करते हैं, जिससे पता चलता है कि हम ज्यादा स्ट्रेस में हैं. अब हम लोगों को इसी दिशा में जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि जब हाथी आता है तो आपको क्या नहीं करना है. प्रशिक्षित लोगों को सूचना दें. हाथियों के पास इंसानों से 5 गुना ज्यादा दिमाग होता है. उन्हें सब कुछ याद रहता है."

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