वाराणसी: दीप और प्रकाश का पर्व दीपावली इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जाना है. इसे लेकर पूरे दुनिया में सनातन धर्म को मानने वाले लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. क्योंकि दीपावली का त्यौहार खुशियों उमंग और उत्साह को लेकर आता है और हर किसी में ऊर्जा का संचार भी हो जाता है. यही वजह है कि इस त्यौहार को लेकर हर किसी के मन में बहुत सी उम्मीदें होती हैं और तैयारियां करने में लोग कई महीने पहले से ही जुड़ जाते हैं. साफ-सफाई से लेकर घर सजाना और माता लक्ष्मी के आगमन के लिए तैयारियां करना हर किसी को बेहद पसंद आता है, लेकिन इस खास पर्व पर मुहूर्त और पूजा पाठ का विशेष महत्व माना गया है. क्या है इस बार दीपावली के पर्व पर खास और ज्योतिषीय दृष्टि से दीपावली का पर्व किस तरह से मनाया जाएगा जानिए.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त का महत्व दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ समय: इस बारे में ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कार्तिककृष्ण यानी सोमवार 24 अक्टूबर को दीपावली का शुभ पर्व होगा. दीपावली पूजन (Diwali 2022 Maa Laxmi Puja) का मुख्यकाल प्रदोषकाल होता है, जिसमें स्थिर लग्न की प्रधानता होती है. इसमें स्वाती नक्षत्र का योग भी प्रशस्त होता है. वृष, सिंह या कुम्भ लग्न में दीपावली पूजन करना चाहिये. इस दिन वृष लग्न सायं 6:55 बजे से रात्रि 8:51 बजे तक है, जो दीपावली पूजन के लिए उत्तम समय है. इसके पश्चात् अर्धरात्रि में सिंहलग्न में रात्रि 1:23 बजे से रात्रि 3:37 बजे तक में गणेश (कुबेरादि देवताओं) का पूजन किया जायेगा.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त का महत्व: आचार्य देवेंद्र कृष्ण शास्त्री का कहना है कि दीपावली के पर्व पर मुहूर्त का विशेष महत्व माना जाता है. स्थिर लक्ष्मी के लिए व्यापारी वर्ग मुहूर्त का विशेष ध्यान देता है. इसलिए दीपावली पर वृष लग्न में की जाने वाली पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है और इसके बाद सिंह ने लग्न की पूजा अति उत्तम मानी जाती है. इसलिए दोनों लग्न अपने आप में महत्वपूर्ण है और लक्ष्मी आगमन के साथ ही लक्ष्मी को स्थिर करने के उद्देश्य से इन दोनों लग्न नहीं पूजा सर्वोपरि मानी गई है.
दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि: आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सामान्य तौर पर उन पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है. जिन्हें सौभाग्य और सुख समृद्धि का कारक माना गया है. इनमें दीपक प्रसाद कुमकुम फल फूल के साथ ही माता लक्ष्मी को चढ़ाने के लिए शमी की पत्नी और भगवान गणेश के लिए दूर्वा अति आवश्यक है. इसके अतिरिक्त धान का लावा और पूजा में केंद्र और गुलाब के फूल को जरूर शामिल करना चाहिए. माता लक्ष्मी और गणेश और कुबेर इत्यादि के पूजन में किसी नदी के जल का इस्तेमाल करना अति उत्तम माना गया है, यदि वह उपलब्ध नहीं है तो फिर हैंडपंप का शुद्ध जल इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि माता लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र से हुई थी. इसीलिए माता लक्ष्मी के पूजन में समुद्र के जल को भी शामिल करना बताया गया है.
दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा: इस दिन बहुत से लोग माता लक्ष्मी के थैली स्वरूप का भी पूजन करते हैं. थैली में माता लक्ष्मी के चांदी व सोने के सिक्कों का पूजन किया जाता है. जिसके लिए हल्दी की खड़ी गांठ के अलावा कोडी व अन्य चीजें रखने का विधान बताया गया है. दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा में गन्ने का भी होना आवश्यक होता है. लक्ष्मी जी के एरावत हाथी को गन्ना बहुत पसंद है. इसलिए ऐरावत के लिए गन्ने को रखा जाता है. दीपावली के पर्व पर पूजन का बड़ा ही अलग तरीका होता है, तो सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करने के बाद एक चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए यह प्रतिमा मिट्टी स्वर्ण रजत की होनी चाहिए.
पूजा स्थान पर गंगाजल से रखने के बाद उसे अच्छे से साफ करके हाथ में लाल या पीले रंग के पुष्प लेकर गणेश और माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए भगवान गणेश और लक्ष्मी मां को गणेश गौरी पूजन के तहत पुष्प अर्पित कर पूजन की शुरुआत करनी चाहिए. माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाने के साथ जीत भगवान गणेश को पीले सिंदूर को चढ़ाया जाना उत्तम माना गया है.
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