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how to make herbal gulal: घर पर ऐसे बनाएं केमिकल फ्री नेचुरल रंग और गुलाल, फिर होली होगी हर्बल वाली !

होली एक बड़ा त्योहार है, लेकिन कुछ लोग होली खेलने से बचते नजर आते हैं. असल में ऐसे लोगों को होली से कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल से इन्हें परहेज होता है. कुछ लोगों की स्किन सेंसटिव होती है और केमिकल उन्हें तरह तरह की दिक्कतें पैदा कर देता है. रंग गुलाल अगर आंखों में चली जाये, तो भी मुसीबत हो जाती है. ऐसे में आप नेचुरल तरीके से बने हर्बल गुलाल या हर्बल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं और सुरक्षित होली खेल सकते हैं.method of making herbal gulaal colour

method of making herbal gulaal colour
हर्बल गुलाल या हर्बल रंग बनाने का तरीका
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Published : Feb 28, 2023, 9:42 PM IST

घर पर ऐसे बनाएं केमिकल फ्री नेचुरल रंग और गुलाल

सरगुजा: हम आपको बताने जा रहे हैं की आप कैसे घर पर नेचुरल गुलाल बना सकते हैं. अम्बिकापुर में राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह पिछले 3 वर्ष से हर्बल गुलाल बना रहा है और इसके जरिये महिलाओं की आमदनी भी अच्छी हो गई है. हर्बल गुलाल को सुरक्षित होली खेलने के लिये बनाया जाता है. साथ ही इसे बेचकर आप अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं.

ऐसे तैयार होता है हर्बल गुलाल: अंजना मिस्त्री बताती हैं कि "सबसे पहले फूल को तोड़ना होता है, फूल और पत्तियों को तोड़कर उनकी पंखुड़ियों को अलग करते हैं. फिर उसे पानी में उबालते हैं. अगर 16 लीटर पानी में पत्ती उबाल रहे हैं, तो उसे 8 लीटर बचने तक उबाला जाता है. जिससे रंग तैयार हो जाता है. फिर इस रंग को अरारोट में भिगोया जाता है. फिर अरारोट में मिलाकर उसे धूप में सुखाया जाता है. उसके बाद सूखने के बाद फिर से अरारोट को मिक्सी में पीसा जाता है. फिर पीसे हुए रंग को सूखाकर. फिर पैकिंग की जाती है"

रंग और गुलाल बनाने के लिए क्या करना होता है : समूह की सदस्य पूजा बताती हैं "पलाश, गेंदा का फूल, चुकंदर, हरी भाजी, नीलकंठ फूल से पहले रंग बनाया जाता है. फूलों को तोड़कर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इन फूलों को किसी बर्तन में पानी के साथ उबाला जाता है. जब पानी मे गाढ़ा रंग उतर जाए तो इसे ठंडा कर लेना है. अब यह एक बेहतरीन रंग के रूप में तैयार होता है."

सुगन्ध के लिये करते हैं इत्र का इस्तेमाल: समूह की सदस्य पूजा बतातीं हैं "इस रंग से गुलाल बनाया जाता है. अरारोट के पावडर को इस रंग से भिगोकर रंग दिया जाता है. फिर भीगे हुये अरारोट को धूप में सुखाया जाता है. सूखने के बाद कलर किये हुये अरारोट को मिक्सर में बारीक पीस लेना है और आटा चालने वाली चलनी से इसे चाल लेना है. ऐसे बारीक गुलाल तैयार हो जाता है. गुलाल में खुशबू के लिए सुगंधित इत्र भी डाला जाता है."

यह भी पढ़ें: Gangaur teej 2023 : जानिए गणगौर तीज का महत्व और इतिहास


बाजार में नेचुरल और हर्बल रंग की बढ़ी मांग: समूह की सदस्य सुचित्रा बताती हैं कि "250 रुपये किलो की दर से यह गुलाल बिक रहा है. अच्छी डिमांड है. 3 वर्ष पहले इस काम को शुरू किए थे. अब अधिक तादाद में निर्माण कर रहे हैं. सी मार्ट में गुलाल उपलब्ध है. इसके साथ ही अम्बिकापुर के घड़ी चौक में महिला समूह खुद काउन्टर लगाकर गुलाल बेचने का काम कर रही हैं."



हर्बल रंग और गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं : अरारोट खाद्य पदार्थ है, इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. वहीं ऑरेंज रंग के लिए पलाश के फूल, पीले रंग के लिये गेंदा फूल, नीले रंग के लिये नीलकंठ फूल, लाल रंग के लिये चुकंदर और हरे रंग के लिये हरी भाजियों का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से आप रंग बिरंगे नेचुरल हर्बल गुलाल अपने घर पर बनाकर सुरक्षित होली खेल सकते हैं या इसे अधिक मात्रा में बनाकर पैसे भी कमा सकते हैं.

घर पर ऐसे बनाएं केमिकल फ्री नेचुरल रंग और गुलाल

सरगुजा: हम आपको बताने जा रहे हैं की आप कैसे घर पर नेचुरल गुलाल बना सकते हैं. अम्बिकापुर में राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह पिछले 3 वर्ष से हर्बल गुलाल बना रहा है और इसके जरिये महिलाओं की आमदनी भी अच्छी हो गई है. हर्बल गुलाल को सुरक्षित होली खेलने के लिये बनाया जाता है. साथ ही इसे बेचकर आप अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं.

ऐसे तैयार होता है हर्बल गुलाल: अंजना मिस्त्री बताती हैं कि "सबसे पहले फूल को तोड़ना होता है, फूल और पत्तियों को तोड़कर उनकी पंखुड़ियों को अलग करते हैं. फिर उसे पानी में उबालते हैं. अगर 16 लीटर पानी में पत्ती उबाल रहे हैं, तो उसे 8 लीटर बचने तक उबाला जाता है. जिससे रंग तैयार हो जाता है. फिर इस रंग को अरारोट में भिगोया जाता है. फिर अरारोट में मिलाकर उसे धूप में सुखाया जाता है. उसके बाद सूखने के बाद फिर से अरारोट को मिक्सी में पीसा जाता है. फिर पीसे हुए रंग को सूखाकर. फिर पैकिंग की जाती है"

रंग और गुलाल बनाने के लिए क्या करना होता है : समूह की सदस्य पूजा बताती हैं "पलाश, गेंदा का फूल, चुकंदर, हरी भाजी, नीलकंठ फूल से पहले रंग बनाया जाता है. फूलों को तोड़कर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इन फूलों को किसी बर्तन में पानी के साथ उबाला जाता है. जब पानी मे गाढ़ा रंग उतर जाए तो इसे ठंडा कर लेना है. अब यह एक बेहतरीन रंग के रूप में तैयार होता है."

सुगन्ध के लिये करते हैं इत्र का इस्तेमाल: समूह की सदस्य पूजा बतातीं हैं "इस रंग से गुलाल बनाया जाता है. अरारोट के पावडर को इस रंग से भिगोकर रंग दिया जाता है. फिर भीगे हुये अरारोट को धूप में सुखाया जाता है. सूखने के बाद कलर किये हुये अरारोट को मिक्सर में बारीक पीस लेना है और आटा चालने वाली चलनी से इसे चाल लेना है. ऐसे बारीक गुलाल तैयार हो जाता है. गुलाल में खुशबू के लिए सुगंधित इत्र भी डाला जाता है."

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बाजार में नेचुरल और हर्बल रंग की बढ़ी मांग: समूह की सदस्य सुचित्रा बताती हैं कि "250 रुपये किलो की दर से यह गुलाल बिक रहा है. अच्छी डिमांड है. 3 वर्ष पहले इस काम को शुरू किए थे. अब अधिक तादाद में निर्माण कर रहे हैं. सी मार्ट में गुलाल उपलब्ध है. इसके साथ ही अम्बिकापुर के घड़ी चौक में महिला समूह खुद काउन्टर लगाकर गुलाल बेचने का काम कर रही हैं."



हर्बल रंग और गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं : अरारोट खाद्य पदार्थ है, इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. वहीं ऑरेंज रंग के लिए पलाश के फूल, पीले रंग के लिये गेंदा फूल, नीले रंग के लिये नीलकंठ फूल, लाल रंग के लिये चुकंदर और हरे रंग के लिये हरी भाजियों का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से आप रंग बिरंगे नेचुरल हर्बल गुलाल अपने घर पर बनाकर सुरक्षित होली खेल सकते हैं या इसे अधिक मात्रा में बनाकर पैसे भी कमा सकते हैं.

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