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जानिए कैसे धारावी में कोरोना को मिली मात

धारावी में पिछले एक महीने से कोविड 19 सकारात्मक मामलों और मौतों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की है. धारावी में कोरोना के रोगियों की संख्या में कमी नगर पालिका, पुलिस, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है, जिन्होंने प्रभावित लोगों को क्वारंटाइन करने पर जोर दिया और उनकी ट्रेसिंग की.

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Published : Jun 28, 2020, 4:14 AM IST

मुंबई : महाराष्ट्र की धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, जिसे कभी मुंबई में कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन पिछले एक महीने से यहां कोरोना के पॉजिटिव मामलों और मौतों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की है.

धारावी में कोरोना के रोगियों की संख्या में कमी नगर पालिका, पुलिस, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है, जिन्होंने प्रभावित लोगों को क्वारंटाइन में करने पर जोर दिया और उनकी ट्रेसिंग की.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की सराहना की है. धारावी में कोरोना के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. इसके बाद दिल्ली सहित कई राज्य धारावी की सफलता की कहानी के रहस्य को जानने में लगे हैं.

धारावी में लोग एक कॉम्पैक्ट जगह में रहने के लिए मजबूर हैं और लगभग हर कोई एक दिन में कई बार सड़क पर आता है. इसलिए लोगों को घर के अंदर रहने या सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कोई अलग कमरा नहीं है.

अधिकारियों के लिए एक मिलियन से अधिक आबादी वाली मलिन बस्तियों को कवर करना और सोशल डिस्टेंसिंग आदि को लागू करना एक कठिन कार्य था.

शुरुआती दिनों के दौरान लोग कोरोना के लक्षणों के बारे में जानकारी देने से डरते थे, लेकिन मुंबई नगर निगम ने निजी डॉक्टरों की मदद से उन लोगों तक पहुंचने का फैसला किया, जो उनके पारिवारिक के डॉक्टर हैं.

इन फैमिली डॉक्टर्स उनसे कम फीस लेते हैं और उनका विश्वास हासिल करके लोगों के साथ एक करीबी रिश्ता विकसित करते हैं. कोविड 19 टेस्टिंग के लिए 'फीवर क्लीनिक' की स्थापना की गई है, जहां संदिग्ध मरीजों की जांच डॉक्टरों द्वारा की जा रही है और कॉन्टैक्ट शीट भरी जा रही हैं.

ईटीवी भारत से विशेष रूप से बात करते हुए भारतीय चिकित्सक परिषद अधिकारी डॉ अनिल पचनेकर ने बताया कि धारावी मिशन के तहत पूरे क्षेत्र में कोरोना वायरस फैलाने के लिए चर्चा की.

ईटीवी बारत से बात करते अनिल पचनेकर

उन्होंने कहा कि लगभग एक सप्ताह में 47,500 लोगों की डोर-टू-डोर जाकर स्क्रीनिंग की गई. इनमें से कुछ लोगों क्वारंटाइन में भेजा गया था और जिनमें से लगभग 150 को बाद के परीक्षणों में सकारात्मक पाया गया था उन्हें अस्पताल भेजा गया.

देशव्यापी तालाबंदी बाद चार लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने मूल स्थानों पर चले गए, जिससे बीएमसी को उचित कदम उठाने में मदद मिली ,क्योंकि क्षेत्र में भीड़ कम हो गई.

निवारक उपायों का समर्थन करते हुए, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) प्रशासन ने फीवर क्लीनिकों में कोरोना परीक्षण की संख्या में वृद्धि की, डोर-टू-डोर सर्वेक्षण करना, उचित संगरोध सुविधाओं की व्यवस्था करना आदि.

इस क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं के नियमित छिड़काव के साथ मास्क का सेनिटाइजेशन और उपयोग पर जोर दिया गया.

बीएमसी के डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर किरण दिघावकर के साथ बात करने के दौरान, यह पता चला कि बीएमसी के अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को मोबाइल वैन में काम के करने के लिए लगाया गया. धारावी पृथक केंद्रों को धारावी के भीतर ही स्थापित किया गया, जिस कारण लोगों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया.

ईटीवी भारत से किरण दिघावकर की खास बातचीत

पढ़ें - गृहमंत्री शाह के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में कोरोना के खिलाफ लड़ाई तेज

उन्हें इलाज के लिए ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ता था. बीएमसी ने लंच और डिनर के लिए 21,000 खाद्य पैकेट वितरित किए, ताकि लोगों को भोजन के लिए बाहर न जाना पड़े.

ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए में दीघावकर ने कहा कि उनकी अन्य जरूरतों का भी ध्यान रखा गया. सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश नांगरे ने कहा कि CREDAI और भारतीय जैन संगठन सहित कई गैर-सरकारी संगठन और संगठन इस आंदोलन में शामिल हुए. स्थानीय पुलिस की भूमिका भी अहम रही.

ईटीवी बारत से बात करते रमेश नांगरे

लोगों को राजी करने के लिए मोबाइल वैन और पुलिस गश्त वैन से कई भाषाओं में रिकॉर्ड किए गए संदेश को चलाया गया. पुलिस को इलाके में हमेशा तैनात किया गया.

इसके अलावा धारावी में सामुदायिक भावना ने कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई जीतने में एक अहम भूमिका निभाई.

एक बार जब लोगों को विश्वास में ले लिया गया तो कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग तुलनात्मक रूप से आसान हो गई. क्योंकि लोग अपने लक्षणों को छिपा नहीं सके. हालांकि मिशन के दौरान, लगभग 33 पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए. एक अधिकारी को भी कोरोना से अपनी जान गंवानी पड़ी.

जहां सरकार को अग्रिम पंक्ति के कोरोना वॉरियर की कमी का सामना करना पड़ रहा है, वैसे ही सरकार को स्थिति से निबटने के लिए अधिक जनशक्ति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.

मुंबई : महाराष्ट्र की धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, जिसे कभी मुंबई में कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन पिछले एक महीने से यहां कोरोना के पॉजिटिव मामलों और मौतों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की है.

धारावी में कोरोना के रोगियों की संख्या में कमी नगर पालिका, पुलिस, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है, जिन्होंने प्रभावित लोगों को क्वारंटाइन में करने पर जोर दिया और उनकी ट्रेसिंग की.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की सराहना की है. धारावी में कोरोना के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. इसके बाद दिल्ली सहित कई राज्य धारावी की सफलता की कहानी के रहस्य को जानने में लगे हैं.

धारावी में लोग एक कॉम्पैक्ट जगह में रहने के लिए मजबूर हैं और लगभग हर कोई एक दिन में कई बार सड़क पर आता है. इसलिए लोगों को घर के अंदर रहने या सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कोई अलग कमरा नहीं है.

अधिकारियों के लिए एक मिलियन से अधिक आबादी वाली मलिन बस्तियों को कवर करना और सोशल डिस्टेंसिंग आदि को लागू करना एक कठिन कार्य था.

शुरुआती दिनों के दौरान लोग कोरोना के लक्षणों के बारे में जानकारी देने से डरते थे, लेकिन मुंबई नगर निगम ने निजी डॉक्टरों की मदद से उन लोगों तक पहुंचने का फैसला किया, जो उनके पारिवारिक के डॉक्टर हैं.

इन फैमिली डॉक्टर्स उनसे कम फीस लेते हैं और उनका विश्वास हासिल करके लोगों के साथ एक करीबी रिश्ता विकसित करते हैं. कोविड 19 टेस्टिंग के लिए 'फीवर क्लीनिक' की स्थापना की गई है, जहां संदिग्ध मरीजों की जांच डॉक्टरों द्वारा की जा रही है और कॉन्टैक्ट शीट भरी जा रही हैं.

ईटीवी भारत से विशेष रूप से बात करते हुए भारतीय चिकित्सक परिषद अधिकारी डॉ अनिल पचनेकर ने बताया कि धारावी मिशन के तहत पूरे क्षेत्र में कोरोना वायरस फैलाने के लिए चर्चा की.

ईटीवी बारत से बात करते अनिल पचनेकर

उन्होंने कहा कि लगभग एक सप्ताह में 47,500 लोगों की डोर-टू-डोर जाकर स्क्रीनिंग की गई. इनमें से कुछ लोगों क्वारंटाइन में भेजा गया था और जिनमें से लगभग 150 को बाद के परीक्षणों में सकारात्मक पाया गया था उन्हें अस्पताल भेजा गया.

देशव्यापी तालाबंदी बाद चार लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने मूल स्थानों पर चले गए, जिससे बीएमसी को उचित कदम उठाने में मदद मिली ,क्योंकि क्षेत्र में भीड़ कम हो गई.

निवारक उपायों का समर्थन करते हुए, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) प्रशासन ने फीवर क्लीनिकों में कोरोना परीक्षण की संख्या में वृद्धि की, डोर-टू-डोर सर्वेक्षण करना, उचित संगरोध सुविधाओं की व्यवस्था करना आदि.

इस क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं के नियमित छिड़काव के साथ मास्क का सेनिटाइजेशन और उपयोग पर जोर दिया गया.

बीएमसी के डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर किरण दिघावकर के साथ बात करने के दौरान, यह पता चला कि बीएमसी के अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को मोबाइल वैन में काम के करने के लिए लगाया गया. धारावी पृथक केंद्रों को धारावी के भीतर ही स्थापित किया गया, जिस कारण लोगों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया.

ईटीवी भारत से किरण दिघावकर की खास बातचीत

पढ़ें - गृहमंत्री शाह के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में कोरोना के खिलाफ लड़ाई तेज

उन्हें इलाज के लिए ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ता था. बीएमसी ने लंच और डिनर के लिए 21,000 खाद्य पैकेट वितरित किए, ताकि लोगों को भोजन के लिए बाहर न जाना पड़े.

ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए में दीघावकर ने कहा कि उनकी अन्य जरूरतों का भी ध्यान रखा गया. सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश नांगरे ने कहा कि CREDAI और भारतीय जैन संगठन सहित कई गैर-सरकारी संगठन और संगठन इस आंदोलन में शामिल हुए. स्थानीय पुलिस की भूमिका भी अहम रही.

ईटीवी बारत से बात करते रमेश नांगरे

लोगों को राजी करने के लिए मोबाइल वैन और पुलिस गश्त वैन से कई भाषाओं में रिकॉर्ड किए गए संदेश को चलाया गया. पुलिस को इलाके में हमेशा तैनात किया गया.

इसके अलावा धारावी में सामुदायिक भावना ने कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई जीतने में एक अहम भूमिका निभाई.

एक बार जब लोगों को विश्वास में ले लिया गया तो कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग तुलनात्मक रूप से आसान हो गई. क्योंकि लोग अपने लक्षणों को छिपा नहीं सके. हालांकि मिशन के दौरान, लगभग 33 पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए. एक अधिकारी को भी कोरोना से अपनी जान गंवानी पड़ी.

जहां सरकार को अग्रिम पंक्ति के कोरोना वॉरियर की कमी का सामना करना पड़ रहा है, वैसे ही सरकार को स्थिति से निबटने के लिए अधिक जनशक्ति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.

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