उज्जैन। कोरोना के बाद से बच्चों का स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा बढ़ गया है. कोरोना के समय से बच्चे मोबाइल को इतना ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं कि यह उनकी आदत में शुमार हो गया है. सोशल साइट्स के इस्तेमाल की लत ने मानसिक रुप से बीमार करना शुरु कर दिया है. सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ऑनलाइन गेम के साइड इफेक्ट के आए दिन केस सामने आते रहते हैं. ऑनलाइन गेम ने कई बच्चों को क्रिमिनल बना दिया है. इसके दुष्परिणाम का एक मामला उज्जैन से सामने आया है. जहां मां द्वारा गेम खेलने से मना करना बच्चे (Online Gaming Addiction) को इतना नागवार गुजरा की उसने घर छोड़ दिया और मुंबई शहर का रुख कर लिया. (ujjain boy left home to use mobile)
साइकिल से पहुंचा इंदौर: मक्सी रोड स्तिथ कैलाश एम्पायर कॉलोनी में रहने वाला 15 वर्षीय किशोर 8वीं कक्षा का छात्र है. वह उस वक्त घर छोड़ कर चला गया जब उसकी मां ने उसे ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलने की बात पर डांट दिया. बच्चे ने मां की डांट को इतनी गंभीरता से लिया कि वह स्कूल जाने के बजाय साइकिल से सीधा इंदौर चला गया. जब घर नहीं लौटा तो घबराए माता-पिता पुलिस के पास पहुंचे और शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने कुछ ही घण्टो में साइबर टीम की मदद से बच्चे को सुरक्षित इंदौर के मरीमाता चौराहा से रेस्क्यू कर लिया. (mother scolds boy left home ujjain)
मां का मोबाइल ले गया था साथ: सीएसपी विनोद कुमार मीणा ने बताया कि बच्चा मां का मोबाइल साथ ले गया था. जिसे ट्रेस कर हमने बच्चे की लोकेशन पता की और CCTV फुटेज के आधार पर उसके ढूंढा निकाला. पूछताछ में किशोर ने बताया कि उसके माता-बाप उसे कहीं घुमाने नहीं ले जाते, ना ही उसे गेम खेलने देते हैं. इसी वजह से वह मुंबई जाना चाहता था. हालांकि बच्चे को परिजन से पहले चाइल्ड केयर के सुपुर्द किया गया है जहां उससे अच्छे से पूछताछ हो सके. ताकि वह आगे से ऐसा कदम न उठाए.
छात्र को सोशल नेटवर्किंग साइट्स चलाने व ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलने की लत है. जब बच्चे की मां ने उसे इन सब चीजों से रोकने का प्रयास किया तो उसने घर छोड़ मुम्बई जाने का मन बनाया. स्कूल जाने की जगह वो मां का मोबाइल लेकर साइकिल से ही इंदौर निकल गया. मेरी सलाह है कि मां-बाप बच्चों पर ज्यादा ध्यान दें, उनके साथ घूमने जायें. -विनोद कुमार मीणा, सीएसपी
बच्चों के साथ दोस्तों की तरह पेश आएं माता-पिता: सीएसपी विनोद कुमार मीणा ने परिजनों को हिदायत देते हुए कहा कि मां-बाप अपने बच्चो को समय दें. बच्चों से बात कर उनके मन की बात को जाने. दोस्तों की तरह उनके साथ पेश आऐं. उन्होंने कहा कि जब बच्चों को उनके सवाल के जवाब मां बाप से नहीं मिलते हैं तो वह अपने हिसाब से जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं. और इस तरह के कदम अक्सर उठाते हैं.
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