नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की पृष्ठभूमि में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम-मार्क्सवादी) ने शनिवार को मणिपुर में मौजूदा अशांति के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पर आरोप लगाया.
पूर्व सांसद और सीपीएम केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्लाह (Hannan Mollah) ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा, 'वर्तमान भाजपा सरकार और पिछली कांग्रेस सरकार दोनों समुदायों-कुकी और मेतेई को एक साथ लाने में विफल रही थीं. मणिपुर की स्थिति पर गहन आत्ममंथन की जरूरत है.'
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार मणिपुर की 'हत्या' के बाद अब उस पर ताबूत लगाने की कोशिश कर रही है. मोल्लाह ने कहा कि '100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है. गृह मंत्री पहले मणिपुर गए थे, लेकिन वह शांति स्थापित करने में असफल रहे. मुझे नहीं लगता कि आज की संपूर्ण बैठक इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल पाएगी.'
पूर्व सांसद ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर भी उनकी आलोचना की. मोल्लाह ने कहा कि 'मणिपुर की स्थिति एक राष्ट्रीय संकट है. और हमारे प्रधानमंत्री ने इस पर बोलने की जहमत तक नहीं उठाई. केंद्र सरकार पूरी तरह से मणिपुर की उपेक्षा कर रही है.'
इस बीच, मणिपुर के सभी 10 विपक्षी दलों ने मणिपुर में जारी हिंसा के खिलाफ राजघाट पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. मोल्लाह ने बताया कि '10 विपक्षी दलों के नेता पीएम से मुलाकात करने और अपनी चिंताएं दूर करने के मकसद से मनिउर से दिल्ली आए. लेकिन प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात नहीं की. आज वे राजघाट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए निकले और सरकार से मणिपुर में शांति सुनिश्चित करने की अपील की.'
उन्होंने कहा कि रविवार को मणिपुर की सभी 10 विपक्षी पार्टियां नई दिल्ली में एक शांति सम्मेलन भी आयोजित करेंगी.