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'अपना घर' मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, अक्टूबर में दोबारा होगी सुनवाई

बिलासपुर के 'अपना घर' संस्था से 14 HIV पीड़ित बच्चियों को बालिका गृह में शिफ्ट करने के मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें कि हाईकोर्ट में इस केस पर अक्टूबर के महीने में दोबारा सुनवाई होगी.

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Sep 25, 2020, 7:27 PM IST

बिलासपुर : HIV पीड़ित नाबालिक बच्चियों की देखभाल करने वाली छत्तीसगढ़ की एकमात्र संस्था ' अपना घर ' से 14 बच्चियों को बालिका गृह में शिफ्ट करने का मामला कोर्ट पहुंच गया है. इस केस में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है

बता दें कि बीते कई महीनों से महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 'अपना घर' संस्था को बंद करने की कवायद की जा रही थी. विभाग की ओर से लगातार कई बार संस्था को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया गया था. वहीं विभाग की ओर से संस्था में अनियमितता की बात भी कही गई थी. इस कड़ी में 17 अगस्त को महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 14 बच्चियों को शासकीय बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया था.

शिफ्टिंग के दौरान हुई थी झड़प

वहीं शिफ्टिंग के दौरान प्रशासनिक अमले के साथ संस्था से जुड़े लोगों के बीच झड़प हो गई थी. यह पूरी कार्रवाई महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम और पुलिस बल की मौजूदगी में की गई थी. तब संस्था से जुड़े लोगों ने पुलिस पर बल पूर्वक कार्रवाई करने का आरोप लगाया था, जिसमें कई बच्चियों को चोटें भी आई थी.हालांकि अब पूरे मामले को लेकर संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है.

संस्था ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

अपनी याचिका में संस्था ने कहा है कि उनका रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं हुआ है. वहीं बिना उनसे सहमति लिए बच्चियों को बालिका गृह में भेज दिया गया है. इसके साथ ही पूरी प्रक्रिया में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों का भी घोर उल्लंघन हुआ है. याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं इस केस पर अक्टूबर के महीने में दोबारा सुनवाई होगी.

पहले भी हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका

गौरतलब है कि पिछले साल भी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को केस में गुण और अवगुण के आधार पर कदम उठाने का निर्देश दिया था. जिसके तहत इस केस में पुलिस की ओर से तमाम विरोध के बीच 17 अगस्त को संस्था से जुड़ी 14 बच्चियों को संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट कर दिया गया था.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 17 सितंबर को किया था प्रदर्शन

HIV पीड़ित बच्चों के साथ हुई घटना के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 17 सितंबर को कलेक्ट्रेट के बाहर जमकर प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में समाजसेवी और एनजीओ के संचालकों के साथ हुए दुर्व्यवहार का भी मुद्दा उठाया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी.

दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग

इस केस में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और पुलिस के जवानों ने एक सोशल वर्कर और वकील प्रियंका शुक्ला को गिरफ्तार भी किया था. जिसके बाद वकील प्रियंका शुक्ला ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुरेश सिंह और अन्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर बैठकर एचआईवी पीड़ित बच्चियों के परिजन ने मांग की थी कि उनके बच्चों को वापस कर दिया जाए. साथ ही दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की जाए.

बिलासपुर : HIV पीड़ित नाबालिक बच्चियों की देखभाल करने वाली छत्तीसगढ़ की एकमात्र संस्था ' अपना घर ' से 14 बच्चियों को बालिका गृह में शिफ्ट करने का मामला कोर्ट पहुंच गया है. इस केस में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है

बता दें कि बीते कई महीनों से महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 'अपना घर' संस्था को बंद करने की कवायद की जा रही थी. विभाग की ओर से लगातार कई बार संस्था को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया गया था. वहीं विभाग की ओर से संस्था में अनियमितता की बात भी कही गई थी. इस कड़ी में 17 अगस्त को महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 14 बच्चियों को शासकीय बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया था.

शिफ्टिंग के दौरान हुई थी झड़प

वहीं शिफ्टिंग के दौरान प्रशासनिक अमले के साथ संस्था से जुड़े लोगों के बीच झड़प हो गई थी. यह पूरी कार्रवाई महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम और पुलिस बल की मौजूदगी में की गई थी. तब संस्था से जुड़े लोगों ने पुलिस पर बल पूर्वक कार्रवाई करने का आरोप लगाया था, जिसमें कई बच्चियों को चोटें भी आई थी.हालांकि अब पूरे मामले को लेकर संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है.

संस्था ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

अपनी याचिका में संस्था ने कहा है कि उनका रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं हुआ है. वहीं बिना उनसे सहमति लिए बच्चियों को बालिका गृह में भेज दिया गया है. इसके साथ ही पूरी प्रक्रिया में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों का भी घोर उल्लंघन हुआ है. याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं इस केस पर अक्टूबर के महीने में दोबारा सुनवाई होगी.

पहले भी हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका

गौरतलब है कि पिछले साल भी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को केस में गुण और अवगुण के आधार पर कदम उठाने का निर्देश दिया था. जिसके तहत इस केस में पुलिस की ओर से तमाम विरोध के बीच 17 अगस्त को संस्था से जुड़ी 14 बच्चियों को संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट कर दिया गया था.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 17 सितंबर को किया था प्रदर्शन

HIV पीड़ित बच्चों के साथ हुई घटना के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 17 सितंबर को कलेक्ट्रेट के बाहर जमकर प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में समाजसेवी और एनजीओ के संचालकों के साथ हुए दुर्व्यवहार का भी मुद्दा उठाया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी.

दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग

इस केस में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और पुलिस के जवानों ने एक सोशल वर्कर और वकील प्रियंका शुक्ला को गिरफ्तार भी किया था. जिसके बाद वकील प्रियंका शुक्ला ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुरेश सिंह और अन्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर बैठकर एचआईवी पीड़ित बच्चियों के परिजन ने मांग की थी कि उनके बच्चों को वापस कर दिया जाए. साथ ही दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की जाए.

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