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Chhattisgarh elections: बघेल सरकार के कितने वादे अधूरे, कितने पूरे - How many promises of Baghel government

छत्तीसगढ़ में कुछ महीनों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा. इस बीच आचार संहिता भी जल्द लागू हो जाएगी. चुनाव से पहले भाजपा बघेल सरकार पर घोषणा पत्र में किए वादे पूरा नहीं करने का आरोप लगा रही है. जबकि कांग्रेस अधिकांश वादे पूरा करने का दावा कर रही है. इस खबर के जरिए आइए हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि, साढ़े चार साल के दौरान कांग्रेस ने कितना वादा पूरा किया है.Politics of Chhattisgarh amid promises

words War between BJP and Congress
बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग
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Published : May 5, 2023, 6:28 PM IST

बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. हर पार्टी आगे जाने की होड़ में है. इस बीच कांग्रेस के जन घोषणापत्र के वादों को लेकर बहस शुरू हो चुकी है. जहां एक ओर कांग्रेस दावा कर रही है कि, उसने अपने वादे को पूरा किया है. तो वहीं दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि, कांग्रेस ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. इस विषय में पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी अपनी राय दे रहे हैं.आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस के घोषणा पत्र के उन वादों पर जिसके दम पर कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा उन वादों पर भी हम चर्चा करेंगे, जिसको लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है.

शराबबंदी के वादे का क्या हुआ ?: कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद लगातार शराबबंदी को लेकर विपक्ष कांग्रेस को घेर रही है. भाजपा नेता अमित चिमनानी का आरोप है कि "कांग्रेस ने शराब बंदी का वादा अपने जन घोषणा पत्र में किया था. लेकिन अब तक शराबबंदी नहीं हुई है.ये कहते हैं कि पहले जनता पीना छोड़े, उसके बाद हम शराबबंदी करेंगे".

जबकि कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "ये एक समाजिक मुद्दा है, नोटबंदी के तर्ज पर शराबबंदी नहीं की जा सकती है. शराबबंदी को लेकर कमेटी बनाई गई है.जल्द ही निराकरण किया जाएगा". मामले में राजनीतिक एक्सपर्ट उचित शर्मा का कहना है कि "शराबबंदी का सबसे बड़ा मुद्दा अभी भी प्रदेश में चला रहा है. जिसको लेकर लगातार विपक्ष सवाल खड़े करता आया है. दरअसल, व्यावहारिक दृष्टिकोण से शराबबंदी हो ही नहीं सकती. शराबबंदी का वादा सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है".

किसानों की कर्जमाफी का वादा कितना हुआ पूरा : कांग्रेस ने पिछले चुनाव में किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था. सत्ता में आने के चंद घंटों के भीतर बघेल सरकार ने प्रदेश के लाखों किसानों का करोड़ों का कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी थी. इस दौरान नेशनल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज माफ नहीं किए गए. जिसके कारण लगातार विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर रही है. भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस बार-बार कहती है कि हमने किसानों का कर्ज माफ किया है. आज भी कई ऐसे किसान धक्के खा रहे हैं. नेशनल बैंकों से लिया एक रुपया भी माफ नहीं किया गया है".

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि "सरकार ने अपने किये वादे को पूरा करते हुए किसानों को कर्ज से मुक्त किया है. सरकार बनने के 1 घंटे के भीतर सरकार ने 20 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया था". वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि "कर्ज माफी की बात करें तो सोसायटी कोऑपरेटिव बैंक की कर्ज माफी की गई. लेकिन सेंटर बैंकों से लिए गए कर्ज अब तक माफ नहीं हुए हैं."

धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने के वादे पर सरकार ने क्या किया : अपने चुनावी वादों में कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य ₹2500 दिए जाने का ऐलान किया था. सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने ₹2500 के समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी शुरू की. लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने केंद्रीय समर्थन मूल्य से अधिक दर पर धान खरीदी किए जाने पर आपत्ति जाहिर की. यहां तक कि राज्य सरकार को केंद्र ने चेतावनी दी कि यदि समर्थन मूल्य से अधिक दर पर राज्य सरकार धान खरीदी करती है तो केंद्र सरकार उनसे चावल नहीं लेगी. जिसके बाद राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की. इसके तहत किसानों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य और 2500 रुपये के बीच के अंतर की राशि का भुगतान चार किस्तों में करना शुरू किया गया. इस मामले में भी भाजपा ने आरोप लगाया कि "सरकार हजार रुपया देकर पिछले 4 साल से क्रेडिट ले रही है". जबकि कांग्रेस का कहना है कि "छत्तीसगढ़ में किसानों को धान का ₹2500 दिया जा रहा है. इससे लगभग 27 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं".

यह भी पढ़ें: Raipur : नेहरु की सोच के कारण नए भारत का हुआ जन्म, सीएम भूपेश का बयान

नियमितीकरण का वादा : कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में संविदा कर्मियों के साथ-साथ विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था. हालांकि सत्ता में आने के बाद कुछ विभागों के चंद पदों के अलावा लाखों कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. मामले में सरकार की ओर से कोई खास पहल नहीं की गई. भाजपा का आरोप है कि "लाखों कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. नियमितीकरण की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं. बघेल सरकार कर्मचारियों की मांगों को दबाने की कोशिश कर रही है".

जबकि कांग्रेस का कहना है कि "नियमितीकरण पर भी सरकार जोर दे रही है. विभिन्न विभागों में पदस्थ संविदा कर्मियों सहित अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जा रहा है, ये प्रक्रिया जारी है". मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस ने नियमितीकरण के वादे को अब तक पूरा नहीं किया है. हालांकि कुछ विभागों में जरूर कुछ कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया गया. हालांकि बड़ी संख्या में कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. लगातार संविदा कर्मी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ये मुद्दा आगामी दिनों में गर्मा सकता है".

बेरोजगारी भत्ते के वादे पर सरकार ने क्या किया : कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में 2500 बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का भी ऐलान किया था. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार कैंप के माध्यम से बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है. एक अप्रैल से ये शुरू कर दिया गया है. इस पर भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा किया था. 10 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाना था, हालांकि ऐसा नहीं हुआ है". वहीं कांग्रेस का कहना है कि "बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा एक अप्रैल को ही सरकार पूरा कर चुकी है. प्रदेश के बेरोजगारों को सरकार बेरोजगारी भत्ता मुहैया कर रही है". मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस बेरोजगारी भत्ता दे रही है. लेकिन आधी-अधूरी. योजना शुरू तो किया गया है लेकिन यह साल के अंत में शुरू किया गया है".

"75 से अधिक सीटें जीतेगी कांग्रेस": इन सब के बीच कांग्रेस दावा कर रही है कि "आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 75 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी. कांग्रेस ने 90 फीसी से अधिक वादा पूरा किया है. बघेल देश में वादा निभाने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर एक ब्रांड बन कर उभरे हैं. 2023 के चुनाव फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी."

"कांग्रेस की विदाई तय": कांग्रेस के 90 फीसदी वादे पूरे होने को लेकर भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस के तीन नेताओं का बयान इन वादों पर अलग होगा, भूपेश बघेल, सिंहदेव ओर चरण दास महंत को बिठाया जाये. इन तीनों से सार्वजनिक पूछा जाए तो तीनों के बयान अलग-अलग मिलेंगे. जनता अब इनको विदा करने के लिए तैयार है. कांग्रेस ने विश्वसनीयता को खो दिया है. जैसे ही चुनाव आएगा इनकी विदाई तय है."

"कोई भी पार्टी नहीं करती 100 फीसदी वादा पूरा": कांग्रेस के वादों को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस लगभग 90 फीसद वादे पूरे कर चुकी है. भले ही इन वादों को पूरा करने में कुछ खामियां रही हो. कोई भी राजनीतिक दल 100 फीसदी घोषणापत्र के वादे पूरे नहीं करती. हालांकि मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. इसका फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिल सकता है."

बता दें कि चुनाव की तारीखों की घोषणा चंद महीने में हो जाएंगे. आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. इस बीच प्रदेश की प्रमुख दो पार्टियां एक दूसरे को घेरने में लगी हुई है. जबकि पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो कांग्रेस ने लगभग सभी वादों पर कार्य किए हैं. कुछ वादे अभी अधूरे हैं. लेकिन अधिकांश वादों पर कांग्रेस ने काम किया है.

बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. हर पार्टी आगे जाने की होड़ में है. इस बीच कांग्रेस के जन घोषणापत्र के वादों को लेकर बहस शुरू हो चुकी है. जहां एक ओर कांग्रेस दावा कर रही है कि, उसने अपने वादे को पूरा किया है. तो वहीं दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि, कांग्रेस ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. इस विषय में पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी अपनी राय दे रहे हैं.आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस के घोषणा पत्र के उन वादों पर जिसके दम पर कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा उन वादों पर भी हम चर्चा करेंगे, जिसको लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है.

शराबबंदी के वादे का क्या हुआ ?: कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद लगातार शराबबंदी को लेकर विपक्ष कांग्रेस को घेर रही है. भाजपा नेता अमित चिमनानी का आरोप है कि "कांग्रेस ने शराब बंदी का वादा अपने जन घोषणा पत्र में किया था. लेकिन अब तक शराबबंदी नहीं हुई है.ये कहते हैं कि पहले जनता पीना छोड़े, उसके बाद हम शराबबंदी करेंगे".

जबकि कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "ये एक समाजिक मुद्दा है, नोटबंदी के तर्ज पर शराबबंदी नहीं की जा सकती है. शराबबंदी को लेकर कमेटी बनाई गई है.जल्द ही निराकरण किया जाएगा". मामले में राजनीतिक एक्सपर्ट उचित शर्मा का कहना है कि "शराबबंदी का सबसे बड़ा मुद्दा अभी भी प्रदेश में चला रहा है. जिसको लेकर लगातार विपक्ष सवाल खड़े करता आया है. दरअसल, व्यावहारिक दृष्टिकोण से शराबबंदी हो ही नहीं सकती. शराबबंदी का वादा सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है".

किसानों की कर्जमाफी का वादा कितना हुआ पूरा : कांग्रेस ने पिछले चुनाव में किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था. सत्ता में आने के चंद घंटों के भीतर बघेल सरकार ने प्रदेश के लाखों किसानों का करोड़ों का कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी थी. इस दौरान नेशनल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज माफ नहीं किए गए. जिसके कारण लगातार विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर रही है. भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस बार-बार कहती है कि हमने किसानों का कर्ज माफ किया है. आज भी कई ऐसे किसान धक्के खा रहे हैं. नेशनल बैंकों से लिया एक रुपया भी माफ नहीं किया गया है".

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि "सरकार ने अपने किये वादे को पूरा करते हुए किसानों को कर्ज से मुक्त किया है. सरकार बनने के 1 घंटे के भीतर सरकार ने 20 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया था". वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि "कर्ज माफी की बात करें तो सोसायटी कोऑपरेटिव बैंक की कर्ज माफी की गई. लेकिन सेंटर बैंकों से लिए गए कर्ज अब तक माफ नहीं हुए हैं."

धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने के वादे पर सरकार ने क्या किया : अपने चुनावी वादों में कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य ₹2500 दिए जाने का ऐलान किया था. सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने ₹2500 के समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी शुरू की. लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने केंद्रीय समर्थन मूल्य से अधिक दर पर धान खरीदी किए जाने पर आपत्ति जाहिर की. यहां तक कि राज्य सरकार को केंद्र ने चेतावनी दी कि यदि समर्थन मूल्य से अधिक दर पर राज्य सरकार धान खरीदी करती है तो केंद्र सरकार उनसे चावल नहीं लेगी. जिसके बाद राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की. इसके तहत किसानों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य और 2500 रुपये के बीच के अंतर की राशि का भुगतान चार किस्तों में करना शुरू किया गया. इस मामले में भी भाजपा ने आरोप लगाया कि "सरकार हजार रुपया देकर पिछले 4 साल से क्रेडिट ले रही है". जबकि कांग्रेस का कहना है कि "छत्तीसगढ़ में किसानों को धान का ₹2500 दिया जा रहा है. इससे लगभग 27 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं".

यह भी पढ़ें: Raipur : नेहरु की सोच के कारण नए भारत का हुआ जन्म, सीएम भूपेश का बयान

नियमितीकरण का वादा : कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में संविदा कर्मियों के साथ-साथ विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था. हालांकि सत्ता में आने के बाद कुछ विभागों के चंद पदों के अलावा लाखों कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. मामले में सरकार की ओर से कोई खास पहल नहीं की गई. भाजपा का आरोप है कि "लाखों कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. नियमितीकरण की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं. बघेल सरकार कर्मचारियों की मांगों को दबाने की कोशिश कर रही है".

जबकि कांग्रेस का कहना है कि "नियमितीकरण पर भी सरकार जोर दे रही है. विभिन्न विभागों में पदस्थ संविदा कर्मियों सहित अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जा रहा है, ये प्रक्रिया जारी है". मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस ने नियमितीकरण के वादे को अब तक पूरा नहीं किया है. हालांकि कुछ विभागों में जरूर कुछ कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया गया. हालांकि बड़ी संख्या में कर्मचारी नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं. लगातार संविदा कर्मी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ये मुद्दा आगामी दिनों में गर्मा सकता है".

बेरोजगारी भत्ते के वादे पर सरकार ने क्या किया : कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में 2500 बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का भी ऐलान किया था. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार कैंप के माध्यम से बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है. एक अप्रैल से ये शुरू कर दिया गया है. इस पर भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा किया था. 10 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाना था, हालांकि ऐसा नहीं हुआ है". वहीं कांग्रेस का कहना है कि "बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा एक अप्रैल को ही सरकार पूरा कर चुकी है. प्रदेश के बेरोजगारों को सरकार बेरोजगारी भत्ता मुहैया कर रही है". मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस बेरोजगारी भत्ता दे रही है. लेकिन आधी-अधूरी. योजना शुरू तो किया गया है लेकिन यह साल के अंत में शुरू किया गया है".

"75 से अधिक सीटें जीतेगी कांग्रेस": इन सब के बीच कांग्रेस दावा कर रही है कि "आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 75 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी. कांग्रेस ने 90 फीसी से अधिक वादा पूरा किया है. बघेल देश में वादा निभाने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर एक ब्रांड बन कर उभरे हैं. 2023 के चुनाव फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी."

"कांग्रेस की विदाई तय": कांग्रेस के 90 फीसदी वादे पूरे होने को लेकर भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस के तीन नेताओं का बयान इन वादों पर अलग होगा, भूपेश बघेल, सिंहदेव ओर चरण दास महंत को बिठाया जाये. इन तीनों से सार्वजनिक पूछा जाए तो तीनों के बयान अलग-अलग मिलेंगे. जनता अब इनको विदा करने के लिए तैयार है. कांग्रेस ने विश्वसनीयता को खो दिया है. जैसे ही चुनाव आएगा इनकी विदाई तय है."

"कोई भी पार्टी नहीं करती 100 फीसदी वादा पूरा": कांग्रेस के वादों को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि "कांग्रेस लगभग 90 फीसद वादे पूरे कर चुकी है. भले ही इन वादों को पूरा करने में कुछ खामियां रही हो. कोई भी राजनीतिक दल 100 फीसदी घोषणापत्र के वादे पूरे नहीं करती. हालांकि मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. इसका फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिल सकता है."

बता दें कि चुनाव की तारीखों की घोषणा चंद महीने में हो जाएंगे. आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. इस बीच प्रदेश की प्रमुख दो पार्टियां एक दूसरे को घेरने में लगी हुई है. जबकि पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो कांग्रेस ने लगभग सभी वादों पर कार्य किए हैं. कुछ वादे अभी अधूरे हैं. लेकिन अधिकांश वादों पर कांग्रेस ने काम किया है.

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