कोरबा: कोयला खदानों (Coal Mine) से कोयले का कम उत्पादन (Coal Production) चर्चा का विषय बना हुआ है. कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) अपनी सभी अनुषंगी कंपनियों के साथ मिलकर कोयला उत्पादन की योजना (Coal Production Plan) पर काम कर रही है. एसईसीएल (South Eastern Coal Fields) की गेवरा, कुसमुंडा और दीपका खदानें कोयला उत्पादन के लिहाज और देश दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण खदान हैं.
यहां से कोयला उत्पादन (Coal Production) को बढ़ाने और गेवरा की मेगा परियोजना (Gevra of Mega Project) के विस्तार के लिए अधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं. हाल ही में बिलासपुर स्थित के मुख्यालय में एसईसीएल के सीएमडी एपी पांडा के साथ ही बिलासपुर संभाग कमिश्नर संजय अलंग, आईजी बिलासपुर रतनलाल डांगी, मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर नावेद शूजाउद्दीन के साथ कोरबा कलेक्टर रानू साहू और एसपी भोज राम पटेल की एक संयुक्त बैठक हुई थी.
जिसमें एसईसीएल कोरबा के सभी महाप्रबंधकों को भी बुलाया गया था. यह पहला अवसर है जब एसईसीएल के अधिकारियों ने राजस्व और पुलिस के साथ ही वन अधिकारियों की मौजूदगी में बैठक की. बैठक में एसईसीएल गेवरा के विस्तार के संबंध में मंथन करने के साथ ही तीव्र गति से कोयला उत्पादन में किसी तरह की परेशानी ना आए इसलिए कोयला अफसरों ने राजस्व और वन विभाग के साथ ही पुलिस विभाग से भी मदद मांगी है.
ताकि बिना अवरोध कोयला उत्पादन (Coal Production) किया जा सके. कोयला उत्पादन (Coal Production) को लेकर एसईसीएल के साथ ही कोल इंडिया (Coal India) तक के अधिकारी बेहद चिंतित हैं. पिछले 1 महीने से लगातार केंद्रीय स्तर के अधिकारी कोरबा जिले के दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खदानों का दौरा कर अफसरों की मैराथन बैठकें ले रहे हैं.
पहली छमाही के उत्पादन लक्ष्य से बुरी तरह पिछड़ा एसईसीएल
वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में एसईसीएल कोयला उत्पादन (SECL Coal Production) के लक्ष्य से पिछड़ गया है. अप्रैल से सितंबर तक एसईसीएल को 69. 36 मिलियन टन कोयले का उत्पादन (Coal Production) करना था. इसके मुकाबले सिर्फ 54.84 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन किया जा सका है. जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल को 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य मिला है.
इस लक्ष्य के 80 फीसदी कोयले का उत्पादन कोरबा जिले की खदानों से ही किया जाना है. जिसमें है तीनों मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, कुसमुंडा और दीपका का बेहद महत्वपूर्ण योगदान है. एसईसीएल को सितंबर माह में ही 12.63 मिलन टन कोयले का उत्पादन कर लेना चाहिए था. लेकिन इसके विरुद्ध भी एसईसीएल ने 8 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन किया है. सितंबर माह में कोयला उत्पादन काफी कम रहा जबकि एक कोयला उठाव में भी एसईसीएल पिछड़ गया है.
मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने 196 मिलियन टन ऑफटेक का लक्ष्य रखा है. जबकि पहली छमाही में यह भी प्राप्त नहीं किया जा सका है. 94.70 मिलियन टन का उठाव पूरा कर लेना था. जिसके विरुद्ध सिर्फ 72.43 मिलियन टन का ही उठाव हो सका है. यहां भी एसईसीएल पिछड़ा हुआ है.
एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान कोरबा के गेवरा में संचालित है. जिसे 49 से 70 एमटीपीए तक विस्तार करने के साथ ही प्रस्तावित विस्तार में 4184 से 4781 हेक्टेयर जमीन के विस्तार करने का प्रस्ताव कोयला मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया था. लेकिन इसके पहले पर्यावरण आंकलन समिति (Environment Assessment Committe) ने फिलहाल विस्तार के पहले कई तरह के खामियों को गिनाते हुए नियमों को दुरुस्त करने की बात कही है. जिसके बाद फिलहाल इस विस्तार पर रोक लग गई है. स्थानीय भू विस्थापित और किसान नेताओं की माने तो उनकी आपत्ति के बाद ही ईएसी ने यह निर्णय लिया है. जबकि एसईसीएल प्रबंधन के विभागीय अधिकारी इसे एक रूटीन प्रक्रिया बताते हैं, जोकि किसी भी कोयला खदान के विस्तार के पहले पूर्ण करने का नियम है.
2023 तक एक बिलियन टन उत्पादन का टारगेट
कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) ने देश भर के कोयला खदानों से वर्ष 2023 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन (Coal Production) का लक्ष्य तय किया है. फिलहाल उत्पादन 650 मिलियन टन है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एसईसीएल भी पूरी ताकत से काम कर रही है. इस टारगेट को ध्यान में रखते हुए ही गेवरा खदान का विस्तार 49 से सीधे 70 मिलियन टन सालाना की मांग की गई है, लेकिन इस विस्तार को लेकर भी कई तरह के पेंच फंसे हुए हैं. विभिन्न संगठनों की आपत्तियां हैं, पर्यावरण के मानदंड हैं. भू विस्थापित संगठन हो या किसान सभा सभी ने इसके विरोध में कई शिकायतें दर्ज कराई हैं. इएसी ने भी कुछ नियमों को पूरा करने की बात कही है, जो कि एसईसीएल के अफसरों के लिए चिंता का विषय है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमतों में भारी वृद्धि
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमतों में भारी वृद्धि (Huge Increase In International Coal Prices) हुई है. देश के निजी पावर प्लांट और अन्य संयंत्रों में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और चीन से आयात होने वाले कोयले पर पूरी तरह से रोक लगी है. जो कोयला 17 हजार रुपये प्रति टन की दर पर मिल जाया करता था. वर्तमान समय में इसकी कीमत 19 हजार रुपये प्रति टन हो गयी है. इसके कारण देश के पावर सेक्टर ने विदेश से कोयला मंगाना बंद कर दिया है.
अब इस कोयले की आपूर्ति भी कोल इंडिया लिमिटेड की तरफ से की जा रही है. एसईसीएल द्वारा भी पावर सेक्टर को कोयला प्रदाय किया जा रहा है. जिसके कारण कोयले की मांग में इजाफा हुआ है. खास तौर पर राज्य सरकार के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जहां कोयले की कमी बनी हुई है.
जिले के पावर प्लांट भी जूझ रहे कोयले की कमी से
छत्तीसगढ़ के सभी बड़े पावर प्लांट कोरबा जिले में ही स्थापित हैं. कोरबा में एनटीपीसी, बालको, डीएसपीएम, कोरबा ईस्ट, वेस्ट के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल और एनटीपीसी को मिलाकर 6000 मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन की क्षमता है. यह सभी मिलकर औसतन 3,650 मेगावाट बिजली रोज उत्पादन करते हैं.
वर्तमान में इन सभी पावर प्लांटों के पास सिर्फ 3 से 4 दिनों के कोयले का ही स्टॉक शेष है. जबकि सामान्य दिनों में कोयले का स्टॉक कम 15 दिनों से लेकर 3 महीने तक होता है. यह बड़ी चिंता का विषय है, बिजली कंपनी के निदेशक एनके बिजौरा ने भी इस पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि पावर प्लांट के पास निर्धारित मात्रा में कोयले का स्टॉक नहीं है, जोकि चिंता का कारण है.
अधिक बारिश से उत्पादन प्रभावित
एसईसीएल बिलासपुर के जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्रा का कहना है कि इस वर्ष सितंबर में अत्यधिक बारिश हुई है. जिससे कोयला उत्पादन पर विपरीत प्रभाव (Adverse Effect on Coal Production) पड़ा है. हम लक्ष्य से पिछड़े जरूर हैं, लेकिन आने वाले दिनों में इसकी भरपाई कर ली जाएगी. उम्मीद है कि अक्टूबर महीने में परिस्थितियां सामान्य होगी. एसईसीएल से अब पावर सेक्टर को सीधे कोयला सप्लाई किया जा रहा है. कोयला उत्पादन और भी तेज गति से करने का दबाव है. आने वाले दिनों में एसईसीएल की कोयला खदानें (Coal Stock) पूरी क्षमता से कोयले का उत्पादन करेंगी. किसी भी क्षेत्र में कोयला संकट वाली स्थिति पैदा ना हो इस का भरसक प्रयास किया जाएगा.