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गर्मी बढ़ते ही छत्तीसगढ़ के बाजारों में सजे देसी फ्रिज, जानिए क्या है खासियत ?

छत्तीसगढ़ में गर्मी की तपिश (summer heat in chhattisgarh) शुरु होते ही बाज़ारों में घड़े और सुराही सज गए हैं. कोरिया जिले में हर साल की तरह इस साल भी चंदिया के घड़े बिक्री के लिए आए हैं.

Homemade fridge decorated in the markets as soon as the heat rises
गर्मी बढ़ते ही बाज़ारों में सज गया देसी फ्रिज
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Published : Mar 20, 2022, 2:19 PM IST

कोरिया : होली के बाद गर्मी ने अपने तेवर दिखाने (summer shows its attitude) शुरु कर दिए हैं.इसी के साथ बाज़ारों में सज गए हैं देसी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़े.बात यदि कोरिया जिले की करें तो यहां सबसे ज्यादा चंदिया के घड़ों की बिक्री होती है.ये घड़े मध्यप्रदेश के चंदिया नामक जगह में बनाए जाते हैं.लिहाजा इन्हें चंदिया के घड़े नाम से ही बेचा जाता है.गर्मी शुरु होते ही चंदिया के कुम्हार (Chandia pots market of koriya ) अपनी मेहनत और कारीगरी से बनाए गए घड़ों को लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आते हैं.गर्मियां शुरु होते ही कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ में भी घड़ों की बिक्री शुरु हो गई है.गर्मी को देखते हुए कुम्हारों को इस बार अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है.फिलहाल अभी बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा है लेकिन आने वाले दिनों में ये घड़े तेजी से बिकेंगे.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर एयरपोर्ट : 1490 से बढ़ाकर 2885 मीटर का होना है रन-वे, सेना को प्रपोजल नहीं भेज रही सरकार, जानिये कहां फंसा है पेच

मटके और सुराही के लिए प्रसिद्ध है चंदिया (Chandia is famous for pots and jars)

आपको बता दे कि मध्यप्रदेश के चंदिया से कुम्हार अपने मटके और सुराही (pots and jars) लेकर गर्मी के समय हर साल आते हैं.कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर और जनकपुर के बाजार गर्मियों के दिनों में चंदिया के घड़ों से सजते हैं. चंदिया में सिर्फ घड़े ही नहीं बल्कि सुराही भी बड़ी तादाद में बिक्री के लिए आई है.कुम्हारों की माने तो इस बार घड़ों और सुराही के दाम पहले की तुलना में काफी ज्यादा है.महंगाई के कारण उन्हें माल खरीदकर उन्हें पक्का घड़ा बनाने में लागत काफी आ रही है.वहीं तेल की बढ़ी कीमतों के कारण ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा है.ऐसे में ग्राहकों को अब पहले की तुलना में अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.बात यदि गर्मी की हो तो पिछले एक हफ्ते में पारा 38 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है.जिसके बाद अब मध्यम और निचले तबके के लोग घड़े के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

कोरिया : होली के बाद गर्मी ने अपने तेवर दिखाने (summer shows its attitude) शुरु कर दिए हैं.इसी के साथ बाज़ारों में सज गए हैं देसी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़े.बात यदि कोरिया जिले की करें तो यहां सबसे ज्यादा चंदिया के घड़ों की बिक्री होती है.ये घड़े मध्यप्रदेश के चंदिया नामक जगह में बनाए जाते हैं.लिहाजा इन्हें चंदिया के घड़े नाम से ही बेचा जाता है.गर्मी शुरु होते ही चंदिया के कुम्हार (Chandia pots market of koriya ) अपनी मेहनत और कारीगरी से बनाए गए घड़ों को लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आते हैं.गर्मियां शुरु होते ही कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ में भी घड़ों की बिक्री शुरु हो गई है.गर्मी को देखते हुए कुम्हारों को इस बार अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है.फिलहाल अभी बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा है लेकिन आने वाले दिनों में ये घड़े तेजी से बिकेंगे.

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मटके और सुराही के लिए प्रसिद्ध है चंदिया (Chandia is famous for pots and jars)

आपको बता दे कि मध्यप्रदेश के चंदिया से कुम्हार अपने मटके और सुराही (pots and jars) लेकर गर्मी के समय हर साल आते हैं.कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर और जनकपुर के बाजार गर्मियों के दिनों में चंदिया के घड़ों से सजते हैं. चंदिया में सिर्फ घड़े ही नहीं बल्कि सुराही भी बड़ी तादाद में बिक्री के लिए आई है.कुम्हारों की माने तो इस बार घड़ों और सुराही के दाम पहले की तुलना में काफी ज्यादा है.महंगाई के कारण उन्हें माल खरीदकर उन्हें पक्का घड़ा बनाने में लागत काफी आ रही है.वहीं तेल की बढ़ी कीमतों के कारण ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा है.ऐसे में ग्राहकों को अब पहले की तुलना में अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.बात यदि गर्मी की हो तो पिछले एक हफ्ते में पारा 38 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है.जिसके बाद अब मध्यम और निचले तबके के लोग घड़े के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

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