बिलासपुर: गर्मी के मौसम में खिलने वाले पलाश के फूलों से होली के लिए गुलाल बनाया जाता है. इसके रंग से कपड़े भी रंग कराए जाते है. पलाश के फूलों से शर्बत भी बनाते हैं. ग्रामीण इलाकों में इसका घरो में मंडप और औषधियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पलाश को उगाना नहीं पड़ता, यह अपने आप उगता है. ग्रामीण इलाकों में यह बहुतायत पाया जाता है. खास कर छत्तीसगढ़ के गावों में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
पलाश के संरक्षण की उठ रही मांग: इसकी औषधीय गुणों को आप जानेंगें, तो इसे काटने की बजाए इसका संरक्षण करेंगे. इसमें इतने औषधीय गुण है, कि अब इसके संरक्षण की भी मांग उठने रही है. खेतों सहित ग्रामीण इलाकों में पलाश के फूलों, पत्तों और डालियों का कई अलग अलग उपयोग किया जाता है.
गुलाल बनाने और कपड़ों को रंगने में उपयोग: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरीय क्षेत्रों में आसानी से दिख जाने वाले पलाश के पेड़ों के संरक्षण की मांग अब उठने लगी है. फरवरी से मई माह तक खिलने वाले पलाश के फूल गर्मी में खिलने वाले फूल हैं. पलाश के पेड़ और फूल, बीज, तना, जड़ और पत्तों का अपना अलग अलग औषधीय गुण है .जहां इसके फूलों से रंग निकालकर होली में गुलाल बनाते हैं. वही इसके पक्के रंग से कपड़ो पर भी रंगाई की जाती है.
पलाश के फूलों का शर्बत शरीर को देता है ठंडक: पलाश के फूल तीन रंगों में होते हैं, लाल, सफेद और पीला. इसके फूल दूर से देखने से ऐसे लगते हैं, जैसे पेड़ में आग लगी हो. इसीलिए इसे जंगल की आग भी कहा जाता है. पलाश के फूलों से शरबत बनाया जाता है. इसके शरबत का सेवन करने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती. पलाश के फूलों का शरबत शरीर को हाइड्रेट रखता है. गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी होती है, तो पलाश के फूलों से बने शरबत का सेवन करें. शरीर से निकलने वाले शुगर और नमक की कमी को यह पूरा करता है. साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता. पलाश के फूलों से स्नान करने पर "लू" नहीं लगती.
पलाश का बीज कई रोगों को देता है मात: पलाश का बीज काफी फायदेमंद होता है. इसके बीज, पत्ते, फूल, छाल, गोंद को औषधि के रूप में सेवन से कई रोग दूर होते हैं. फूल के सेवन से मूत्र में होने वाले जलन से मुक्ति मिलती है और पेशाब साफ होता है. साथ ही पेशाब से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ: बिलासपुर शासकीय आयुर्वेदिक हॉस्पिटल और आयुर्वेदिक महाविद्यालय के डीन डॉक्टर रक्षपाल गुप्ता ने बताया कि "पलाश काफी औषधीय गुणों से भरपूर है. पलाश के फूल, पत्ते, जड़, तने और बीच में कई औषधि गुण होते हैं, जैसे बीज में कृमि मारने के गुण, स्किन की बीमारी दूर करने के गुण और फूल में पेशाब की समस्या को दूर करने के गुण होते है. गोंद के सेवन से शरीर में ताकत आती है. इसका सेवन करने वाला बलशाली होता है. पत्तों को लेकर भी ये बातें कही जाती है कि इसे दूध के साथ या किसी भी रूप में लेने से संतान बलशाली और उत्तम गुण वाले होते हैं.
पलाश का है धार्मिक महत्व: होली में पलाश के फूलों के रंग का गुलाल बनाया जाता है. पलाश को छत्तीसगढ़ में कई अलग अलग नामों से भी जाना जाता है. जैसे परसा, टेसू. इसके पत्तों में भोजन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है. इसके धार्मिक और अवषधि गुणों की वजह से इसे संरक्षित करने की मांग भी उठने लगी है.
"पलाश के पेड़ों को संरक्षण की आवश्यकता": बिलासा कला मंच के संरक्षक डॉ सोमनाथ यादव ने इसके संरक्षण की मांग की है. उन्होंने बताया कि "ग्रामीण इलाकों में होने वाली शादियों में परसा के फूल और पत्तों के साथ उसके डालियों का कई रीति-रिवाजों में उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही इसमें कई औषधि गुण होते हैं, जिस तरह से कश्मीर में चिनार के पेड़ को संरक्षित किया जा रहा है. इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी पलाश के पेड़ों को संरक्षण की आवश्यकता है. इसे संरक्षण देने सरकार को पहल करनी चाहिए.