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कोरोना : यह महीना मुश्किल, आम नागरिकों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

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Published : May 10, 2020, 3:59 PM IST

Updated : May 10, 2020, 6:09 PM IST

देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 62 हजार के पार हो गई है. केंद्र और राज्य सरकारें इस निबटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन कोरोना के मामले में लगातार बढ़ते जा रहे है. विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना से रोकने के लिए देश के आम नागरिकों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का सहयोग करना आवश्यक है. तभी इस महामारी से निबटा जा सकता है.

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डिजाइन इमेज.

हैदराबाद : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इससे निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन कोरोना के मामले में लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है. चिकित्सा विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि भारत के लिए यह महीना काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना को रोकने के लिए देश के आम नागरिकों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का सहयोग करना आवश्यक है, तभी इस महामारी से निबटा जा सकता है.

नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अगर लॉकडाउन हटा दिया जाता है, तो कोरोना के मामले 15 मई तक 65 हजार और 15 अगस्त तक 2.7 करोड़ तक पहुंच जाएंगे.

देश की जनता और अर्थव्यवस्था के लिए महामारी से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए दो अहम फैसले लिए हैं.

पहला-

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 3.0 दो सप्ताह के लिए घोषित किया है. यह लॉकडाउन 17 मई तक है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने देश के अलग-अलग इलाकों को रेड, ग्रीन व ऑरेंज जोन में बांटा है.

दूसरा-

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की है, जो उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाएगी.

कंटेनमेंट जोन, जहां लॉकडाउन सबसे ज्यादा सख्ती से लागू रहेगा. वहां भी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ लोगों को मार्केटिंग और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की अनुमति दी है.

यह उत्साहजनक है कि 15 अप्रैल और एक मई के बीच रेड जोन की संख्या 170 से 130 हो गई है, लेकिन ऑरेंज जोन की संख्या बढ़कर 284 हो गई है. इसी अवधि के दौरान ग्रीन जोन संख्या में कमी आई है. यह कोरोना फैलने के खतरे को इंगित करता है.

देश में कोरोना वायरस के मामले पहले प्रतिदिन औसतन एक हजार आते थे, लेकिन यह अब बढ़कर दो हजार हो गया है. भारत ने अमेरिका, इटली और स्पेन के अपेक्षा कोरोना को रोकने में सफलता पाई है.

देश में कोरोना की जांच करने के लिए 419 प्रयोगशालाएं हैं. इतना ही नहीं देश में प्रतिदिन 75,000 कोरोना परीक्षण किए जा रहे हैं.

देश की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूर महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. देश की जीडीपी में दस फीसदी हिस्सा प्रवासी मजदूरों का हिस्सा है. यह लोग देश के कोने-कोने में जाते हैं, जहां भी उनके कौशल की मांग होती है. गांवों में 9.95 करोड़ परिवार और शहरों में 3.56 करोड़ परिवार इन प्रवासी श्रमिकों से हर महीने पैसा प्राप्त करते हैं.

देश में पिछले 40 दिन से लॉकडाउन है. इसकी शुरुआत 24 मार्च से हुई है, इसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है, क्योंकि कंपनियों पर ताला लटका है और लोगों को एक जगह एकत्रित होने से मनाही है. इस वजह से यह प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि महाराष्ट्र, केरल और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ बिहार, पंजाब और तेलंगाना राज्यों के अनुरोध पर केंद्र ने प्रवासी श्रमिकों के परिवहन के लिए विशेष ट्रेनों की पर्याप्त व्यवस्था की है.

हालांकि केंद्र ने इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा के लिए कुछ शर्तें लगाई हैं, लेकिन यह भी आशंका जताई जा रही है कि इससे कोरोना वायरस से मामले बढ़ सकते हैं. हाल ही में पंजाब सरकार ने नांदेड़ गुरुद्वारे में फंसे सिख तीर्थयात्रियों को वापस ले लिया.

बता दें कि पहले से ही 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने अपने गृहराज्य में वापस जाने के लिए अपने नाम दर्ज करा लिए हैं, लेकिन इन मजदूरों के ट्रेनों में सवार होने से पहले सभी यात्रियों को चिकित्सा परीक्षण कराने और उन्हें अपने गंतव्य पर पहुंचने पर क्वारंटाइन केंद्रों तक पहुंचाने जैसी प्रक्रियाओं को बड़ी जिम्मेदारी के साथ पूरा किया जाना चाहिए.

देश की राज्य सरकारों को यह महसूस करना चाहिए कि जटिल और जोखिम भरे परिवहन की इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम देने में कोई चूक देश के लिए घातक साबित होगी.

हैदराबाद : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इससे निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन कोरोना के मामले में लगातार वृद्धि दर्ज हो रही है. चिकित्सा विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि भारत के लिए यह महीना काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना को रोकने के लिए देश के आम नागरिकों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का सहयोग करना आवश्यक है, तभी इस महामारी से निबटा जा सकता है.

नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अगर लॉकडाउन हटा दिया जाता है, तो कोरोना के मामले 15 मई तक 65 हजार और 15 अगस्त तक 2.7 करोड़ तक पहुंच जाएंगे.

देश की जनता और अर्थव्यवस्था के लिए महामारी से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए दो अहम फैसले लिए हैं.

पहला-

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 3.0 दो सप्ताह के लिए घोषित किया है. यह लॉकडाउन 17 मई तक है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने देश के अलग-अलग इलाकों को रेड, ग्रीन व ऑरेंज जोन में बांटा है.

दूसरा-

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की है, जो उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाएगी.

कंटेनमेंट जोन, जहां लॉकडाउन सबसे ज्यादा सख्ती से लागू रहेगा. वहां भी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ लोगों को मार्केटिंग और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की अनुमति दी है.

यह उत्साहजनक है कि 15 अप्रैल और एक मई के बीच रेड जोन की संख्या 170 से 130 हो गई है, लेकिन ऑरेंज जोन की संख्या बढ़कर 284 हो गई है. इसी अवधि के दौरान ग्रीन जोन संख्या में कमी आई है. यह कोरोना फैलने के खतरे को इंगित करता है.

देश में कोरोना वायरस के मामले पहले प्रतिदिन औसतन एक हजार आते थे, लेकिन यह अब बढ़कर दो हजार हो गया है. भारत ने अमेरिका, इटली और स्पेन के अपेक्षा कोरोना को रोकने में सफलता पाई है.

देश में कोरोना की जांच करने के लिए 419 प्रयोगशालाएं हैं. इतना ही नहीं देश में प्रतिदिन 75,000 कोरोना परीक्षण किए जा रहे हैं.

देश की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूर महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. देश की जीडीपी में दस फीसदी हिस्सा प्रवासी मजदूरों का हिस्सा है. यह लोग देश के कोने-कोने में जाते हैं, जहां भी उनके कौशल की मांग होती है. गांवों में 9.95 करोड़ परिवार और शहरों में 3.56 करोड़ परिवार इन प्रवासी श्रमिकों से हर महीने पैसा प्राप्त करते हैं.

देश में पिछले 40 दिन से लॉकडाउन है. इसकी शुरुआत 24 मार्च से हुई है, इसका सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है, क्योंकि कंपनियों पर ताला लटका है और लोगों को एक जगह एकत्रित होने से मनाही है. इस वजह से यह प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि महाराष्ट्र, केरल और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ बिहार, पंजाब और तेलंगाना राज्यों के अनुरोध पर केंद्र ने प्रवासी श्रमिकों के परिवहन के लिए विशेष ट्रेनों की पर्याप्त व्यवस्था की है.

हालांकि केंद्र ने इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा के लिए कुछ शर्तें लगाई हैं, लेकिन यह भी आशंका जताई जा रही है कि इससे कोरोना वायरस से मामले बढ़ सकते हैं. हाल ही में पंजाब सरकार ने नांदेड़ गुरुद्वारे में फंसे सिख तीर्थयात्रियों को वापस ले लिया.

बता दें कि पहले से ही 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने अपने गृहराज्य में वापस जाने के लिए अपने नाम दर्ज करा लिए हैं, लेकिन इन मजदूरों के ट्रेनों में सवार होने से पहले सभी यात्रियों को चिकित्सा परीक्षण कराने और उन्हें अपने गंतव्य पर पहुंचने पर क्वारंटाइन केंद्रों तक पहुंचाने जैसी प्रक्रियाओं को बड़ी जिम्मेदारी के साथ पूरा किया जाना चाहिए.

देश की राज्य सरकारों को यह महसूस करना चाहिए कि जटिल और जोखिम भरे परिवहन की इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम देने में कोई चूक देश के लिए घातक साबित होगी.

Last Updated : May 10, 2020, 6:09 PM IST
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