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केंद्र सरकार ने दी राज्यों को सलाह, बॉर्डर इलाके के नागरिकों को दें सतर्कता की ट्रेनिंग - मादक पदार्थों की तस्करी

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य की पुलिस और सुरक्षा बलों को इंटरनेशनल बॉर्डर पर बसे इलाकों में रहने वालों को ट्रेनिंग देने का सुझाव दिया है. गृह मंत्रालय का कहना है कि नागरिकों की ट्रेनिंग से सुरक्षा बलों को मादक पदार्थों की तस्करी, विदेशों से आने वाले अवैध ड्रोन और घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी. साथ ही उन्हें सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारी भी मिलेगी.

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Published : Jun 1, 2022, 7:45 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बॉर्डर इलाके में तैनात राज्यों की पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को सुझाव दिया है कि वे खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए स्थानीय लोगों से संपर्क करें. साथ ही उन्हें ट्रेनिंग भी दें ताकि विदेशी से आने वाले ड्रोन और घुसपैठ को रोका जा सके. इससे मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी. गृह मंत्रालय ने हाल ही में राज्य पुलिस बलों और सीमा सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि सुरक्षा की दृष्टि से बॉर्डर इलाके में रहने वाले लोगों के साथ मजबूत संपर्क बनाना अनिवार्य है.

गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी और घुसपैठ रोकने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई. इस बैठक में सीमा सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर में चौकसी बढ़ाने पर जोर दिया गया, जहां मादक पदार्थों की तस्करी, घुसपैठ और ड्रोन के अवैध उपयोग सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. बैठक में सलाह दी गई कि बॉर्डर एरिया में रहने वाले लोग इलाके और अन्य भौगोलिक परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं. वे खुफिया जानकारी प्रदान करने और आपात स्थिति के दौरान सीमा सुरक्षा बलों की सहायता करने में बहुत मदद कर सकते हैं.

बैठक में राजस्थान और पंजाब के प्रतिनिधियों ने गृह सचिव को बताया कि बॉर्डर एरिया में काम कर रहे सीएपीएफ और राज्य पुलिस बलों के बीच कोई कम्यूनिकेशन गैप नहीं है. जिला और सीनियर लेवल पर नियमित बैठकें होती हैं. दोनों राज्यों ने स्टेट पुलिस, सीएपीएफ, बीएसएफ और विभिन्न अन्य सहायक एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सहायक मल्टी एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) की बैठकें भी नियमित आधार पर आयोजित की जाती हैं. पंजाब सरकार की ओर से चलाए जा रहे ट्रेनिंग प्रोग्राम के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने अन्य राज्यों को ऐसा करने की सलाह दी. पंजाब पुलिस लोगों को ट्रेनिंग के जरिये अवेयर कर रही है. इससे पुलिस को एनडीपीएस एक्ट के मामलों की जांच में मदद मिल रही है. ट्रेनिंग के बाद पुलिस को ड्रग तस्करों द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति के बारे में जानकारी मिल रही है.

बता दें कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर ड्रोन के माध्यम से ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद का ट्रांसपोटेशन सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण बन गया है. कई बार पंजाब, जम्मू-कश्मीर में सीमा सुरक्षा एजेंसियों को अवैध ड्रग्स के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद लेकर सीमा पार से आने वाले ड्रोन को गिराने में सफलता भी मिली है. ऐसी घटनाएं सबसे ज्यादा पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में आई हैं. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के रिकॉर्ड के अनुसार, 2021 से अब तक ड्रोन देखे जाने की 130 घटनाएं सामने आई हैं. इनमें से ऐसी लगभग 75 घटनाएं पंजाब के बॉर्डर इलाके में हुईं. ड्रोन के जरिये तस्करी के 35 मामले जम्मू और 10 घटनाएं राजस्थान बॉर्डर पर आई हैं. इसके अलावा गुजरात और कश्मीर सीमा पर भी कुछ घटनाओं की सूचना मिली है.

पढ़ें : खुफिया एजेंसी को मिली आतंकियों के नापाक साजिशों की भनक, हाई अलर्ट पर जम्मू-कश्मीर व पंजाब

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बॉर्डर इलाके में तैनात राज्यों की पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को सुझाव दिया है कि वे खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए स्थानीय लोगों से संपर्क करें. साथ ही उन्हें ट्रेनिंग भी दें ताकि विदेशी से आने वाले ड्रोन और घुसपैठ को रोका जा सके. इससे मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी. गृह मंत्रालय ने हाल ही में राज्य पुलिस बलों और सीमा सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि सुरक्षा की दृष्टि से बॉर्डर इलाके में रहने वाले लोगों के साथ मजबूत संपर्क बनाना अनिवार्य है.

गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी और घुसपैठ रोकने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई. इस बैठक में सीमा सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर में चौकसी बढ़ाने पर जोर दिया गया, जहां मादक पदार्थों की तस्करी, घुसपैठ और ड्रोन के अवैध उपयोग सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. बैठक में सलाह दी गई कि बॉर्डर एरिया में रहने वाले लोग इलाके और अन्य भौगोलिक परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं. वे खुफिया जानकारी प्रदान करने और आपात स्थिति के दौरान सीमा सुरक्षा बलों की सहायता करने में बहुत मदद कर सकते हैं.

बैठक में राजस्थान और पंजाब के प्रतिनिधियों ने गृह सचिव को बताया कि बॉर्डर एरिया में काम कर रहे सीएपीएफ और राज्य पुलिस बलों के बीच कोई कम्यूनिकेशन गैप नहीं है. जिला और सीनियर लेवल पर नियमित बैठकें होती हैं. दोनों राज्यों ने स्टेट पुलिस, सीएपीएफ, बीएसएफ और विभिन्न अन्य सहायक एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सहायक मल्टी एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) की बैठकें भी नियमित आधार पर आयोजित की जाती हैं. पंजाब सरकार की ओर से चलाए जा रहे ट्रेनिंग प्रोग्राम के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने अन्य राज्यों को ऐसा करने की सलाह दी. पंजाब पुलिस लोगों को ट्रेनिंग के जरिये अवेयर कर रही है. इससे पुलिस को एनडीपीएस एक्ट के मामलों की जांच में मदद मिल रही है. ट्रेनिंग के बाद पुलिस को ड्रग तस्करों द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति के बारे में जानकारी मिल रही है.

बता दें कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर ड्रोन के माध्यम से ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद का ट्रांसपोटेशन सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण बन गया है. कई बार पंजाब, जम्मू-कश्मीर में सीमा सुरक्षा एजेंसियों को अवैध ड्रग्स के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद लेकर सीमा पार से आने वाले ड्रोन को गिराने में सफलता भी मिली है. ऐसी घटनाएं सबसे ज्यादा पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में आई हैं. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के रिकॉर्ड के अनुसार, 2021 से अब तक ड्रोन देखे जाने की 130 घटनाएं सामने आई हैं. इनमें से ऐसी लगभग 75 घटनाएं पंजाब के बॉर्डर इलाके में हुईं. ड्रोन के जरिये तस्करी के 35 मामले जम्मू और 10 घटनाएं राजस्थान बॉर्डर पर आई हैं. इसके अलावा गुजरात और कश्मीर सीमा पर भी कुछ घटनाओं की सूचना मिली है.

पढ़ें : खुफिया एजेंसी को मिली आतंकियों के नापाक साजिशों की भनक, हाई अलर्ट पर जम्मू-कश्मीर व पंजाब

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