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Jabalpur Unique Restaurant: इशारों-इशारों वाला रेस्टोरेंट, जहां मूक बधिर बनाते और सर्व करते हैं चाय-पोहा

Jabalpur Poha And Shades:एमपी के जबलपुर में इशारों-इशारों वाला रेस्टोरेंट खोला गया है, जहां मूक बधिर चाय-पोहा बनाते और सर्व करते हैं. आइए आप भी जानिए जबलपुर के यूनिक रेस्तरां को खोलने के पीछे का कारण-

Jabalpur Unique restaurant
जबलपुर पोहा और शेड्स
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 3:36 PM IST

Updated : Sep 6, 2023, 4:41 PM IST

जबलपुर पोहा और शेड्स में मूक बधिर बनाते और सर्व करते हैं चाय-पोहा

जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर का एक अनोखा रेस्टोरेंट, जहां इशारों-इशारों में काम होता है. दरअसल सुनने और बोलने में लाचार मां-बाप के घर पर पले-बड़े अक्षय सोनी का यह प्रयास है. अक्षय सोनी ने बचपन से देखा था कि मूक और बधिर लोगों को साथ समाज में बराबरी का व्यवहार नहीं होता, इसीलिए अक्षय ने इन लोगों को सम्मान के साथ रोजगार देने की एक कोशिश की है.

अक्षय सोनी की कहानी: अक्षय सोनी का जन्म जबलपुर में राकेश सोनी और जयवंती सोनी के घर हुआ था. राकेश और जयवंती दोनों ही जन्म से बोलने और सुनने में लाचार थे, अक्षय सोनी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, कुछ दिनों तक एक निजी कंपनी में नौकरी करने के बाद वह दिव्यांगों के लिए काम करने वाली संस्था के साथ जुड़ गए. जबलपुर में लगभग 1500 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो बोलने और सुनने की क्षमता नहीं रखते. अक्षय सोनी महाकौशल बधिर संघ में रहकर मूक बधिर की मदद कर रहे थे.

अक्षय ने कुछ लोगों को निजी कंपनियों में नौकरी करने के लिए भी भेजा, लेकिन अक्षय का कहना है कि मूक-बधिर को अच्छी नौकरियां नहीं मिल पाती और ज्यादातर छोटे कामों में लगाए जाते हैं इसलिए उन्हें इस बात का दुख था. हालांकि अक्षय के पिता जबलपुर के रक्षा मंत्रालय के एक संस्थान में काम करते थे, लेकिन अक्षय ने अपने आसपास सैकड़ों लाचार लोगों को देखा था. इसी की वजह से अक्षय ने एक फैसला किया कि वह कुछ ऐसा करें, जिससे इन लोगों को काम के साथ ही सम्मान का अनुभव हो. इसलिए उन्होंने नौ लोगों की एक टीम बनाई और poha and shades के नाम से जबलपुर के रानीताल चौक पर एक रेस्टोरेंट शुरू किया है."

नौ लोगों की टीम: इस रेस्टोरेंट में पूरा काम इशारों इशारों में होता है, जहां चाय बनाने का काम चाय के एक्सपर्ट खेमकरण को दिया गया है. खेमकरण इसके पहले एक निजी मल्टीनेशनल कंपनी में पैकेजिंग का काम करते थे, लेकिन उन्होंने कभी ट्रेनिंग के दौरान चाय बनाने का हुनर सीखा था. आज उनकी यही ट्रेनिंग काम आई और वे अपने साथियों के साथ बेहतरीन चाय बना रहे हैं. इस टीम की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हिना फातिमा हिना एक बेहतरीन सेफ है और उन्होंने अपने परिवार में खाना बनाने की ट्रेनिंग ली थी. वहीं पृथ्वीराज परिहार 8 सालों से एक बड़ी बेकरी में काम कर रहे थे, वहां से उन्होंने नौकरी छोड़कर इस रेस्तरां में अपने लोगों के साथ काम करना शुरू किया है. इस टीम की एक सदस्य मोनिका रजक है, मोनिका रिसेप्शन का काम कर चुकी हैं, इसलिए भी यहां पर भी बतौर रिसेप्शनिस्ट अपनी भूमिका निभा रही है. इस रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों में परिवार जैसा माहौल नजर आ रहा है.

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शुरुआत पोहे से: अक्षय सोनी ने बताया कि "मेरी कोशिश दिन भर लोगों को पोहा और उससे जुड़ी हुई वैरायटी परोसने की है. जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, वैसे-वैसे वे यहां खाने की व्यंजन बढ़ते जाएंगे. फिलहाल पोहा-चाय के साथ मैंने शुरुआत की है, मेरे रेस्तरां में प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाएगा. पोहा के लिए भी पत्तल का इस्तेमाल किया है, इसके अलावा यहां इस्तेमाल होने वाली ट्रे बांस की हैं."

कोऑपरेटिव मूवमेंट बनाने की कोशिश: अक्षय का कहना है कि "यदि यह तरीका काम कर गया तो इस रेस्तरां में अभी सभी लोगों को सैलरी पर रखा गया है, लेकिन यदि हमारा यह प्रयास सफल रहा तो हम इसे एक कोऑपरेटिव मूवमेंट बनाने की कोशिश करेंगे. जिस तरीके से कॉफी हाउस में काम करने वाले लोगों को लाभ का हिस्सा दिया जाता है, इस तरीके से हम इस रेस्तरां को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि अभी मात्र नौ लोगों को काम मिल पाया है. अभी भी सैकड़ों मूक बधिर काम की तलाश में भटक रहे हैं."

सरकार को करना चाहिए मदद: इस रेस्तरां को खोलने का जोखिम फिलहाल अक्षय ने ही अपने स्तर पर उठाया है. अभी तक उन्हें इस काम के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, हालांकि उनका कहना है कि वह कोई सरकारी मदद चाहते भी नहीं है. यदि उनके कामकाज अच्छा चल निकलेगा तो वह अपने स्तर पर इसे आगे बढ़ाएंगे, लेकिन खेमकरण ने इशारों-इशारों में समझाया कि "सरकार को हमारे इशारे समझना चाहिए और कोई मदद जरूर करनी चाहिए.

जबलपुर पोहा और शेड्स में मूक बधिर बनाते और सर्व करते हैं चाय-पोहा

जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर का एक अनोखा रेस्टोरेंट, जहां इशारों-इशारों में काम होता है. दरअसल सुनने और बोलने में लाचार मां-बाप के घर पर पले-बड़े अक्षय सोनी का यह प्रयास है. अक्षय सोनी ने बचपन से देखा था कि मूक और बधिर लोगों को साथ समाज में बराबरी का व्यवहार नहीं होता, इसीलिए अक्षय ने इन लोगों को सम्मान के साथ रोजगार देने की एक कोशिश की है.

अक्षय सोनी की कहानी: अक्षय सोनी का जन्म जबलपुर में राकेश सोनी और जयवंती सोनी के घर हुआ था. राकेश और जयवंती दोनों ही जन्म से बोलने और सुनने में लाचार थे, अक्षय सोनी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, कुछ दिनों तक एक निजी कंपनी में नौकरी करने के बाद वह दिव्यांगों के लिए काम करने वाली संस्था के साथ जुड़ गए. जबलपुर में लगभग 1500 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो बोलने और सुनने की क्षमता नहीं रखते. अक्षय सोनी महाकौशल बधिर संघ में रहकर मूक बधिर की मदद कर रहे थे.

अक्षय ने कुछ लोगों को निजी कंपनियों में नौकरी करने के लिए भी भेजा, लेकिन अक्षय का कहना है कि मूक-बधिर को अच्छी नौकरियां नहीं मिल पाती और ज्यादातर छोटे कामों में लगाए जाते हैं इसलिए उन्हें इस बात का दुख था. हालांकि अक्षय के पिता जबलपुर के रक्षा मंत्रालय के एक संस्थान में काम करते थे, लेकिन अक्षय ने अपने आसपास सैकड़ों लाचार लोगों को देखा था. इसी की वजह से अक्षय ने एक फैसला किया कि वह कुछ ऐसा करें, जिससे इन लोगों को काम के साथ ही सम्मान का अनुभव हो. इसलिए उन्होंने नौ लोगों की एक टीम बनाई और poha and shades के नाम से जबलपुर के रानीताल चौक पर एक रेस्टोरेंट शुरू किया है."

नौ लोगों की टीम: इस रेस्टोरेंट में पूरा काम इशारों इशारों में होता है, जहां चाय बनाने का काम चाय के एक्सपर्ट खेमकरण को दिया गया है. खेमकरण इसके पहले एक निजी मल्टीनेशनल कंपनी में पैकेजिंग का काम करते थे, लेकिन उन्होंने कभी ट्रेनिंग के दौरान चाय बनाने का हुनर सीखा था. आज उनकी यही ट्रेनिंग काम आई और वे अपने साथियों के साथ बेहतरीन चाय बना रहे हैं. इस टीम की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हिना फातिमा हिना एक बेहतरीन सेफ है और उन्होंने अपने परिवार में खाना बनाने की ट्रेनिंग ली थी. वहीं पृथ्वीराज परिहार 8 सालों से एक बड़ी बेकरी में काम कर रहे थे, वहां से उन्होंने नौकरी छोड़कर इस रेस्तरां में अपने लोगों के साथ काम करना शुरू किया है. इस टीम की एक सदस्य मोनिका रजक है, मोनिका रिसेप्शन का काम कर चुकी हैं, इसलिए भी यहां पर भी बतौर रिसेप्शनिस्ट अपनी भूमिका निभा रही है. इस रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों में परिवार जैसा माहौल नजर आ रहा है.

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शुरुआत पोहे से: अक्षय सोनी ने बताया कि "मेरी कोशिश दिन भर लोगों को पोहा और उससे जुड़ी हुई वैरायटी परोसने की है. जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, वैसे-वैसे वे यहां खाने की व्यंजन बढ़ते जाएंगे. फिलहाल पोहा-चाय के साथ मैंने शुरुआत की है, मेरे रेस्तरां में प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाएगा. पोहा के लिए भी पत्तल का इस्तेमाल किया है, इसके अलावा यहां इस्तेमाल होने वाली ट्रे बांस की हैं."

कोऑपरेटिव मूवमेंट बनाने की कोशिश: अक्षय का कहना है कि "यदि यह तरीका काम कर गया तो इस रेस्तरां में अभी सभी लोगों को सैलरी पर रखा गया है, लेकिन यदि हमारा यह प्रयास सफल रहा तो हम इसे एक कोऑपरेटिव मूवमेंट बनाने की कोशिश करेंगे. जिस तरीके से कॉफी हाउस में काम करने वाले लोगों को लाभ का हिस्सा दिया जाता है, इस तरीके से हम इस रेस्तरां को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि अभी मात्र नौ लोगों को काम मिल पाया है. अभी भी सैकड़ों मूक बधिर काम की तलाश में भटक रहे हैं."

सरकार को करना चाहिए मदद: इस रेस्तरां को खोलने का जोखिम फिलहाल अक्षय ने ही अपने स्तर पर उठाया है. अभी तक उन्हें इस काम के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, हालांकि उनका कहना है कि वह कोई सरकारी मदद चाहते भी नहीं है. यदि उनके कामकाज अच्छा चल निकलेगा तो वह अपने स्तर पर इसे आगे बढ़ाएंगे, लेकिन खेमकरण ने इशारों-इशारों में समझाया कि "सरकार को हमारे इशारे समझना चाहिए और कोई मदद जरूर करनी चाहिए.

Last Updated : Sep 6, 2023, 4:41 PM IST
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