मुंबई. होम लोन देने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड का अब अपनी ही एक सहयोगी कंपनी एचडीएफसी बैंक में विलय होने जा रहा है. करीब 40 अरब डॉलर के इस अधिग्रहण सौदे से वित्तीय सेवा क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी अस्तित्व में आएगी. यह देश के कंपनी इतिहास में सबसे बड़ा सौदा है. दोनों कंपनियों के बोर्ड ने इस विलय को मंजूरी दे दी है . एचडीएफसी के हर शेयर होल्डर को उनके 25 शेयरों पर एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर मिलेंगे. विलय के बाद संयुक्त रूप से संपत्ति का आधार करीब 18 लाख करोड़ रुपये होगा. विलय की यह प्रक्रिया वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी या तीसरी तिमाही में पूरा हो सकती है.
एचडीएफसी लि. के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि यह ‘बराबरी का विलय’ है. इससे बड़े बही-खाते और पूंजी आधार के साथ विभिन्न क्षेत्रों को कर्ज प्रवाह बढ़ेगा और अंतत: इससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. सौदे के तहत एचडीएफसी और उसकी दो यूनिट एचडीएफसी होल्डिंग्स और एचडीएफसी इनवेस्टमेंट्स का भी एचडीएफसी बैंक में विलय होगा. विलय के बाद कंपनी का आकार निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक से दोगुना होगा. इससे हमारे ग्राहकों को सबसे ज्यादा लाभ होगा. एचडीएफसी का कहना है कि प्रस्तावित ट्रांजेक्शन से एचडीएफसी बैंक को लोन पोर्टफोलियो को मजबूत करने में मदद मिलेगी और इसका मौजूदा कस्टमर बेस भी बढ़ेगा.
बताया जाता है कि विलय के बाद एचडीएफसी बैंक टीसीएस को पीछे छोड़कर भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी. एचडीएफसी बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक शशिधर जगदीशन ने कहा कि प्रस्तावित सौदे का मूल्य 40 अरब डॉलर होगा. दिसंबर, 2021 के बही-खाते के अनुसार दोनों कंपनियों का जॉइंट बही-खाता 17.87 लाख करोड़ रुपये और नेटवर्थ 3.3 लाख करोड़ रुपये होगा. पारेख के अनुसार, विलय की प्रक्रिया पूरा होने में 12 से 18 महीने का समय लगेगा.
बता दें कि बैंकिंग सेक्टर में इस प्रकार का दूसरा विलय है. इससे पहले अक्टूबर, 2001 में आईसीआईसीआई लि. ने अपनी बैंक इकाई आईसीआईसीआई बैंक में विलय किया था.
पढ़ें : एलन मस्क ने खरीदे ट्विटर के 9.2 फीसदी शेयर, 3 बिलियन डॉलर का किया निवेश