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नए संसद में सेंगोल स्थापना के नियमों का हो पालन : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना और दिल्ली में महिला पहलवानों से की गई बदसलूकी पर अपनी बात रखी है. सेंगोल स्थापना को केवल प्रतीकात्मक रूप में स्थापित करने को लेकर शंकराचार्य ने आपत्ति जताई है.

Shankaracharya Avikteshwaranands statement
नए संसद में सेंगोल स्थापना के नियमों का हो पालन
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Published : May 29, 2023, 8:04 PM IST

नए संसद में सेंगोल स्थापना के नियमों का हो पालन

रायपुर : नए संसद भवन में सेंगोल स्थापना को लेकर छिड़े विवाद के बीच रायपुर पहुंचे ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुराने संसद भवन और नए संसद भवन को लेकर कहा कि "पुराने संसद भवन में जहां लोकसभा स्पीकर बैठा करते थे, वहां 'यतो धर्म: ततो जय:' लिखा था, जिसका मतलब ये हुआ कि जहां धर्म है वहीं विजय है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या जो शब्द संसद में लिखे गए थे उनका पालन पुराने संसद भवन में होता था. नए संसद भवन में राजदंड तो स्थापित कर दिया गया, लेकिन जो प्रतीक स्थापित किए जाते हैं उनके पीछे जो अर्थ निहित हैं उनकी उपेक्षा हो जाती है."

राजदंड के अर्थ को समझना है जरूरी: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मानें तो नई संसद में धर्म दंड तो लगाया गया. लेकिन उसके पीछे निहितार्थ पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पत्र में या प्रधानमंत्री के भाषण में कोई बात नहीं आई. केवल उस प्रतीक को रखकर ऊपर सब काम किया जा रहा है. केवल दिखावा करने से नहीं होता है. अगर कोई बात कही जाए तो उसे गंभीरता से निभाना पड़ता है. निर्वाह कितना होगा, इसी पर सब कुछ निर्भर करता है. अगर धर्म दंड के अर्थ को निभाया गया तो वह ऐतिहासिक दिन होगा . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजदंड स्थापित किया है. यदि उसके पीछे के अर्थ को नहीं निभाया गया तो यह सिर्फ केवल कर्मकांड होकर रह जाएगा.

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महिला पहलवानों के साथ बदसलूकी गलत: दिल्ली में महिला पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को गलत बताया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक हम नारी सशक्तिकरण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं. एक तरफ हम नई संसद का उद्घाटन होता देख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उस भवन के सामने बहनों को घसीटा जाता है. दोनों ही दृश्य एक साथ देखने में अस्वीकार्य हैं. ऐसी चीजें होने से पहले ही सरकार को कदम उठाने की जरूरत है.

हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य की है जरूरत: हिंदू राष्ट्र बनाने की बात पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसी मांग करने वालों से एक प्रारूप सबके सामने रखने की सलाह दी. कहा "देश की आजादी के समय लोगों ने हिंदू राष्ट्र की बात उठाई थी. उस समय करपात्री महाराज ने कहा था हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, हमें रामराज्य की आवश्यकता है. हिंदू राष्ट्र कहने से वह बात नहीं आती जो रामराज्य कहने से आती है. हम नए राष्ट्र की स्थापना करना चाहते हैं तो हमें रामराज्य की बात भी करनी चाहिए.

शराबबंदी का किया समर्थन: शराबबंदी का समर्थन करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इससे अपराध का ग्राफ बढ़ने की बात कही. साथ ही उम्मीद जताई कि छत्तीसगढ़ में अगर जनता चाहेगी तो शराबबंदी जरूर होगी और सरकार भी इसमें मदद करेगी.

नए संसद में सेंगोल स्थापना के नियमों का हो पालन

रायपुर : नए संसद भवन में सेंगोल स्थापना को लेकर छिड़े विवाद के बीच रायपुर पहुंचे ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पुराने संसद भवन और नए संसद भवन को लेकर कहा कि "पुराने संसद भवन में जहां लोकसभा स्पीकर बैठा करते थे, वहां 'यतो धर्म: ततो जय:' लिखा था, जिसका मतलब ये हुआ कि जहां धर्म है वहीं विजय है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या जो शब्द संसद में लिखे गए थे उनका पालन पुराने संसद भवन में होता था. नए संसद भवन में राजदंड तो स्थापित कर दिया गया, लेकिन जो प्रतीक स्थापित किए जाते हैं उनके पीछे जो अर्थ निहित हैं उनकी उपेक्षा हो जाती है."

राजदंड के अर्थ को समझना है जरूरी: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मानें तो नई संसद में धर्म दंड तो लगाया गया. लेकिन उसके पीछे निहितार्थ पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पत्र में या प्रधानमंत्री के भाषण में कोई बात नहीं आई. केवल उस प्रतीक को रखकर ऊपर सब काम किया जा रहा है. केवल दिखावा करने से नहीं होता है. अगर कोई बात कही जाए तो उसे गंभीरता से निभाना पड़ता है. निर्वाह कितना होगा, इसी पर सब कुछ निर्भर करता है. अगर धर्म दंड के अर्थ को निभाया गया तो वह ऐतिहासिक दिन होगा . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजदंड स्थापित किया है. यदि उसके पीछे के अर्थ को नहीं निभाया गया तो यह सिर्फ केवल कर्मकांड होकर रह जाएगा.

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हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य की है जरूरत: हिंदू राष्ट्र बनाने की बात पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसी मांग करने वालों से एक प्रारूप सबके सामने रखने की सलाह दी. कहा "देश की आजादी के समय लोगों ने हिंदू राष्ट्र की बात उठाई थी. उस समय करपात्री महाराज ने कहा था हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, हमें रामराज्य की आवश्यकता है. हिंदू राष्ट्र कहने से वह बात नहीं आती जो रामराज्य कहने से आती है. हम नए राष्ट्र की स्थापना करना चाहते हैं तो हमें रामराज्य की बात भी करनी चाहिए.

शराबबंदी का किया समर्थन: शराबबंदी का समर्थन करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इससे अपराध का ग्राफ बढ़ने की बात कही. साथ ही उम्मीद जताई कि छत्तीसगढ़ में अगर जनता चाहेगी तो शराबबंदी जरूर होगी और सरकार भी इसमें मदद करेगी.

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