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गृह मंत्रालय का बड़े पैमाने पर सीमाओं को मजबूत करने का कार्यक्रम शुरू

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Published : Apr 13, 2022, 7:22 AM IST

गृह मंत्रालय (MHA) ने देश की विभिन्न सीमाओं पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की पहल की है. इससे देश की सुरक्षा बढ़ेगी साथ ही सीमा से लगे गांवों का विकास होगा. सुरक्षा विशेषज्ञ और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीके खन्ना ( BK Khanna) ने ईटीवी भारत को बताया कि इस तरह की पहल की बहुत आवश्यकता है.

Home Ministry's program to strengthen borders started on a large scale
गृह मंत्रालय का बड़े पैमाने पर सीमाओं को मजबूत करने का कार्यक्रम शुरू

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने भारत की विभिन्न सीमाओं पर तेजी से बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की पहल की है. चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार, पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा सहित अन्य सभी सीमाओं पर इस पहल को लागू किया जाएगा. भारत, चीन के साथ 3488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. यह सीमा भारतीय राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ लगती है. वहीं, भारत और नेपाल के बीच 1751 किलोमीटर लंबी सीमा है जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ लगती है.

इसी तरह भारत भूटान के साथ 699 किलोमीटर सीमा क्षेत्र और म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. वहीं, पाकिस्तान के साथ भारत 3323 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है जो गुजरात, राजस्थान, पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ लगती है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारत-चीन सीमा पर 32 हेलीपैडों के निर्माण और उन्नयन के अलावा गृह मंत्रालय ने 47 नए आईटीबीपी बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) और 12 स्टेजिंग कैंप विकसित करने का भी फैसला किया है. सीमावर्ती क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की पहल की गई है.'

भारत-चीन सीमा: 1. भारत-चीन सीमा (भारत-चीन सीमा सड़क) ICBR-I, 25 सड़कों का निर्माण. 2. 32 आईसीबीआर-II सड़कों का निर्माण. 3. लद्दाख में भारत-चीन सीमा सड़कों पर एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण. 4. 32 हेलीपैडों का निर्माण एवं उन्नयन. 5. अरुणाचल प्रदेश में 18 फुट ट्रैक का निर्माण. 6. 47 नए आईटीबीपी बीओपी और 12 स्टेजिंग कैंप का विकास.

भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा: 1. बिहार, यूपी और उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर 1377 किमी सड़कों का निर्माण.2 एसएसबी, बीओपी (SSB BOPs) के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और भूमि अधिग्रहण.

भारत-म्यांमार सीमा: 1. असम राइफल्स के कंपनी ऑपरेटिंग बेस (COBs) के बुनियादी ढांचे का निर्माण और विकास. 2. भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ और सड़क का निर्माण.

भारत-पाकिस्तान सीमा: 1. चारदीवारी का निर्माण एवं सड़क निर्माण कार्य. 2. फ्लड लाइटिंग कार्यों व्यवस्था. 3. पंजाब और राजस्थान क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के साथ-साथ तकनीकी विकास. 4. गुजरात में समुद्री बुनियादी ढांचे का निर्माण.

भारत-बांग्लादेश सीमा: 1. बाड़ का निर्माण और सड़क का काम. 2. त्रिपुरा में बीओपी सिमना से बीओपी हरिनाखोला तक आईबीबी रोड (द्वितीय चरण) और पुलों का निर्माण. 3. प्रौद्योगिकी समाधानों को शामिल करना और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव करना.गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा को लेकर 751.58 किलोमीटर लंबी 25 आईसीबीआर-I सड़कों के निर्माण के लिए 3482.52 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. इसी तरह, 12434.90 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 683.12 किलोमीटर की 32 आईसीबीआर-द्वितीय सड़कों का निर्माण पूरा किया जाएगा. इस परियोजना को 2020 में मंजूरी दी गई थी. सीमा क्षेत्र के विकास को लेकर लिए गृह मंत्रालय द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों पर बात करते हुए सुरक्षा विशेषज्ञ और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीके खन्ना ( BK Khanna) ने ईटीवी भारत को बताया कि इस तरह की पहल की बहुत आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- यमन में भारतीय महिला को मौत की सजा मामले में केंद्र काे निर्देश देने से हाईकाेर्ट का इनकार

ऐसे समय में जब भारत मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन से सीमा मुद्दों का सामना कर रहा है तो ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास महत्वपूर्ण है. यह पहल न केवल भारत की सुरक्षा और सीमा सुरक्षा बलों के लिए मददगार है बल्कि, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी प्रेरित करेगी. कई मौकों पर यह पाया गया है कि सीमावर्ती लोग बुनियादी ढांचे, संचार सुविधाओं और अन्य विकास की कमी के कारण अपने गांवों को छोड़ देते हैं.

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने भारत की विभिन्न सीमाओं पर तेजी से बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की पहल की है. चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार, पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा सहित अन्य सभी सीमाओं पर इस पहल को लागू किया जाएगा. भारत, चीन के साथ 3488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. यह सीमा भारतीय राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ लगती है. वहीं, भारत और नेपाल के बीच 1751 किलोमीटर लंबी सीमा है जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ लगती है.

इसी तरह भारत भूटान के साथ 699 किलोमीटर सीमा क्षेत्र और म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. वहीं, पाकिस्तान के साथ भारत 3323 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है जो गुजरात, राजस्थान, पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ लगती है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारत-चीन सीमा पर 32 हेलीपैडों के निर्माण और उन्नयन के अलावा गृह मंत्रालय ने 47 नए आईटीबीपी बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) और 12 स्टेजिंग कैंप विकसित करने का भी फैसला किया है. सीमावर्ती क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की पहल की गई है.'

भारत-चीन सीमा: 1. भारत-चीन सीमा (भारत-चीन सीमा सड़क) ICBR-I, 25 सड़कों का निर्माण. 2. 32 आईसीबीआर-II सड़कों का निर्माण. 3. लद्दाख में भारत-चीन सीमा सड़कों पर एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण. 4. 32 हेलीपैडों का निर्माण एवं उन्नयन. 5. अरुणाचल प्रदेश में 18 फुट ट्रैक का निर्माण. 6. 47 नए आईटीबीपी बीओपी और 12 स्टेजिंग कैंप का विकास.

भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा: 1. बिहार, यूपी और उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर 1377 किमी सड़कों का निर्माण.2 एसएसबी, बीओपी (SSB BOPs) के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और भूमि अधिग्रहण.

भारत-म्यांमार सीमा: 1. असम राइफल्स के कंपनी ऑपरेटिंग बेस (COBs) के बुनियादी ढांचे का निर्माण और विकास. 2. भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ और सड़क का निर्माण.

भारत-पाकिस्तान सीमा: 1. चारदीवारी का निर्माण एवं सड़क निर्माण कार्य. 2. फ्लड लाइटिंग कार्यों व्यवस्था. 3. पंजाब और राजस्थान क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के साथ-साथ तकनीकी विकास. 4. गुजरात में समुद्री बुनियादी ढांचे का निर्माण.

भारत-बांग्लादेश सीमा: 1. बाड़ का निर्माण और सड़क का काम. 2. त्रिपुरा में बीओपी सिमना से बीओपी हरिनाखोला तक आईबीबी रोड (द्वितीय चरण) और पुलों का निर्माण. 3. प्रौद्योगिकी समाधानों को शामिल करना और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव करना.गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा को लेकर 751.58 किलोमीटर लंबी 25 आईसीबीआर-I सड़कों के निर्माण के लिए 3482.52 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. इसी तरह, 12434.90 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 683.12 किलोमीटर की 32 आईसीबीआर-द्वितीय सड़कों का निर्माण पूरा किया जाएगा. इस परियोजना को 2020 में मंजूरी दी गई थी. सीमा क्षेत्र के विकास को लेकर लिए गृह मंत्रालय द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों पर बात करते हुए सुरक्षा विशेषज्ञ और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीके खन्ना ( BK Khanna) ने ईटीवी भारत को बताया कि इस तरह की पहल की बहुत आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- यमन में भारतीय महिला को मौत की सजा मामले में केंद्र काे निर्देश देने से हाईकाेर्ट का इनकार

ऐसे समय में जब भारत मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन से सीमा मुद्दों का सामना कर रहा है तो ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास महत्वपूर्ण है. यह पहल न केवल भारत की सुरक्षा और सीमा सुरक्षा बलों के लिए मददगार है बल्कि, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी प्रेरित करेगी. कई मौकों पर यह पाया गया है कि सीमावर्ती लोग बुनियादी ढांचे, संचार सुविधाओं और अन्य विकास की कमी के कारण अपने गांवों को छोड़ देते हैं.

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