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अंबिकापुर के 'मुकुट' महामाया पहाड़ पर कब्जा, बचाने की मुहिम हुई शुरू

अंबिकापुर के महामाया पहाड़ (Mahamaya mountain) पर लगातार अवैध कब्जे (Illegal possession) का खेल जारी है. अब यहां से एक वन अधिकार पत्र को बेचने का मामला सामने आया है. मुख्य वन संरक्षक ने इसकी जांच के निर्देश डीएफओ को दिए हैं.

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महामाया पहाड़
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Published : Jul 14, 2021, 10:41 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 1:08 PM IST

सरगुजा: संभाग मुख्यालय अंबिकापुर (Ambikapur) जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम के लिए पहचाना जाता है. यहां की सुंदरता इसके चारों ओर किसी प्रहरी की भांति खड़े पहाड़ों की वजह से है. शहर चारों दिशाओ में स्थित पहाड़ों से घिरा हुआ है. जो न सिर्फ सुंदरता में चार चांद लगाते हैं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाते हैं. लेकिन शहर को सुरक्षित करने वाले इन पहाड़ों पर खतरा मंडरा रहा है. लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं.

महामाया पहाड़ बचाने की मुहिम

पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के बक्सवाहा (Buxwaha of Madhya Pradesh) में भी जंगल और जीवन बचाने संघर्ष हुआ. वहां हीरे निकालने के लिए बड़े जंगल की कटाई की योजना बनी. लेकिन अंबिकापुर में तो हीरा भी नहीं मिलना है फिर भी अपने पहाड़ जंगल बचाने की मुहिम लोगों ने शुरू कर दी है.

महामाया पहाड़(Mahamaya mountain) पर चल रहे कब्जे के खेल के बाद अब एक वन अधिकार पत्र को बेचने का मामला सामने आया है. भाजपा पार्षद ने इसकी शिकायत मुख्य वन संरक्षक से की है, जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक ने इसकी जांच के निर्देश डीएफओ को दिए हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि हितग्राहियों ने वन अधिकार पत्र को बेच दिया और इस जमीन पर मकानों का निर्माण भी हो गया लेकिन इसकी भनक वन विभाग को नहीं लग सकी.

पार्षद ने दस्तावेज के साथ की शिकायत

बता दें कि हाल ही में पार्षद अलोक दुबे ने महामाया पहाड़ में अवैध रूप से किए गए कब्जे की शिकायत की थी. जिसके बाद मामले में प्रशासन द्वारा टीम का गठन कर इसकी जांच कराई जा रही है. इस बीच अब शहर महामाया पहाड़ स्थित बधियाचुंआ व खैरबार में ग्रामीणों को मिले वन अधिकार पट्टे को 100-100 रुपए के स्टाम्प में बेचने की बात सामने आई हैय पार्षद अलोक दुबे के अनुसार वन अधिकार पत्र के तहत मिली जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती. यह जमीन हितग्राहियों को अपने जीवन यापन और खेती किसानी के लिए दिया जाता है. लेकिन इस जमीन पर भी भूमाफियाओं ने अपनी नजर गड़ा ली. उन्होंने मुख्य वन संरक्षण को इस संबंध में पत्र लिखकर कुछ ऐसे लोगों के नाम दिए हैं, जिन्होंने अपनी जमीन को लाखों रुपए की लालच में बेच दिया. जबकि वन अधिकार पत्र के जमीन की बिक्री नहीं हो सकती. हैरानी की बात तो यह है कि इस जमीन पर लोगों द्वारा मकानों का निर्माण भी करा लिया गया है जो पूर्ण रूप से अवैध हैय उन्होंने स्थल निरीक्षण के साथ ही मामले की जांच व अवैध निर्माण को हटाए जाने की मांग की है।

इन लोगों ने बेची अपनी जमीन

पार्षद अलोक दुबे द्वारा बताया गया कि खैरबार निवासी सुधीर राम पत्नी हीरामती के नाम पर 1.540 हेक्टेयर वनभूमि का पट्टा बना था, जिसमें से 30 डिसमिल जमीन को उसने 8 लोगों को 20 लाख रुपए में बेच दिया है. इसी तरह रायतलो बाई पति देवधारी के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे 5 लाख रुपए में बेच दिया गयय. मेरी फिलोसीना पति बोनिफास के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे उसने 10 लाख में बेच दिया. कृष्णा पति सरानी उरांव को 0.130 हेक्टेयर की जमीन को 15 लाख में बेच दिया. बसंती बाई पति सोनसाय ने 040 हेक्टेयर भूमि को 20 लाख में बेचा है. इसी तरह मालती पति सिमोन ने 10 लाख रुपए में अपने पट्टे की जमीन बेच दी.

लेमरू एलिफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट में अमित जोगी का बघेल सरकार पर बड़ा हमला, अडानी से डील का लगाया आरोप

युवाओं ने शुरू किया हस्ताक्षर अभियान

महामाया पहाड़ को बचाने शहर के युवाओं का एक समूह 13 जून से हस्ताक्षर अभियान चला रहा है. शहर के विभिन्न चौक चौराहों मे ये टीम महामाया पहाड़ बचाने के लिए लोगों के समर्थन के रूप मे हस्ताक्षर ले रही है. इस हस्ताक्षर के साथ मांग पत्र जल्द ही कलेक्टर को सौंपा जाएगा. इसके साथ ही भाजपा युवा मोर्चा ने महामाया पहाड़ से अवैध कब्जा हटाने की मांग को लेकर 13 जुलाई को मुख्य वन संरक्षक कार्यालय का घेराव कर दिया था. घंटों की मशक्कत के बाद वन विभाग के अधिआरी प्रदर्शन कारियों से मिलने को तैयार हुए और आस्वासन दिया है.

कभी गांव के घरों में इन ढिबरी से होता था उजाला, अब ढूंढने पर भी नहीं मिलती

वर्षों से हो रहा है कब्जा

महामाया पहाड़ पर कब्जे का मामला नया नहीं है. 30 वर्षों से इस पहाड़ पर धीरे-धीरे कब्जा हो रहा है. एक निजी स्कूल ने तो पहाड़ के एक बड़े भू खंड पर कब्जा किया थाय यह मामला भी काफी गर्म हुआ पर बाद में राजस्व अधिनियम और स्कूलों संस्थाओं को मिले अधिकारों के आधार पर पहाड़ की जमीन को वैध रूप से दर्ज करा लिया गया. बहुत से ऐसे लोग हैं जो धीरे-धीरे इस पहाड़ की तराई पर बसते चले गए. जनप्रतिनिधि भी मतदान की सियासी मजबूरी की वजह से कुछ कर नहीं पाते हैं. लेकिन वर्तमान मे यह कब्जा तेजी से बढ़ रहा है. भू माफिया सक्रिय होकर वन भूमि को बेचने का काम कर रहे हैं.

सरगुजा के अस्तित्व की लड़ाई

अंबिकापुर एक एसा शहर है जिसके चारों ओर बड़े और छोटे पहाड़ों का घेरा है. मानों प्रकृति ने शहर की सुरक्षा के इंतजाम किए हों. शहर से लगे हुए चार पहाड़ महामाया पहाड़, लुचकी घाट, परसा पहाड़ और पिलखा पहाड़ हैं. इन छोट-छोटे पहाड़ों ने शहर को चारों तरफ से घेरा हुआ है. इनकी दूरी भी शहर से काफी कम है. इसके बाद सम्पूर्ण जिले की सीमा पर बड़े पर्वत खड़े हैं जिनमे मैनपाट, सामरी पाठ, जोका पाठ प्रमुख हैं.

अब इस अद्भुत धरोहर को करोड़ों अरबों रुपये से भी खरीदा नहीं जा सकता. कोरोना काल में देश ने ऑक्सीजन की अनिवार्यता समझी. ऑक्सीजन की कमी से लोगों ने दम तोड़ दिया. प्राकृतिक ऑक्सीजन के इतने बड़े सोर्स के खजाने को बचाना पड़ेगा. इसी धरोहर को बचाने के लिए सरगुजा के लोग उठ खड़े हुए हैं. देखना यह होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है.

सरगुजा: संभाग मुख्यालय अंबिकापुर (Ambikapur) जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम के लिए पहचाना जाता है. यहां की सुंदरता इसके चारों ओर किसी प्रहरी की भांति खड़े पहाड़ों की वजह से है. शहर चारों दिशाओ में स्थित पहाड़ों से घिरा हुआ है. जो न सिर्फ सुंदरता में चार चांद लगाते हैं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाते हैं. लेकिन शहर को सुरक्षित करने वाले इन पहाड़ों पर खतरा मंडरा रहा है. लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं.

महामाया पहाड़ बचाने की मुहिम

पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के बक्सवाहा (Buxwaha of Madhya Pradesh) में भी जंगल और जीवन बचाने संघर्ष हुआ. वहां हीरे निकालने के लिए बड़े जंगल की कटाई की योजना बनी. लेकिन अंबिकापुर में तो हीरा भी नहीं मिलना है फिर भी अपने पहाड़ जंगल बचाने की मुहिम लोगों ने शुरू कर दी है.

महामाया पहाड़(Mahamaya mountain) पर चल रहे कब्जे के खेल के बाद अब एक वन अधिकार पत्र को बेचने का मामला सामने आया है. भाजपा पार्षद ने इसकी शिकायत मुख्य वन संरक्षक से की है, जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक ने इसकी जांच के निर्देश डीएफओ को दिए हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि हितग्राहियों ने वन अधिकार पत्र को बेच दिया और इस जमीन पर मकानों का निर्माण भी हो गया लेकिन इसकी भनक वन विभाग को नहीं लग सकी.

पार्षद ने दस्तावेज के साथ की शिकायत

बता दें कि हाल ही में पार्षद अलोक दुबे ने महामाया पहाड़ में अवैध रूप से किए गए कब्जे की शिकायत की थी. जिसके बाद मामले में प्रशासन द्वारा टीम का गठन कर इसकी जांच कराई जा रही है. इस बीच अब शहर महामाया पहाड़ स्थित बधियाचुंआ व खैरबार में ग्रामीणों को मिले वन अधिकार पट्टे को 100-100 रुपए के स्टाम्प में बेचने की बात सामने आई हैय पार्षद अलोक दुबे के अनुसार वन अधिकार पत्र के तहत मिली जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती. यह जमीन हितग्राहियों को अपने जीवन यापन और खेती किसानी के लिए दिया जाता है. लेकिन इस जमीन पर भी भूमाफियाओं ने अपनी नजर गड़ा ली. उन्होंने मुख्य वन संरक्षण को इस संबंध में पत्र लिखकर कुछ ऐसे लोगों के नाम दिए हैं, जिन्होंने अपनी जमीन को लाखों रुपए की लालच में बेच दिया. जबकि वन अधिकार पत्र के जमीन की बिक्री नहीं हो सकती. हैरानी की बात तो यह है कि इस जमीन पर लोगों द्वारा मकानों का निर्माण भी करा लिया गया है जो पूर्ण रूप से अवैध हैय उन्होंने स्थल निरीक्षण के साथ ही मामले की जांच व अवैध निर्माण को हटाए जाने की मांग की है।

इन लोगों ने बेची अपनी जमीन

पार्षद अलोक दुबे द्वारा बताया गया कि खैरबार निवासी सुधीर राम पत्नी हीरामती के नाम पर 1.540 हेक्टेयर वनभूमि का पट्टा बना था, जिसमें से 30 डिसमिल जमीन को उसने 8 लोगों को 20 लाख रुपए में बेच दिया है. इसी तरह रायतलो बाई पति देवधारी के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे 5 लाख रुपए में बेच दिया गयय. मेरी फिलोसीना पति बोनिफास के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे उसने 10 लाख में बेच दिया. कृष्णा पति सरानी उरांव को 0.130 हेक्टेयर की जमीन को 15 लाख में बेच दिया. बसंती बाई पति सोनसाय ने 040 हेक्टेयर भूमि को 20 लाख में बेचा है. इसी तरह मालती पति सिमोन ने 10 लाख रुपए में अपने पट्टे की जमीन बेच दी.

लेमरू एलिफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट में अमित जोगी का बघेल सरकार पर बड़ा हमला, अडानी से डील का लगाया आरोप

युवाओं ने शुरू किया हस्ताक्षर अभियान

महामाया पहाड़ को बचाने शहर के युवाओं का एक समूह 13 जून से हस्ताक्षर अभियान चला रहा है. शहर के विभिन्न चौक चौराहों मे ये टीम महामाया पहाड़ बचाने के लिए लोगों के समर्थन के रूप मे हस्ताक्षर ले रही है. इस हस्ताक्षर के साथ मांग पत्र जल्द ही कलेक्टर को सौंपा जाएगा. इसके साथ ही भाजपा युवा मोर्चा ने महामाया पहाड़ से अवैध कब्जा हटाने की मांग को लेकर 13 जुलाई को मुख्य वन संरक्षक कार्यालय का घेराव कर दिया था. घंटों की मशक्कत के बाद वन विभाग के अधिआरी प्रदर्शन कारियों से मिलने को तैयार हुए और आस्वासन दिया है.

कभी गांव के घरों में इन ढिबरी से होता था उजाला, अब ढूंढने पर भी नहीं मिलती

वर्षों से हो रहा है कब्जा

महामाया पहाड़ पर कब्जे का मामला नया नहीं है. 30 वर्षों से इस पहाड़ पर धीरे-धीरे कब्जा हो रहा है. एक निजी स्कूल ने तो पहाड़ के एक बड़े भू खंड पर कब्जा किया थाय यह मामला भी काफी गर्म हुआ पर बाद में राजस्व अधिनियम और स्कूलों संस्थाओं को मिले अधिकारों के आधार पर पहाड़ की जमीन को वैध रूप से दर्ज करा लिया गया. बहुत से ऐसे लोग हैं जो धीरे-धीरे इस पहाड़ की तराई पर बसते चले गए. जनप्रतिनिधि भी मतदान की सियासी मजबूरी की वजह से कुछ कर नहीं पाते हैं. लेकिन वर्तमान मे यह कब्जा तेजी से बढ़ रहा है. भू माफिया सक्रिय होकर वन भूमि को बेचने का काम कर रहे हैं.

सरगुजा के अस्तित्व की लड़ाई

अंबिकापुर एक एसा शहर है जिसके चारों ओर बड़े और छोटे पहाड़ों का घेरा है. मानों प्रकृति ने शहर की सुरक्षा के इंतजाम किए हों. शहर से लगे हुए चार पहाड़ महामाया पहाड़, लुचकी घाट, परसा पहाड़ और पिलखा पहाड़ हैं. इन छोट-छोटे पहाड़ों ने शहर को चारों तरफ से घेरा हुआ है. इनकी दूरी भी शहर से काफी कम है. इसके बाद सम्पूर्ण जिले की सीमा पर बड़े पर्वत खड़े हैं जिनमे मैनपाट, सामरी पाठ, जोका पाठ प्रमुख हैं.

अब इस अद्भुत धरोहर को करोड़ों अरबों रुपये से भी खरीदा नहीं जा सकता. कोरोना काल में देश ने ऑक्सीजन की अनिवार्यता समझी. ऑक्सीजन की कमी से लोगों ने दम तोड़ दिया. प्राकृतिक ऑक्सीजन के इतने बड़े सोर्स के खजाने को बचाना पड़ेगा. इसी धरोहर को बचाने के लिए सरगुजा के लोग उठ खड़े हुए हैं. देखना यह होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है.

Last Updated : Jul 15, 2021, 1:08 PM IST
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