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शौचालय न जाना पड़े इसलिए कम पानी पीती हैं सरकारी स्कूल की शिक्षिकाएं, जानिए क्या है कारण - यूपी के बदहाल प्राइमरी स्कूल

उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के माध्यमिक व बेसिक शिक्षा के विद्यालयों को लगातार अपग्रेड करने का काम कर रही है. इसके बावजूद यह काम अभी आधा अधूरा ही है. शौचालयों के अभाव में महिला टीचरों के अलावा बालिकाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jun 23, 2023, 9:43 PM IST

Updated : Jun 23, 2023, 10:38 PM IST

बीमार हो रहीं सरकारी स्कूल की शिक्षिकाएं. देखें खबर


लखनऊ : यूपी के बेसिक शिक्षा विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाएं कई तरह की समस्याओं का सामना करते हुए नौकरी कर रही हैं. प्रदेश के करीब 85 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षकों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं. विद्यालयों में बने शौचालय छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए हैं, लेकिन अधिकतर शौचालयों में पानी की सप्लाई और साफ-सफाई की व्यवस्था की कमी है. इस कारण शिक्षकाएं इन शौचालयों के प्रयोग नहीं करती हैं. टॉयलेट न जाना पड़े इसके लिए शिक्षिकाएं पानी कम पीती हैं. जिसके कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है.

जारी आदेश.
जारी आदेश.


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिला मंत्री लल्ली सिंह ने बताया कि शिक्षकों के मन में टॉयलेट नहीं जाने का डर इस कदर है कि वह इस भीषण गर्मी में भी पानी पीने से परहेज करती हैं. ऐसे में वे घंटों पानी नहीं पीती हैं. उन्हें डर है कि अगर वह इस गर्मी में ज्यादा पानी पिएंगी तो उन्हें टॉयलेट जाना पड़ेगा. लली सिंह के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति बहुत ही खराब है. विद्यालय में शौचालय न होने से बहुत सी शिक्षिकाओं को टॉयलेट के लिए पास के घरों में जाना पड़ता है. वहीं नगर क्षेत्र में कई विद्यालय ऐसे हैं जो किराए के मकान में चल रहे हैं और यहां टॉयलेट नहीं हैं. ऐसे में दूसरे के घरों में भी टॉयलेट जाना पड़ता है.

प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.

प्रदेश के जिन विद्यालयों में टॉयलेट नहीं हैं, वहां की शिक्षिकाओं को बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टॉयलेट की व्यवस्था न होने के कारण शिक्षिकाएं वर्किंग आवर्स के दौरान कम पानी पीती हैं. लंबे समय तक पानी न पीने के कारण शिक्षिकाओं में किडनी के इन्फेक्शन, सिर चकराना व चिड़चिड़ापन जैसी शिकायतें आम होती जा रही हैं. प्रदेश के कई जिलों से हमारे संघ को इसकी शिकायतें मिली हैं. जिसको लेकर कई बार संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी व ग्राम प्रधान से वार्ता कर शौचालय निर्माण कराने की बात हुई है. कई बार तो समस्याओं का समाधान अधिकारियों व प्रधानों द्वारा कर दिया जाता है, पर ज्यादातर विद्यालयों में यह समस्या अभी भी बनी हुई है.

यूपी के बेसिक स्कूलों में शौचालयों की व्यवस्था.
यूपी के बेसिक स्कूलों में शौचालयों की व्यवस्था.




प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने बीते वर्ष प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. इस पत्र के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 29 मार्च 2023 को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा था. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, दिव्यांगों के लिए शौचालयों और स्टाफ हेतु शौचालय का निर्माण विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से कराए जाने का आदेश दिया था. इस आदेश में उन्होंने कहा था कि सभी प्रश्न विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं अभियान के रूप में कराया जाए. इन सभी अवस्थापना सुविधाओं से सभी परिषदीय विद्यालयों को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.



यह भी पढ़ें : KGMU में 1276 नर्सिंग ऑफिसर की भर्ती होगी, ऐसे करें आवेदन

बीमार हो रहीं सरकारी स्कूल की शिक्षिकाएं. देखें खबर


लखनऊ : यूपी के बेसिक शिक्षा विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाएं कई तरह की समस्याओं का सामना करते हुए नौकरी कर रही हैं. प्रदेश के करीब 85 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षकों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं. विद्यालयों में बने शौचालय छात्र-छात्राओं के प्रयोग के लिए हैं, लेकिन अधिकतर शौचालयों में पानी की सप्लाई और साफ-सफाई की व्यवस्था की कमी है. इस कारण शिक्षकाएं इन शौचालयों के प्रयोग नहीं करती हैं. टॉयलेट न जाना पड़े इसके लिए शिक्षिकाएं पानी कम पीती हैं. जिसके कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है.

जारी आदेश.
जारी आदेश.


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिला मंत्री लल्ली सिंह ने बताया कि शिक्षकों के मन में टॉयलेट नहीं जाने का डर इस कदर है कि वह इस भीषण गर्मी में भी पानी पीने से परहेज करती हैं. ऐसे में वे घंटों पानी नहीं पीती हैं. उन्हें डर है कि अगर वह इस गर्मी में ज्यादा पानी पिएंगी तो उन्हें टॉयलेट जाना पड़ेगा. लली सिंह के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति बहुत ही खराब है. विद्यालय में शौचालय न होने से बहुत सी शिक्षिकाओं को टॉयलेट के लिए पास के घरों में जाना पड़ता है. वहीं नगर क्षेत्र में कई विद्यालय ऐसे हैं जो किराए के मकान में चल रहे हैं और यहां टॉयलेट नहीं हैं. ऐसे में दूसरे के घरों में भी टॉयलेट जाना पड़ता है.

प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.
प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र.

प्रदेश के जिन विद्यालयों में टॉयलेट नहीं हैं, वहां की शिक्षिकाओं को बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टॉयलेट की व्यवस्था न होने के कारण शिक्षिकाएं वर्किंग आवर्स के दौरान कम पानी पीती हैं. लंबे समय तक पानी न पीने के कारण शिक्षिकाओं में किडनी के इन्फेक्शन, सिर चकराना व चिड़चिड़ापन जैसी शिकायतें आम होती जा रही हैं. प्रदेश के कई जिलों से हमारे संघ को इसकी शिकायतें मिली हैं. जिसको लेकर कई बार संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी व ग्राम प्रधान से वार्ता कर शौचालय निर्माण कराने की बात हुई है. कई बार तो समस्याओं का समाधान अधिकारियों व प्रधानों द्वारा कर दिया जाता है, पर ज्यादातर विद्यालयों में यह समस्या अभी भी बनी हुई है.

यूपी के बेसिक स्कूलों में शौचालयों की व्यवस्था.
यूपी के बेसिक स्कूलों में शौचालयों की व्यवस्था.




प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने बीते वर्ष प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. इस पत्र के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 29 मार्च 2023 को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा था. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, दिव्यांगों के लिए शौचालयों और स्टाफ हेतु शौचालय का निर्माण विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से कराए जाने का आदेश दिया था. इस आदेश में उन्होंने कहा था कि सभी प्रश्न विद्यालयों में मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं अभियान के रूप में कराया जाए. इन सभी अवस्थापना सुविधाओं से सभी परिषदीय विद्यालयों को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.



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Last Updated : Jun 23, 2023, 10:38 PM IST
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