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जानिए, कहां मिली हाथियों को एक सप्ताह की छुट्टी

इन हाथियों से साल भर तो काम लिया जाता है, मगर हाथी महोत्सव के सात दिनों तक इनसे कोई काम नहीं लिया जाता है. पन्द्रे ने बताया कि यह कैंप 10 सितंबर तक चलेगा. उन्होंने कहा कि यह कैंप हर साल एक बार लगता है.

हाथियों को एक सप्ताह की छुट्टी
हाथियों को एक सप्ताह की छुट्टी
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Published : Sep 6, 2021, 1:36 PM IST

उमरिया (मप्र) : मध्यप्रदेश के उमरिया जिले स्थित मशहूर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों के लिए एक सप्ताह का 'रिजुविनेशन कैंप' लगाया गया है जिसमें इस उद्यान में बारहों महीने सेवा देने वाले 14 हाथियों को एक सप्ताह का आराम मिला है और उनकी खूब खातिरदारी जा रही है.

बांधवगढ़ के उप वनमंडलाधिकारी श्रद्धा पन्द्रे ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि शनिवार से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के ताला इलाके में शुरू हुए इस कैंप को 'हाथी महोत्सव' के नाम से जाना जाता है और इस दौरान सुबह से ही हाथियों को नहलाना, तेल से मालिश कर उन्हें चंदन का लेप लगाकर लाल सिन्दूर से सजाया भी जाता है, इसके बाद उन्हें कतार में खड़ा कर उनके मन पसंद फल, नारियल, गुड़, गन्ना, केला, सेब और शहद लगाकर रोटी खिलाई जाती है.

उन्होंने कहा कि इन हाथियों से साल भर तो काम लिया जाता है, मगर हाथी महोत्सव के सात दिनों तक इनसे कोई काम नहीं लिया जाता है. पन्द्रे ने बताया कि यह कैंप 10 सितंबर तक चलेगा. उन्होंने कहा कि यह कैंप हर साल एक बार लगता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में इन हाथियों का प्रमुख उपयोग वन्यप्राणियों की सुरक्षा, गश्ती, बाघ उपचार आदि कार्य में किया जाता है.

पन्द्रे ने बताया कि ऐसे कैंप के आयोजन से एक ओर जहां हाथियों में नई ऊर्जा का संचार होता है एवं उन्हें मानसिक आराम मिलता है, वहीं इन सामाजिक प्राणियों को एक साथ समय बिताने का अनोखा अवसर भी प्राप्त होता है.

पीटीआई-भाषा

उमरिया (मप्र) : मध्यप्रदेश के उमरिया जिले स्थित मशहूर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों के लिए एक सप्ताह का 'रिजुविनेशन कैंप' लगाया गया है जिसमें इस उद्यान में बारहों महीने सेवा देने वाले 14 हाथियों को एक सप्ताह का आराम मिला है और उनकी खूब खातिरदारी जा रही है.

बांधवगढ़ के उप वनमंडलाधिकारी श्रद्धा पन्द्रे ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि शनिवार से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के ताला इलाके में शुरू हुए इस कैंप को 'हाथी महोत्सव' के नाम से जाना जाता है और इस दौरान सुबह से ही हाथियों को नहलाना, तेल से मालिश कर उन्हें चंदन का लेप लगाकर लाल सिन्दूर से सजाया भी जाता है, इसके बाद उन्हें कतार में खड़ा कर उनके मन पसंद फल, नारियल, गुड़, गन्ना, केला, सेब और शहद लगाकर रोटी खिलाई जाती है.

उन्होंने कहा कि इन हाथियों से साल भर तो काम लिया जाता है, मगर हाथी महोत्सव के सात दिनों तक इनसे कोई काम नहीं लिया जाता है. पन्द्रे ने बताया कि यह कैंप 10 सितंबर तक चलेगा. उन्होंने कहा कि यह कैंप हर साल एक बार लगता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में इन हाथियों का प्रमुख उपयोग वन्यप्राणियों की सुरक्षा, गश्ती, बाघ उपचार आदि कार्य में किया जाता है.

पन्द्रे ने बताया कि ऐसे कैंप के आयोजन से एक ओर जहां हाथियों में नई ऊर्जा का संचार होता है एवं उन्हें मानसिक आराम मिलता है, वहीं इन सामाजिक प्राणियों को एक साथ समय बिताने का अनोखा अवसर भी प्राप्त होता है.

पीटीआई-भाषा

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