नई दिल्ली : चक्रवात 'जवाद' (Cyclone Jawad) से उपजी स्थिति के लिए एनडीआरएफ ने 64 टीमों को किया तैनात (NDRF 64 Teams appointed) किया गया है.
एनडीआरएफ के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल (NDRF Director General Atul Karwal) ने यहां एक आधिकारिक ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं से कहा कि संवेदनशील राज्यों में 46 टीमों को तैनात या पहले से तैनात किया गया है, 18 टीमों को रिजर्व में रखा गया है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीजी द्वारा साझा किए गए तैनाती के अनुसार 46 टीमों में से 19 पश्चिम बंगाल में, 17 ओडिशा में, 19 आंध्र प्रदेश में, सात तमिलनाडु में और दो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित हैं. एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि सभी टीमों को विभिन्न राज्य सरकारों की इच्छानुसार उपलब्ध कराया गया है और उन्हें स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से तैनात किया जाएगा.
एनडीआरएफ की एक टीम में लगभग 30 कर्मी होते हैं जो उखड़े हुए पेड़ों को साफ करने के लिए पोल कटर, बिजली के आरी, नावों और कुछ अन्य राहत और बचाव उपकरणों से लैस होते हैं. करवाल ने कहा कि हम स्थिति से हर संभव तरीके से निपटने के लिए आश्वस्त हैं.
उन्होंने कहा कि संघीय आकस्मिक बल द्वारा प्रभावित राज्यों और नागरिकों की मदद के लिए सभी तैयारियां की गई हैं. डीजी ने कहा कि जवाद को गंभीर चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां हवा की गति 100-110 किमी प्रति घंटे के बीच होती है. यह उम्मीद की जाती है कि यह बड़े पैमाने पर चक्रवाती तूफान की उच्च श्रेणी का आकार नहीं लेगा.
उन्होंने कहा कि प्रभावित राज्यों में एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को तेजी से एयरलिफ्ट करने के लिए बल एकीकृत रक्षा कर्मचारियों (आईडीएस) के संपर्क में है. एनडीआरएफ प्रमुख ने कहा कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee), प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में एक अन्य पैनल ने पहले ही स्थिति की समीक्षा की है और ये तब तक जारी रहेगा जब तक ओडिशा में 5 दिसंबर को चक्रवात तट पर नहीं आता.
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने शुक्रवार को कहा कि बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का सिस्टम तेज होकर चक्रवाती तूफान जवाद में बदल गया है. आईएमडी ने कहा कि चक्रवाती तूफान के शनिवार सुबह तक उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तट पर पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने की संभावना है.
(PTI)