मेरठ : अब बैलों के बल से बिजली पैदा होगी. इससे गौशालाएं रोशन होंगी. प्रति घंटे बैल 20 यूनिट बिजली पैदा कर सकेंगे. मेरठ के एक इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में स्थित अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर की ओर से इस पर तेजी से काम किया जा रहा है. इसे लेकर पश्चिमी यूपी में खास प्लान तैयार किया गया है. इसके तहत जिले के रोहटा ब्लॉक की गौशाला में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाए जाएंगे.
इस तरह आया बैलों से बिजली बनाने का आइडिया : खेती-किसानी में बैलों की उपयोगिता खत्म होने के बाद ग्रामीण इलाकों में भी इन्हें बोझ समझा जाने लगा है. कहीं-कहीं पर इनका इस्तेमाल बैलगाड़ी आदि में किया जाता है. अब इन्हीं बैलों से बिजली पैदा करने की रणनीति बनाई गई है. जिला प्रशासन के सहयोग से मेरठ के गौशाला में जल्द इस पर काम शुरू करने की तैयारी है. मेरठ के एक इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में स्थित अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर में इस पर प्रयोग किए जा चुके हैं. कौशांबी के रहने वाले विवेक कुमार पटेल ने बताया कि उनके दिमाग में बेकार घूम रहे बैलों को उपयोगी बनाने का आइडिया काफी दिनों से आ रहा था. हर किसी को बिजली की जरूरत है. ऐसे में बैलों से बिजली बनाने की रणनीति पर काम शुरू किया गया.
सीडीओ ने दी प्रोजेक्ट को मंजूरी, डेढ़ लाख का आया खर्च : विवेक कुमार ने बताया कि बैलों से बिजली बनाने के लिए प्रोजेक्ट तैयार है. इसे पेटेंट भी करा लिया गया है. मुख्य विकास अधिकारी से संपर्क कर गौशाला में प्रोजेक्ट लगाने की बात हो चुकी है. अनुमति मिलने के बाद इस पर काम शुरू कर दिया गया है. इसमें डेढ़ लाख रुपये का खर्चा आया. अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर की तरफ से इसका खर्च उठाया गया. एक घंटे में एक बैल से लगभग 10 से 20 यूनिट बिजली पैदा की जा सकेगी.इससे बैलों का अस्तित्व भी बचा रहेगा. इसका पेटेंट भी करा लिया गया है. प्रोजेक्ट का नाम बैल का बल रखा गया है.
रोहटा ब्लॉक की गौशाला में लगाए जाएंगे संयंत्र : मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी अखिलेश गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि बैलों के बल से बिजली उत्पादन को लेकर स्थान का भी चयन कर लिया गया है. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह खास संयंत्र जिले की रोहटा ब्लॉक की गौशाला में लगाया जाएगा. मंडल के ही बागपत में इसका प्रयोग किया जा चुका है. यह प्रयोग काफी सफल रहा. संयंत्र लगने के बाद शुरू में जो बिजली तैयार होगी, उसका उपयोग गौशाला में ही किया जाएगा. अटल इन्नोवेशन सेटर से जुड़े लोग ही इसकी निगरानी करेंगे. प्रयोग सफल रहने पर इसका विस्तार किया जाएगा. बिजली का इस्तेमाल किन रूपों में किया जा सकता है, इसकी रणनीति बनाई जाएगी.
प्रोजेक्ट से ये होगा फायदा : अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर के सीईओ शाश्वत पाठक बताते हैं कि गौशाला में 30 रुपया प्रति गौवंश के हिसाब से सरकार की तरफ से राशि दी जाती है, यह काफी कम है. बैलों से बिजली बनने पर गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी. हर जरूरत के लिए प्रशासन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. सरकार के क्लीन एनर्जी जेनरेशन के तहत इस तकनीक से बिजली पैदा करने किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होगा. बिजली की ज्यादा उत्पादन होने पर गौशाला के पास ई व्हीकल चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जा सकते हैं. शादी समेत अन्य पार्टियों के लिए इन बिजली का इस्तेमाल हो सकेगा. इनका इस्तेमाल मोबाइल बिजली के रूप में किया जा सकेगा.
इस तरह तैयार होगी बिजली : शाश्वत पाठक ने बताया कि बिजली तैयार करने के लिए बैल, अल्टीनेटर आदि की जरूरत पड़ेगी. बैल को एक उपकरण में बांध दिया जाएगा. बैल इसे लेकर गोल-गोल घूमेगा. निर्धारित आरपीएम पर अल्टीनेटर के जरिए बिजली बनेगी.अभी केवल एक बैल को लेकर योजना तैयार की गई है. अगर अल्टीनेटर की क्षमता बढ़ा दी जाए, और एक साथ चार बैलों को जोड़ दिया जाए तो 20 से 22 यूनिट प्रति घंटा बिजली का उत्पादन हो सकेगा. इस तकनीक से तैयार बिजली को पावर ग्रिड को भी बेची जा सकती है.
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