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भारत रूस से क्रूड ऑयल 70 डॉलर से कम दर पर खरीदने का इच्छुक

भारत ओपेक (organisation of petroleum export countries) और अन्य तेल उत्पादकों के साथ सौदा से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए रूसी से क्रूड ऑयल की खरीद पर भारी छूट लेने की फिराक में है. हालांकि अधिकारिक बयान आना शेष है परंतु सुत्रों के अनुसार इस पर बहुत जल्द मुहर लगने की उम्मीद है.

रूस से क्रुड ऑयल
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Published : May 4, 2022, 2:43 PM IST

नई दिल्ली: जानकारों की माने तो भारत ओपेक (organisation of petroleum export countries) और अन्य तेल उत्पादकों के साथ सौदा करने से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए रूसी से क्रूड ऑयल की खरीद पर भारी छूट लेने की फिराक में है. बता दें कि अमेरिका द्वारा लगाए गए बैन के कारण अन्य खरीदार रूस से मुंह मोड़ रहे हैं. दक्षिण एशियाई देश रूस के साथ उच्च स्तरीय वार्ता में तेल खरीदने के लिए फंड जुटाने के लिए आ रही बाधाओं की भरपाई के लिए वितरण के आधार पर $ 70 प्रति बैरल से कम दर पर रूसी कार्गो से क्रूड ऑयल सप्लाई की मांग कर रहे हैं. विश्लेषकों के अनुसार वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल फिलहाल 105 डॉलर प्रति बैरल के करीब है परंतु भारत ने रूस को 70 डॉलर प्रति बैरल से कम दर पर ऑयल सप्लाई का ऑफर दिया है.

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक में राज्य और निजी दोनों रिफाइनर ने फरवरी के अंत में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से 40 मिलियन बैरल से अधिक रूसी क्रूड ऑयल खरीदा है. व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर व मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूरे 2021 की तुलना में रूस-से-भारत में क्रूड ऑयल का प्रवाह इस वर्ष लगभग 20% अधिक है. बता दें भारत अपनी जरूरत का 85% से अधिक तेल का आयात करता है. साथ ही भारत रूसी क्रूड ऑयल के कुछ खरीदारों में से एक है. क्रूड ऑयल व गैस व्लादिमीर पुतिन शासन के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. यूरोपीय मांग में कमी होने से रूस के तेल उद्योग पर भारी दबाव पड़ा है. रूसी सरकार का अनुमान है कि इस साल तेल उत्पादन में 17 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

भारत में रूसी तेल के प्रवाह को मंजूरी नहीं दी गई है, लेकिन समुद्री बीमा और नई दिल्ली पर अमेरिका से दबाव जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कड़ा करना व्यापार को और अधिक कठिन बना रहा है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक क्रूड ऑयल पर भारी छूट की संभावना के कारण मास्को के साथ अपने संबंधों को कम करने के लिए पश्चिमी प्रोत्साहन का विरोध करता आ रहा है. बता दें कि भारत रूसी हथियारों के आयात पर भी अत्यधिक निर्भर है.

जानकारों के अनुसार भारत के सरकारी रिफाइनरी एक महीने में लगभग 15 मिलियन बैरल तक क्रूड ऑयल खरीद सकते हैं. जो कुल कुल आयात का दसवां हिस्सा होगा. अगर रूस इस कीमत पर तेल की सप्लाई पर सहमत होता है और भारत को इससे भारत को काफी फायदा हो सकता है. रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसे निजी रिफाइनरी आमतौर पर व्यक्तिगत रूप से अपना फीडस्टॉक खरीदते हैं.

हालांकि भारत सरकार के तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं आयी है. परंतु जानकारों ने कहा कि मास्को पश्चिम से बाल्टिक सागर के रास्ते और रूस के सुदूर पूर्व के मार्गों पर भारत को आपूर्ति जारी रखने के तरीकों पर विचार कर रहा है, जो गर्मियों में अधिक सुलभ हो जाते हैं. दोनों देश सुदूर पूर्व में व्लादिवोस्तोक के माध्यम से क्रूड ऑयल सप्लाई करने के लिए मार्ग की तलाश में हैं. वहां से भारत तक की समुद्री यात्रा आसान होगी हालांकि इसमें लागत ज्यादा और लॉजिस्टिकल बाधाएं आने की संभावना है.

यह भी पढ़ें-पोलैंड-बुलगारिया में रूस ने रोकी गैस की सप्लाई, संकट में यूक्रेन

नई दिल्ली: जानकारों की माने तो भारत ओपेक (organisation of petroleum export countries) और अन्य तेल उत्पादकों के साथ सौदा करने से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए रूसी से क्रूड ऑयल की खरीद पर भारी छूट लेने की फिराक में है. बता दें कि अमेरिका द्वारा लगाए गए बैन के कारण अन्य खरीदार रूस से मुंह मोड़ रहे हैं. दक्षिण एशियाई देश रूस के साथ उच्च स्तरीय वार्ता में तेल खरीदने के लिए फंड जुटाने के लिए आ रही बाधाओं की भरपाई के लिए वितरण के आधार पर $ 70 प्रति बैरल से कम दर पर रूसी कार्गो से क्रूड ऑयल सप्लाई की मांग कर रहे हैं. विश्लेषकों के अनुसार वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल फिलहाल 105 डॉलर प्रति बैरल के करीब है परंतु भारत ने रूस को 70 डॉलर प्रति बैरल से कम दर पर ऑयल सप्लाई का ऑफर दिया है.

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक में राज्य और निजी दोनों रिफाइनर ने फरवरी के अंत में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से 40 मिलियन बैरल से अधिक रूसी क्रूड ऑयल खरीदा है. व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर व मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूरे 2021 की तुलना में रूस-से-भारत में क्रूड ऑयल का प्रवाह इस वर्ष लगभग 20% अधिक है. बता दें भारत अपनी जरूरत का 85% से अधिक तेल का आयात करता है. साथ ही भारत रूसी क्रूड ऑयल के कुछ खरीदारों में से एक है. क्रूड ऑयल व गैस व्लादिमीर पुतिन शासन के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. यूरोपीय मांग में कमी होने से रूस के तेल उद्योग पर भारी दबाव पड़ा है. रूसी सरकार का अनुमान है कि इस साल तेल उत्पादन में 17 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

भारत में रूसी तेल के प्रवाह को मंजूरी नहीं दी गई है, लेकिन समुद्री बीमा और नई दिल्ली पर अमेरिका से दबाव जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कड़ा करना व्यापार को और अधिक कठिन बना रहा है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक क्रूड ऑयल पर भारी छूट की संभावना के कारण मास्को के साथ अपने संबंधों को कम करने के लिए पश्चिमी प्रोत्साहन का विरोध करता आ रहा है. बता दें कि भारत रूसी हथियारों के आयात पर भी अत्यधिक निर्भर है.

जानकारों के अनुसार भारत के सरकारी रिफाइनरी एक महीने में लगभग 15 मिलियन बैरल तक क्रूड ऑयल खरीद सकते हैं. जो कुल कुल आयात का दसवां हिस्सा होगा. अगर रूस इस कीमत पर तेल की सप्लाई पर सहमत होता है और भारत को इससे भारत को काफी फायदा हो सकता है. रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसे निजी रिफाइनरी आमतौर पर व्यक्तिगत रूप से अपना फीडस्टॉक खरीदते हैं.

हालांकि भारत सरकार के तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं आयी है. परंतु जानकारों ने कहा कि मास्को पश्चिम से बाल्टिक सागर के रास्ते और रूस के सुदूर पूर्व के मार्गों पर भारत को आपूर्ति जारी रखने के तरीकों पर विचार कर रहा है, जो गर्मियों में अधिक सुलभ हो जाते हैं. दोनों देश सुदूर पूर्व में व्लादिवोस्तोक के माध्यम से क्रूड ऑयल सप्लाई करने के लिए मार्ग की तलाश में हैं. वहां से भारत तक की समुद्री यात्रा आसान होगी हालांकि इसमें लागत ज्यादा और लॉजिस्टिकल बाधाएं आने की संभावना है.

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