नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की मौजूदगी में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे. यह कार्यक्रम छह साल बाद हो रहा है. सम्मेलन न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने का एक मंच है. अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए न्यायमूर्ति रमना के प्रस्ताव को सम्मेलन के एजेंडे का हिस्सा बनाया गया है. सूत्रों ने बताया कि न्यायिक रिक्तियों को भरने, लंबित मामलों, कानूनी सहायता सेवाएं और भविष्य के प्रारूप तथा ई-अदालत चरण-तीन जैसे विषय भी एजेंडे के शीर्ष में रखे गए हैं.
न्यायमूर्ति रमना और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी दिनभर चलने वाले कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे. सम्मेलन के उद्घाटन के बाद विभिन्न कार्य सत्र आयोजित किए जाएंगे जिनमें मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एजेंडे में शामिल विषयों पर चर्चा करेंगे और आम सहमति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे. सामान्य तौर पर इस तरह के सम्मेलन हर दो साल में होते हैं लेकिन कुछ अपवाद भी हैं. पिछला सम्मेलन अप्रैल 2016 में आयोजित किया गया था. इसके साथ ही यह 2015 और इससे पहले 2013 में आयोजित किया गया था.
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कुछ महीने पहले न्यायमूर्ति रमना ने अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने के वास्ते भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था. प्रस्तावित संगठन भारतीय अदालत प्रणाली के लिए कार्यात्मक बुनियादी ढांचे के नियोजन, निर्माण, विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए प्रारूप तैयार करने में एक केंद्रीय निकाय के रूप में कार्य करेगा. सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि प्रस्ताव राज्यों को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा गया है क्योंकि उच्च न्यायालयों और निचली न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में राज्य सरकारों की प्रमुख भूमिका होती है.
(पीटीआई-भाषा)