मुंबई : सेंसेक्स में 1300 अंकों से अधिक गिरावट हुई है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की निफ्टी में भी 350 अंकों से अधिक की टूट दर्ज की गई. सोमवार के शुरुआती कारोबार के समय निफ्टी 17,000 के आसपास, जबकि सेंसेक्स 56,900 के आसपास कारोबार कर रहा है. बता दें कि शुक्रवार को अमेरिकी शेयर निचले स्तर पर बंद हुए थे. घरेलू निवेशक इस बात से सतर्क थे. बाजार में इस बात को लेकर भी आशंकाएं थी कि एलआईसी का आईपीओ बाजार को प्रभावित कर सकता है.
बाजार के जानकारों के मुताबिक यूक्रेन संकट गहराने और और तेल की कीमतों में उछाल के कारण सोमवार को घरेलू शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. तेल की कीमतें इस सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. निफ्टी 50 379.10 अंक या 2.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,995.65 पर था. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में 4 फीसदी तक उछाल देखी गई.
उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण के मतदान के बीच सुबह 9.21 बजे, बीएसई सेंसेक्स 1,272.79 अंक या 2.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुला. इस समय सेंसेक्स 56,880.13 पर कारोबार कर रहा था. गौरतलब है कि यूपी के अलावा गोवा और उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. तीनों राज्यों में मौजूदा सरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की है.
इस बीच, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा है कि एलआईसी के आईपीओ से करीब 8 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं. बता दें कि भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. सरकार ने एलआईसी में 5 फीसद हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है. ऐसे में सबसे बड़े आईपीओ बनने की संभावना वाली एलआईसी के बाजार मूल्यांकन में कटौती हुई है.
कंपनियों के शेयर में गिरावट
महिंद्रा एंड महिंद्रा 4.3 फीसदी की गिरावट हुई. आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी और एसबीआई में 4-4 फीसदी की गिरावट आई. अल्ट्राटेक सीमेंट, डॉ रेड्डीज लैब्स, एलएंडटी, टाटा स्टील, बजाज फाइनेंस और इंडसइंड बैंक में भी 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई. सेंसेक्स की कंपनियों में भूचाल के बीच में टाटा कंसलटेंसी सर्विस (TCS) एकमात्र कंपनी रही जो बढ़त में थी. टीसीएस के शेयर 1 फीसदी बढ़कर 3,731.60 रुपये पर पहुंच गए.
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शेयर बाजार पर रूस यूक्रेन का असर
इससे पहले ब्रेंट तेल की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं. यह सात साल से अधिक समय में सबसे ज्यादा कीमत है. अक्टूबर 2014 के बाद ब्रेंट ऑयल की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. बाजार पर यूक्रेन पर रूस के संभावित आक्रमण का भी असर है. रूस दुनिया का शीर्ष ब्रेंट ऑयल उत्पादक देशों में शामिल है. ऐसे में निर्यात बाधित होने की आशंका है. एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट का कारण अमेरिका का रूख माना जा रहा है. रविवार को अमेरिकी ने कहा था कि उसने नाटो क्षेत्र में आने वाले एक-एक इंच भूभाग की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली है.