रायपुर: सभी राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से घोषणापत्र को अलग अलग नाम से पुकारते हैं. कोई घोषणा पत्र, कोई संकल्प तो कोई गारंटी कार्ड बता रहा है. राजनीतिक दलों की ओर से बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं. उसमें खासकर फ्री देने की घोषणा एक प्रमुख होती है, जिसे फ्री की रेवड़ी या फिर फ्रीबीज कहा जाता है. इनका चुनाव में क्या प्रभाव पड़ता है, इसे राजनीतिक दल किस रूप में देखते हैं और राजनीति के जानकार इसकी किस तरीके से समीक्षा करते हैं, आईये जानने की कोशिश करते हैं.
आम आदमी पार्टी फ्री योजना: सबसे पहले बात करते हैं आम आदमी पार्टी की, जिन्होंने शनिवार को 10 गारंटी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेशवासियों को दी. इसमें कुछ फ्री देने की भी योजना है, जिसमें निशुल्क स्वास्थ्य, निशुल्क शिक्षा, निशुल्क बिजली, महिलाओं को 1000 रुपये प्रति महीना, बुजुर्गों को निशुल्क तीर्थ यात्रा आदि शामिल हैं.
सीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर फ्री योजना का किया ऐलान: कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस ने भी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्दे नजर फ्री योजनाओ का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को दिए अपने भाषण में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों को मुफ्त में ऑनलाइन कोचिंग पढ़ने की व्यवस्था, हाईस्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के लिए मुफ्त में बस सेवा की घोषणा की. 60 साल पूरा कर चुके मजदूरों को 1500 रुपए मासिक पेंशन देने की भी सीएम ने ऐलान किया. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान अपने जन घोषणापत्र में भी किसानों कर्ज माफ और बिजली बिल हाफ सहित कुछ योजना का जिक्र किया था.
भाजपा ने की थी निशुल्क साइकिल, लैपटॉप और मोबाइल देने की घोषणा: फ्री योजनाओं को लेकर भाजपा भी पीछे नहीं है. भाजपा सरकार में भी एक रुपए, दो रुपए किलो चावल बांटे गए. छात्र-छात्राओं को साइकिल, मोबाइल और लैपटॉप बांटे गए. किसानों को एक निश्चित यूनिट तक निशुल्क बिजली बिल देने की घोषणा की गई थी. मजदूरों को निशुल्क औजार और चरण पादुका बांटी गई. इसके अलावा भी कई चीजें निशुल्क उपलब्ध कराई गई.
हम फ्री की रेवड़ी बाटेंगे, जिसको प्रॉब्लम है वह मत दे-संदीप पाठक: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि हम फ्री की रेवड़ी बाटेंगे, जिसको प्रॉब्लम है वह मत दे. किसी से पूछ लो सबको फ्री चाहिए.
जनता का पैसा है. किसी का क्या जाता है. जनता का पैसा है, जनता की कमाई का पैसा है. जनता टैक्स देती है, उसका पैसा बच रहा है. उसकी जेब में जा रहा है. आप करके देखो. राजनेताओं के लिए फ्री मिलेगा गारंटी है, वह बड़े खुश हो जाएंगे, यदि जनता को बिजली देते हैं तो उनके पेट में क्यों दर्द होता है. -संदीप पाठक, राज्यसभा सांसद, आप
आप पर जनता नहीं करेगी गौर, भाजपा कांग्रेस में ही मुकाबला: भाजपा प्रदेश मीडिया विभाग के प्रमुख अमित चिमनानी का कहना है आम आदमी पार्टी का छत्तीसगढ़ में कोई प्रभाव नहीं दिखता है. जो कहे हैं उस पर मुझे नहीं लगता की जनता कोई गौर करेगी. लोकतंत्र में सभी को अधिकार है. अपनी-अपनी मेहनत करें, लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही चुनाव है. कांग्रेस ने जो किया है छल किया है. बिजली बिल हाफ नहीं हुआ है. कभी घोषणापत्र में यूनिट नहीं लिखा था और बिजली का बिल 5 बार बढ़ाया. जितना सब्सिडी मिली, उससे ज्यादा सरकार ने जनता से वसूल लिया. किसानों के कर्ज माफी की बात की, लेकिन केवल सरकारी समितियों का कर्जा माफ हुआ है. आज भी प्राइवेट बैंक के लोगों का कर्ज माफ नहीं हुआ है. ऐसे में इनकी वादे जो थे, वह अभी भी अधूरे हैं.
फ्री योजना किस प्रकार की है, वह उस पर निर्भर करता है कि उसे लेकर वोटर कैसा सोचता है. इसका यूनिवर्सल कानून या नियम नहीं है. छत्तीसगढ़ में भुखमरी से बचाने के लिए फ्री और एक रुपये किलो चावल की स्कीम लागू की. आगे भी भाजपा ऐसी जो भी जरूरत की चीज होंगी, लेकर आएगी. अब तक बीजेपी की सारी योजनाओं को जनता ने पसंद किया. -अमित चिमनानी, प्रदेश प्रमुख, मीडिया विभाग भाजपा
भाजपा ने वादे पूरे किए होते तो 15 सीट पर न सिमटते-कांग्रेस: फ्री की रेवड़ी को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग से प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि यदि भाजपा प्रदेश की जनता को 15 साल में किए वादों को पूरा करती तो वह 15 सीटों पर नहीं सिमटती. भाजपा ने आदिवासियों को जर्सी गाय देने का वादा किया था, उनके परिवार के सदस्य एक सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, 12वीं पास युवाओं को 5000 बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, प्रदेश के किसानों को धान की कीमत 2100 और 300 रुपये बोनस देने के वादा भी किया था. ऐसे बहुत सारे वादे भाजपा ने किया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया.
घोषणा पर अमल नहीं करती भाजपा और आम आदमी पार्टी: धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा की घोषणा तो बहुत से लोग करते हैं, लेकिन उन घोषणाओं को धरातल पर कितने लोग उतरते हैं. कांग्रेस ने 2018 विधानसभा चुनाव में घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें किसानों के कर्ज माफी की बात कही थी. बिजली बिल हाफ बात थी, युवाओं के रोजगार का विषय था, जो जनता के सुझाव आए थे, 36 में 34 बिंदुओं को पूरा करने का काम कांग्रेस सरकार ने किया है. घोषणा करना अलग बात है और उसे अमल करना अलग विषय है. केजरीवाल, नरेंद्र मोदी या भाजपा सरकार हों, इन्होंने जनता के साथ धोखा किया है.
यदि किसान कर्ज में डूबा हुआ है और हताश और परेशान है तो सरकार का दायित्व है कि उसे कर्ज मुक्त किया जाए. यदि युवा के पास कोई रोजगार नहीं है तो उसके लिए योजना लाना, यदि कोई महंगाई से परेशान उसकी मदद करना और इसे भाजपा फ्री रेवड़ी बताकर बात करती है तो वह देश की जनता का मजाक उड़ाती है. देश और प्रदेश के खजाने पर किसी का अधिकार होता है तो वह सबसे पहले उस देश और प्रदेश की जनता का होता है. -धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
फ्री की रेवाड़ी का मतदाता पर दिखता है असर: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध का कहना है कि फ्री की रेवाड़ी का असर चुनाव में देखने को मिलता है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यह घोषणाएं चुनाव को प्रभावित करती हैं. चाहे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार हो या फिर वर्तमान में कांग्रेस की सरकार. दोनों के टाइम में फ्री घोषणाओं का मतदाताओं पर खासा असर देखने को मिला है. इस विधानसभा चुनाव में भी फ्री देने के ऐलान का प्रभाव देखने को मिलेगा.
अरविंद केजरीवाल ने 10 गारंटी देकर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए फ्री कल्चर की शुरुआत कर दी है. अब देखना ये है कि भाजपा और कांग्रेस इसकी काट खोजते हुए आने वाले दिनों में क्या क्या घोषणाएं करते हैं.