रायपुर: रायपुर में मूक बधिर बच्चे गणेश जी की आरती करते नजर आ रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि जो बच्चे बोल और सुन नहीं सकते, वो कैसे गणेश जी की आरती करते होंगे. दरअसल, साइन लैंग्वेज के माध्यम से ये बच्चे भगवान गणपति की आरती करते हैं. इनका एक वीडियो सामने आया है. वीडियों में सभी बच्चे साइन लैंग्वेज में बप्पा की आरती कर रहे हैं.
बच्चों के साथ टीचर भी कर रहीं आरती: दरअसल, रायपुर के कोपलवाणी मूक बधिर विद्यालय के बच्चे इस साल गणपति उत्सव के दौरान गणपति की आरती साइन लैंग्वेज में कर रहे हैं. आमतौर पर लोग गणपति की आरती हिंदी और संस्कृत की भाषा में ही सुने होंगे. लेकिन पहली बार यहां के बच्चे साइन लैंग्वेज में गणेश जी आरती करते नजर आ रहे हैं. स्कूल के सभी बच्चे कतारबद्ध होकर गणपति की आरती कर रहे हैं. उनकी टीचर भी साइन लैंग्वेज के साथ इस आरती को गा रही हैं.
पहली बार बच्चों ने की गणपति आरती: रायपुर में साल 2004 में 4 बच्चों से कोपलवाणी मूक बधिर स्कूल की शुरुआत हुई थी. यह विद्यालय पूरी तरह से आवासीय विद्यालय है. यहां कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही इसमें बीए और डीसीए का कोर्स भी पढ़ाया जाता है. कोपलवाणी संस्था में कुल मिलाकर 90 बच्चे पढ़ते हैं. दिव्यांग महाविद्यालय की स्थापना साल 2015 में की गई थी. जिसे छत्तीसगढ़ के पहले दिव्यांग महाविद्यालय के रूप में पहचान मिली है. इस स्कूल में पिछले कई सालों से बच्चों को नेशनल एंथम और राजकीय गीत अरपा पैरी के धार जैसी चीजों को साइन लैंग्वेज में सीखाना शुरू किया था. लेकिन पहली बार ये बच्चे साइन लैंग्वेज में गणेश जी की आरती कर रहे हैं.
गणेशजी की आरती साइन लैंग्वेज में बच्चों को बताने में शुरुआती दिनों में परेशानी हुई. बच्चों को भगवान गणेश की आरती साइन लैंग्वेज में सीखाने के पहले इसे खुद सीखना पड़ा, जिसके बाद बच्चों को साइन लैंग्वेज के माध्यम से गणेश जी की आरती बताई गई. -अंजलि देशपांडे, टीचर, कोपलवाणी स्कूल
हर दिन सुबह शाम बच्चे कर रहे गणपति जी की आरती: कोपलवाणी स्कूल के बच्चे भी बड़े चाव से साइन लैंग्वेज में भगवान गणेश की आरती करते नजर आ रहे हैं. साइन लैंग्वेज में गणपति की आरती छोटे बच्चों को सीखने में काफी दिक्कतें हुई. हालांकि बड़े बच्चे आसानी से साइन लैंग्वेज के माध्यम से गणेश जी की आरती करने लगे.बताया जा रहा है कि बच्चों ने पहली बार साइन लैंग्वेज के माध्यम से गणेश जी की आरती सीख ली. अब हर दिन सुबह और शाम भगवान गणेश जी की आरती यहां के बच्चे साइन लैंग्वेज में करते हैं.
संस्था का संचालन लगभग 19 सालों से हो रहा है. गणेशजी स्थापना भी पिछले 19 सालों से संस्था में की जा रही है. लेकिन पहली बार साइन लैंग्वेज के माध्यम से बच्चों को गणेशजी की आरती के लिए प्रेरित किया गया. -पदमा शर्मा, प्रमुख, कोपलवाणी संस्था
बता दें कि सामान्य बच्चों से हटकर यहां के बच्चे हैं. ये ना कुछ बोल सकते हैं और ना ही कुछ सुन सकते हैं. ऐसे में गणेश स्थापना के दूसरे दिन संस्था प्रमुख ने बच्चों को आरती के बारे में पूछा तो बच्चे कोई जवाब नहीं दे पाए. संस्था प्रमुख ने साइन लैंग्वेज के जरिए बच्चों को गणेश की आरती के एक-एक शब्द को ब्लैक बोर्ड पर लिखकर साइन लैंग्वेज के जरिए सिखाया. जिसके बाद बच्चे साइन लैंग्वेज से गणेशजी की आरती पिछले कई दिनों से करते आ रहे हैं.