ETV Bharat / bharat

लद्दाख व यूक्रेन के बाद भारत का सैन्य सिद्धांत - Ukraine India military activity

भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध सीमा रेखा से आगे तक बढ़ा. लगभग दो साल पहले मई 2020 में शुरू हुआ यह सिलसिला जारी है. उधर, 24 फरवरी से रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

Ukraine
Ukraine
author img

By

Published : Apr 29, 2022, 7:06 PM IST

नई दिल्ली: लद्दाख सैन्य गतिरोध और यूक्रेन संघर्ष की अभी तक की अनसुलझी कहानी वैश्विक सैन्य प्रतिमान पर सवाल खड़े करती है. इसे भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान ने भी स्वीकार किया है कि भविष्य के सभी युद्ध छोटे, तीव्र और तेज होंगे.

इन घटनाओं ने यह भी सोचने को प्रेरित किया है कि भारत का सैन्य प्रतिष्ठान भारतीय सशस्त्र बलों (जेडीआईएएफ) के संयुक्त सिद्धांत पर फिर से विचार कर सकता है, जिसे 2017 में अंतिम रूप से तैयार किया गया था. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि भारतीय सेना के सात कमांडों में से एक शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) का रणनीतिक योजना विभाग पहले से ही चल रहे संघर्षों का विस्तार से अध्ययन कर रहा है.

गुरुवार को इस मुद्दे ने फिर से ध्यान आकर्षित किया गया जब भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने LOGISEM VAYU-2022 नामक संगोष्ठी के दौरान कहा कि बल, अंतरिक्ष और समय की निरंतरता में हमें इसके लिए तैयारी करने की आवश्यकता होगी. छोटे और तेज युद्ध के साथ ही हमें पूर्वी लद्दाख की तरह लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध के लिए भी तैयार रहना होगा.

परंपरागत रूप से भारतीय वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की सबसे खराब स्थिति की परिकल्पना कर चुकी है. IAF के वायु कर्मचारी निरीक्षण निदेशालय (DASI) के साथ चीन पूरी तरह से हथियारों, मिसाइलों और अलर्ट रडार सिस्टम के साथ तैयारियों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. 1999 तक भारत के युद्ध अपशिष्ट भंडार (WWR) गहन युद्ध या सशस्त्र बलों के लिए पूर्ण पैमाने पर युद्ध की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गोला-बारूद का भंडार - 40 दिनों के लिए बनाए रखा गया था. जिसे घटाकर 20 और फिर 10 दिन कर दिया गया. लेकिन चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बाद 2020 में WWR को फिर से बढ़ाकर 15 दिन कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें- भारत का दबाव आया काम, चीन ने भारतीय छात्रों को लौटने की दी अनुमति

JDIAF 2017 के दस्तावेज में कहा गया है कि संघर्ष का स्वरूप समय के साथ बदलता रहा है. फिर भी यह कायम रहा है. प्रौद्योगिकी संघर्ष के चरित्र के विकास के लिए एक प्रमुख चालक रही है. उपग्रह नियंत्रण प्रणालियों के साथ आज के स्टैंड-ऑफ सटीक युद्धपोतों ने संघर्ष के भौतिक घटक को बदल दिया है. भविष्य के युद्धों का चरित्र अस्पष्ट, अनिश्चित, संक्षिप्त, तेज, घातक, तीव्र, सटीक, गैर-रैखिक, अप्रतिबंधित, अप्रत्याशित होने की संभावना है. IAF प्रमुख ने एकीकृत सड़क और रेल प्रबंधन योजना तैयार करने पर जोर दिया है. वहीं चौड़े विमान और कंटेनर्स की व्यवहार्यता पर भी काम करने की जरूरत पर बल दिया है. ताकि आपात स्थिति में इनका बेहतर प्रयोग किया जा सके.

नई दिल्ली: लद्दाख सैन्य गतिरोध और यूक्रेन संघर्ष की अभी तक की अनसुलझी कहानी वैश्विक सैन्य प्रतिमान पर सवाल खड़े करती है. इसे भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान ने भी स्वीकार किया है कि भविष्य के सभी युद्ध छोटे, तीव्र और तेज होंगे.

इन घटनाओं ने यह भी सोचने को प्रेरित किया है कि भारत का सैन्य प्रतिष्ठान भारतीय सशस्त्र बलों (जेडीआईएएफ) के संयुक्त सिद्धांत पर फिर से विचार कर सकता है, जिसे 2017 में अंतिम रूप से तैयार किया गया था. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि भारतीय सेना के सात कमांडों में से एक शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) का रणनीतिक योजना विभाग पहले से ही चल रहे संघर्षों का विस्तार से अध्ययन कर रहा है.

गुरुवार को इस मुद्दे ने फिर से ध्यान आकर्षित किया गया जब भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने LOGISEM VAYU-2022 नामक संगोष्ठी के दौरान कहा कि बल, अंतरिक्ष और समय की निरंतरता में हमें इसके लिए तैयारी करने की आवश्यकता होगी. छोटे और तेज युद्ध के साथ ही हमें पूर्वी लद्दाख की तरह लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध के लिए भी तैयार रहना होगा.

परंपरागत रूप से भारतीय वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की सबसे खराब स्थिति की परिकल्पना कर चुकी है. IAF के वायु कर्मचारी निरीक्षण निदेशालय (DASI) के साथ चीन पूरी तरह से हथियारों, मिसाइलों और अलर्ट रडार सिस्टम के साथ तैयारियों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. 1999 तक भारत के युद्ध अपशिष्ट भंडार (WWR) गहन युद्ध या सशस्त्र बलों के लिए पूर्ण पैमाने पर युद्ध की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गोला-बारूद का भंडार - 40 दिनों के लिए बनाए रखा गया था. जिसे घटाकर 20 और फिर 10 दिन कर दिया गया. लेकिन चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बाद 2020 में WWR को फिर से बढ़ाकर 15 दिन कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें- भारत का दबाव आया काम, चीन ने भारतीय छात्रों को लौटने की दी अनुमति

JDIAF 2017 के दस्तावेज में कहा गया है कि संघर्ष का स्वरूप समय के साथ बदलता रहा है. फिर भी यह कायम रहा है. प्रौद्योगिकी संघर्ष के चरित्र के विकास के लिए एक प्रमुख चालक रही है. उपग्रह नियंत्रण प्रणालियों के साथ आज के स्टैंड-ऑफ सटीक युद्धपोतों ने संघर्ष के भौतिक घटक को बदल दिया है. भविष्य के युद्धों का चरित्र अस्पष्ट, अनिश्चित, संक्षिप्त, तेज, घातक, तीव्र, सटीक, गैर-रैखिक, अप्रतिबंधित, अप्रत्याशित होने की संभावना है. IAF प्रमुख ने एकीकृत सड़क और रेल प्रबंधन योजना तैयार करने पर जोर दिया है. वहीं चौड़े विमान और कंटेनर्स की व्यवहार्यता पर भी काम करने की जरूरत पर बल दिया है. ताकि आपात स्थिति में इनका बेहतर प्रयोग किया जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.