बिलासपुर : किसान नेता राकेश टिकैत एक बार फिर छत्तीसगढ़ के दौरे पर है. इस बार उन्होंने हसदेव अरण्य आंदोलन को समर्थन दिया है. राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ी बात कही है. टिकैत के मुताबिक "जब तक बीमारी रहेगी तब तक अस्पताल चलता है. इसी तरह से किसान आंदोलन भी है. यदि आंदोलन खत्म हुआ तो पूरा सिस्टम बंजर हो जाएगा. अभी भी इनकी नजरें हमारी जमीनों पर हैं. बड़े व्यापारी, उद्योगपति, जमीनों में अपना पैसा लगा रहे हैं. एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है, हमको अपना जमीन बचाना है तो आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ेगा."
वैचारिक क्रांति ही देश में लाएगा बदलाव : राकेश टिकैत ने कहा कि "एमएसपी गारंटी कानून और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के लिए देश में बड़े आंदोलन की जरूरत पड़ेगी. वैचारिक रूप से पूरे देश में माहौल है. आने वाले समय में देश में वैचारिक क्रांति होगी. दुनिया में परिवर्तन ना कोई हथियार बल्कि वैचारिक क्रांति ही लाएगा. दो करोड़ नौकरियां देने की बात कही गई. लेकिन नहीं मिला. 15 लाख की बात की तो 5 किलो अनाज मिला और आज 5 किलो अनाज पर भी भरोसा नहीं रहा कि मिलेगा की नहीं."
टिकैत ने कहा कि '' हम लोगों को आगाह करने का काम कर रहे हैं. बदलना ना बदलना जो चुनाव लड़ेगा उनका काम है. हम मूवमेंट के लोग हैं देश में किसान मजदूर की बात आएगी उसके बारे में हम बताएंगे. किसान अपनी जमीन जायदाद देने के लिए तैयार नहीं है. जिस तरह से किसान बेघर हो रहे हैं. उनकी जमीनों को लूटा जा रहा है. उसके लिए केंद्र सरकार और स्टेट गवर्नमेंट जिम्मेदार है.''
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छत्तीसगढ़ की पॉलिसी को टिकैत ने सराहा : छत्तीसगढ़ सरकार की किसान नीतियों को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि '' सरकार की कुछ व्यवस्था, पॉलिसी अच्छी है. पूरे देश में इन नीतियों को लागू होना चाहिए. हालांकि उन्होंने कुछ पॉलिसी को भारत सरकार के दबाव में भी करने की बात कही. इसके साथ ही टिकैत ने नदी के आसपास जंगल काटने की खिलाफत करते हुए कहा कि, इससे पर्यावरण को नुकसान होगा. जंगल बचेगी तो नदियां बचेंगी. नदिया बचेंगी तो जीवन रहेगा. जब लोग नहीं चाहते जंगल नष्ट हो तो जंगल नहीं काटना चाहिए. जो सुविधाएं हम ले रहे हैं. देश में कोयला. बिजली के रूप में यहां की जनता इसका भुगतान कैसे करती है. इसे लोगों को समझना चाहिए.''