इस समय चैत्र नवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है, नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस साल की नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू होकर 30 मार्च 2023 को समाप्त होगी. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा के नौ रूप बहुत शक्तिशाली हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. Chaitra Navratri 2023 . Maa Skandamata worship method .
शास्त्रों के अनुसार देवी के ये 9 स्वरूप हैं- 1.शैलपुत्री - Shailputri , 2.ब्रह्मचारिणी - Brahmacharini , 3.चंद्रघंटा - Chandraghanta , 4.कुष्मांडा - Kushmanda , 5.स्कंदमाता - Skandamata , 6. कात्यायनी - Katyayani , 7. कालरात्रि - Kalaratri , 8. महागौरी - Mahagauri , 9. सिद्धिदात्री - Siddhidatri . मन्यता है कि, जो भी Chaitra Navratri में माता के इन नौ रूपों की पूजा करता है, और श्रद्धा से कथा सुनता-पढ़ता है, उस पर मां दुर्गा की विशेष कृपा होती है. स्कंदमाता देवी दुर्गा का पांचवां रूप है. जब देवी पार्वती भगवान स्कंद (जिन्हें भगवान कार्तिकेय भी कहा जाता है) की माता बनीं, तो माता पार्वती को देवी स्कंदमाता के नाम से भी पुकारा जाने लगा.
स्कंदमाता का चमत्कारी स्वरूप
स्कंदमाता के चार हाथ और तीन आंखें हैं. उनका वाहन सिंह है. उनका एक हाथ अभयमुद्रा स्थिति में है और दूसरे हाथ से छह मुख वाले अपने पुत्र कार्तिकेय को धारण किये हुए दिखाया गया है. देवी के अन्य दो हाथों में आमतौर पर कमल के फूल होते हैं. स्कंदमाता ( Maa Skandamata )का रंग शुभ्र है,जिसका अर्थ है गोरा और दीप्तिमान. देवी को अक्सर कमल पर बैठे हुए दिखाया जाता है इसलिए उन्हें पद्मासनी भी कहा जाता है.
देवी स्कंदमाता पूजा विधि और भोग
भक्तों का मानना है कि वह खतरे से बचाती है, शक्ति, समृद्धि और धन देती है. देवी अज्ञानी को ज्ञान देती हैं. एक भक्त जो निस्वार्थ रूप से देवी के प्रति समर्पित है, वह अपने जीवन में सभी सफलताओं और समृद्धि को प्राप्त करता है. देवी स्कंदमाता की पूजा करते समय भक्त को अपनी इंद्रियों और मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। इनकी पूजा करने से दोगुना भक्तों को आशीर्वाद मिलता है.देवी पार्वती के स्कंदमाता रूप की पूजा करने से भक्तों को भगवान कार्तिकेय- Murugan Swamy की पूजा करने का लाभ वआशीर्वाद मिलता है.जब भक्त देवी की पूजा करता है,तो उनकी गोद में बैठे पुत्र स्कंद की स्वतः ही पूजा हो जाती है.
केले का भोग अवश्य लगाएं
नवरात्रि के पांचवें दिन ( Navratri day five puja ) देवी स्कंदमाता की पूजा करने से पहले भक्तों को शुद्ध तन और मन से घटस्थापना स्थान पर पहले दिन स्थापित कलश या मंदिर में मूर्ति के चरणों पर पांच मिनट तक ध्यान करना चाहिए. कलश के साथ नवग्रह की भी पूजा करें. फिर देवी स्कंदमाता का आह्वान करें. देवी की प्रतिमा को स्नान कराएं.अगर आपके पास मूर्ति की जगह तस्वीर है तो तस्वीर को अच्छे से साफ कर लें. मां स्कंदमाता को वस्त्र, पीले फूल, गंगाजल, कुमकुम अर्पित करें. देवी को केले से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का एक विशेष भोग भी लगाया जाता है. साथ ही उन्हें भोग के रूप में हलवे का भोग लगाएं. स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें और फिर प्रसाद बांटें. Navratri 2023 . Navratri day five puja . Chaitra Navratri 2023 . Maa Skandamata .
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