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यूक्रेन संकट का असर, LIC के आईपीओ को टाल सकती है सरकार

यूक्रेन पर रुस के हमले का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ने लगा है. यूक्रेन संकट को देखते हुए भारत सरकार एलआईसी के आईपीओ लाने के अपने फैसले को कुछ समय के लिए टाल सकती है. अभी तक यह माना जा रहा था कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार मार्च के अंत कर एलआईसी का आईपीओ लाएगी.

LIC's IPO
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Published : Mar 3, 2022, 9:57 AM IST

नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध का असर ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट पर दिखने लगा है. बाजार में अस्थिरता को देखते हुए भारत सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के मेगा आईपीओ को कुछ समय के लिए टाल सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए हैं. बता दें कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए आईपीओ के जरिए सरकार एलआईसी की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश कर रही है.

सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रूस-यूक्रेन विवाद अब पूरी तरह युद्ध का रूप ले चुका है लिहाजा एलआईसी के आईपीओ लाने से पहले स्थिति का आकलन करना जरूरी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हालात के देखते हुए एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए हैं. एलआईसी आईपीओ के बारे में सीतारमण ने 'हिंदू बिजनेस लाइन' को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह आईपीओ को लाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहती हैं क्योंकि विशुद्ध रूप से भारतीय सोच के आधार पर इसकी योजना बनाई गई थी. उन्होंने स्पष्ट किया था कि अगर वैश्विक हालात इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य करती हैं तो वह एलआईसी के आईपीओ से जुड़े प्लान पर नए सिरे से गौर करेंगी.
अभी यह उम्मीद जताई जा रही थी कि एलआईसी का आईपीओ मार्च में आ जाएगा. इसके लिए एलआईसी ने 13 फरवरी को पूंजी बाजार नियामक सेबी के समक्ष आईपीओ का मसौदा पत्र पेश कर चुका है. इस आईपीओ के जरिये सरकार चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीवन बीमा कंपनी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 63,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थी. यदि एलआईसी के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया जाता है तो सरकार संशोधित विनिवेश लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगी. हालांकि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में अब तक सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री के जरिए 12,030 करोड़ रुपये जुटा चुकी है.

सरकार ने पहले वर्ष 2021-22 के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.
एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं. शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है. एलआईसी का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा. एक बार सूचीबद्ध होने के बाद, एलआईसी का मार्केट कैप रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस जैसी शीर्ष कंपनियों के आसपास होगा.

सरकार ने एलआईसी के विनिवेश की सुविधा के लिए इस सार्वजनिक कंपनी में 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी थी. दरअसल मौजूदा एफडीआई नीति में एलआईसी में विदेशी निवेश का कोई प्रावधान नहीं किया गया था. इस मेगा आईपीओ में विदेशी निवेशकों के शामिल होने की इच्छा को देखते हुए एफडीआई प्रावधान में बदलाव किया गया है.

पढ़ें : LIC IPO : पॉलिसीधारकों को मिलेगा डिस्काउंट, मगर जान लें कि खरीदने के लिए जरूरी क्या है

नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध का असर ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट पर दिखने लगा है. बाजार में अस्थिरता को देखते हुए भारत सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के मेगा आईपीओ को कुछ समय के लिए टाल सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए हैं. बता दें कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए आईपीओ के जरिए सरकार एलआईसी की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश कर रही है.

सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रूस-यूक्रेन विवाद अब पूरी तरह युद्ध का रूप ले चुका है लिहाजा एलआईसी के आईपीओ लाने से पहले स्थिति का आकलन करना जरूरी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हालात के देखते हुए एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए हैं. एलआईसी आईपीओ के बारे में सीतारमण ने 'हिंदू बिजनेस लाइन' को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह आईपीओ को लाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहती हैं क्योंकि विशुद्ध रूप से भारतीय सोच के आधार पर इसकी योजना बनाई गई थी. उन्होंने स्पष्ट किया था कि अगर वैश्विक हालात इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य करती हैं तो वह एलआईसी के आईपीओ से जुड़े प्लान पर नए सिरे से गौर करेंगी.
अभी यह उम्मीद जताई जा रही थी कि एलआईसी का आईपीओ मार्च में आ जाएगा. इसके लिए एलआईसी ने 13 फरवरी को पूंजी बाजार नियामक सेबी के समक्ष आईपीओ का मसौदा पत्र पेश कर चुका है. इस आईपीओ के जरिये सरकार चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीवन बीमा कंपनी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 63,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थी. यदि एलआईसी के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया जाता है तो सरकार संशोधित विनिवेश लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगी. हालांकि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में अब तक सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री के जरिए 12,030 करोड़ रुपये जुटा चुकी है.

सरकार ने पहले वर्ष 2021-22 के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.
एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं. शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है. एलआईसी का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा. एक बार सूचीबद्ध होने के बाद, एलआईसी का मार्केट कैप रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस जैसी शीर्ष कंपनियों के आसपास होगा.

सरकार ने एलआईसी के विनिवेश की सुविधा के लिए इस सार्वजनिक कंपनी में 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी थी. दरअसल मौजूदा एफडीआई नीति में एलआईसी में विदेशी निवेश का कोई प्रावधान नहीं किया गया था. इस मेगा आईपीओ में विदेशी निवेशकों के शामिल होने की इच्छा को देखते हुए एफडीआई प्रावधान में बदलाव किया गया है.

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