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कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को दी मंजूरी

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. उनकी मंजूरी के साथ ही कर्नाटक में कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक, 2021 प्रभावी हो गया है.

Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot
Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot
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Published : May 17, 2022, 10:57 PM IST

बेंगलुरू : कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश प्रभावी हो गया है. मंगलवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जो कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक 2021 (Karnataka Right to Freedom of Religion Bill 2021) को प्रभावी बनाता है. इस विधेयक को राज्य विधानसभा ने पिछले साल दिसंबर में पारित किया था. यह विधान परिषद में अटका पड़ा है क्योंकि उच्च सदन में सत्तारूढ़ भाजपा के पास बहुमत नहीं है.

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा और विधानपरिषद का सत्र नहीं चल रहा है. माननीय राज्यपाल इस बात से सहमत हैं कि ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं, जो अध्यादेश जारी करने के लिए उन्हें फौरन कार्रवाई करने की आवश्यकता बताती हैं. बता दें कि इससे पहले 12 मई को कर्नाटक सरकार ने धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का कर्नाटक संरक्षण अध्यादेश (Protection of Right To Freedom of Religion Ordinance) जारी किया था. सरकारी नोट में यह दावा किया गया है कि अध्यादेश स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा के लिए है. बता दें कि बेंगलुरु के आर्कबिशप, पीटर मचाडो ने राज्यपाल से कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक 2021 लागू नहीं करने का अनुरोध किया था.

अध्यादेश के मुताबिक प्रपंच या झूठ, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया है. अध्यादेश में इसके लिए कई नियम बनाए गए हैं.

  • धर्म परिवर्तन करने वाला, उसके माता-पिता, भाई, बहन या नजदीकी रिश्तेदार और सहकर्मी ऐसे धर्मांतरण की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
  • नियम का उल्लंघन करने वालों को तीन साल की अवधि के लिए कारावास की सजा होगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • सामूहिक धर्मांतरण के संबंध में सजा तीन साल की कैद होगी, जो दस साल तक बढ़ सकती है. इसके अलावा दोषी को क लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा.
  • अदालत के आदेश पर धर्मांतरण के पीड़ित व्यक्ति को आरोपी अधिकतम पांच लाख रुपये तक मुआवजा देना होगा, यह जुर्माने के अतिरिक्त होगा.
  • अगर कोई दूसरी बार धर्मांतरण कराने का दोषी मिलता है तो उसे कम से कम पांच साल की सजा और दो लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
  • अध्यादेश के तहत किए गए अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं.

धर्म बदलने के लिए लेनी होगी मंजूरी : कर्नाटक में रहने वाला जो भी अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे अपने निवास जिले या राज्य के भीतर जन्म स्थान के जिला मैजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के पास कम से कम तीस दिन पहले फॉर्म- I के जरिये इसके बारे में जानकारी देनी होगी. धर्मांतरण कराने वाले को 30 दिन पहले फॉर्म-2 के जरिये मैजिस्ट्रेट या उनकी की ओर से नामित अधिकारी के पास इसकी पूरी जानकारी देनी होगी.

पढ़ें : कर्नाटक में बीजेपी विधायक का बेतुका बोल, मुझे मुस्लिम वोट की जरूरत नहीं

बेंगलुरू : कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश प्रभावी हो गया है. मंगलवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जो कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक 2021 (Karnataka Right to Freedom of Religion Bill 2021) को प्रभावी बनाता है. इस विधेयक को राज्य विधानसभा ने पिछले साल दिसंबर में पारित किया था. यह विधान परिषद में अटका पड़ा है क्योंकि उच्च सदन में सत्तारूढ़ भाजपा के पास बहुमत नहीं है.

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा और विधानपरिषद का सत्र नहीं चल रहा है. माननीय राज्यपाल इस बात से सहमत हैं कि ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं, जो अध्यादेश जारी करने के लिए उन्हें फौरन कार्रवाई करने की आवश्यकता बताती हैं. बता दें कि इससे पहले 12 मई को कर्नाटक सरकार ने धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का कर्नाटक संरक्षण अध्यादेश (Protection of Right To Freedom of Religion Ordinance) जारी किया था. सरकारी नोट में यह दावा किया गया है कि अध्यादेश स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा के लिए है. बता दें कि बेंगलुरु के आर्कबिशप, पीटर मचाडो ने राज्यपाल से कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक 2021 लागू नहीं करने का अनुरोध किया था.

अध्यादेश के मुताबिक प्रपंच या झूठ, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया है. अध्यादेश में इसके लिए कई नियम बनाए गए हैं.

  • धर्म परिवर्तन करने वाला, उसके माता-पिता, भाई, बहन या नजदीकी रिश्तेदार और सहकर्मी ऐसे धर्मांतरण की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
  • नियम का उल्लंघन करने वालों को तीन साल की अवधि के लिए कारावास की सजा होगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • सामूहिक धर्मांतरण के संबंध में सजा तीन साल की कैद होगी, जो दस साल तक बढ़ सकती है. इसके अलावा दोषी को क लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा.
  • अदालत के आदेश पर धर्मांतरण के पीड़ित व्यक्ति को आरोपी अधिकतम पांच लाख रुपये तक मुआवजा देना होगा, यह जुर्माने के अतिरिक्त होगा.
  • अगर कोई दूसरी बार धर्मांतरण कराने का दोषी मिलता है तो उसे कम से कम पांच साल की सजा और दो लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.
  • अध्यादेश के तहत किए गए अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं.

धर्म बदलने के लिए लेनी होगी मंजूरी : कर्नाटक में रहने वाला जो भी अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे अपने निवास जिले या राज्य के भीतर जन्म स्थान के जिला मैजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के पास कम से कम तीस दिन पहले फॉर्म- I के जरिये इसके बारे में जानकारी देनी होगी. धर्मांतरण कराने वाले को 30 दिन पहले फॉर्म-2 के जरिये मैजिस्ट्रेट या उनकी की ओर से नामित अधिकारी के पास इसकी पूरी जानकारी देनी होगी.

पढ़ें : कर्नाटक में बीजेपी विधायक का बेतुका बोल, मुझे मुस्लिम वोट की जरूरत नहीं

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