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2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि, इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

ईटीवी भारत धर्म में आज हम आपको बताएंगे चैत्र नवरात्रि के विषय में. इस साल 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का आरंभ हो रहा है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बता रहे हैं कि चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के क्या हैं शुभ मुहूर्त, उनसे जानेंगे कि मां दुर्गा इस बार अपने भक्तों को किस रूप में दर्शन देंगी.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि
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Published : Mar 26, 2022, 1:41 PM IST

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 2 अप्रैल 2022 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन शनिवार से शुरू होगा. इस दौरान नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना की जाएगी. इस तिथि से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 भी शुरू होगा. इस सिलसिले में ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं, जिसका समापन 11 अप्रैल को होगा. अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार से हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. वर्ष में दो बार, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हालांकि गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता ज्यादा है. इस नवरात्रि माता भक्तों को दर्शन देने के लिए घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि संवत 2079 का आरंभ 2 अप्रैल से होगा और तभी चैत्र नवरात्रि भी आरंभ होंगे. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्रि प्रारंभ होंगे. उस दिन घटस्थापना भी प्रत्येक हिंदू परिवार में होती है. चैत्र नवरात्रि के समय ही राम नवमी का पावन पर्व भी आता है. चैत्र नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे राम नवमी कहा जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिन पूजा-अर्चना की जाती है. मां दुर्गा की असीम कृपा पाने के लिए भक्त नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं.

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन देवी दुर्गा के एक रूप की पूजा होती है. देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि

घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा : देवी भागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.

इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है. इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है. सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है. किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी. इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें.

यह होगा असर : शास्त्रों में आगे कहा गया है कि जिस वर्ष दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं उस वर्ष जनता बहुत व्याकुल होती है. युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहती है. गर्मी बहुत पड़ती है. कहीं-कहीं क्षत्र भंग भी हो जाता है अर्थात किसी देश अथवा प्रदेश की सरकार गिरने का डर होता है.

शनि और मंगल का मकर राशि में रहेगा गोचर : चैत्र नवरात्र में शनि और मंगल का मकर राशि में गोचर रहेगा. शनि और मंगल दोनों ही शत्रु ग्रह हैं इसलिए यह युति जीवन में बहुत ही नकारात्मक प्रभाव लेकर आ सकती है. कर्क, कन्या और धनु राशि वालों को शनि व मंगल की युति के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है. जबकि मेष, मकर और कुंभ समेत अन्य राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी. साहस व पराक्रम में वृद्धि होगी.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि

बृहस्पति और शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे : देव गुरु बृहस्पति इस दौरान शुक्र के साथ कुंभ राशि में रहेंगे. इसके अलावा मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ राशि में राहु, वृश्चिक में केतु रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति भी लाभकारी रहेगी.

चैत्र नवरात्रि की तिथियां और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल की सुबह 6:22 बजे से सुबह 8:31 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 2 घंटे 09 मिनट की रहेगी. इसके अलावा घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक रहेगा.

पढ़ें: राजस्थान में शीतला अष्टमी के दिन निकलती है जीवित व्यक्ति की शव यात्रा

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 2 अप्रैल 2022 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन शनिवार से शुरू होगा. इस दौरान नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना की जाएगी. इस तिथि से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 भी शुरू होगा. इस सिलसिले में ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं, जिसका समापन 11 अप्रैल को होगा. अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार से हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. वर्ष में दो बार, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हालांकि गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता ज्यादा है. इस नवरात्रि माता भक्तों को दर्शन देने के लिए घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि संवत 2079 का आरंभ 2 अप्रैल से होगा और तभी चैत्र नवरात्रि भी आरंभ होंगे. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्रि प्रारंभ होंगे. उस दिन घटस्थापना भी प्रत्येक हिंदू परिवार में होती है. चैत्र नवरात्रि के समय ही राम नवमी का पावन पर्व भी आता है. चैत्र नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे राम नवमी कहा जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिन पूजा-अर्चना की जाती है. मां दुर्गा की असीम कृपा पाने के लिए भक्त नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं.

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन देवी दुर्गा के एक रूप की पूजा होती है. देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि

घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा : देवी भागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.

इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है. इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है. सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है. किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी. इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें.

यह होगा असर : शास्त्रों में आगे कहा गया है कि जिस वर्ष दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं उस वर्ष जनता बहुत व्याकुल होती है. युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहती है. गर्मी बहुत पड़ती है. कहीं-कहीं क्षत्र भंग भी हो जाता है अर्थात किसी देश अथवा प्रदेश की सरकार गिरने का डर होता है.

शनि और मंगल का मकर राशि में रहेगा गोचर : चैत्र नवरात्र में शनि और मंगल का मकर राशि में गोचर रहेगा. शनि और मंगल दोनों ही शत्रु ग्रह हैं इसलिए यह युति जीवन में बहुत ही नकारात्मक प्रभाव लेकर आ सकती है. कर्क, कन्या और धनु राशि वालों को शनि व मंगल की युति के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है. जबकि मेष, मकर और कुंभ समेत अन्य राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी. साहस व पराक्रम में वृद्धि होगी.

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि

बृहस्पति और शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे : देव गुरु बृहस्पति इस दौरान शुक्र के साथ कुंभ राशि में रहेंगे. इसके अलावा मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ राशि में राहु, वृश्चिक में केतु रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति भी लाभकारी रहेगी.

चैत्र नवरात्रि की तिथियां और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल की सुबह 6:22 बजे से सुबह 8:31 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 2 घंटे 09 मिनट की रहेगी. इसके अलावा घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक रहेगा.

पढ़ें: राजस्थान में शीतला अष्टमी के दिन निकलती है जीवित व्यक्ति की शव यात्रा

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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