ETV Bharat / bharat

Bastar Dussehra 2023:बस्तर दशहरा की तीसरी रस्म बारसी उतारनी हुई पूरी, शुरू हुआ रथ बनाने का काम

Bastar Dussehra 2023:बस्तर दशहरा की तीसरी रस्म बारसी उतारनी रविवार को विधि-विधान से पूरी हुई. इस रस्म में औजारों की खास पूजा होती है. इसके बाद अब रथ को तैयार किया जाएगा. मान्यता है कि बारसी उतारनी की रस्म पूरी होने के बाद रथ बनाने में कोई विघ्न नहीं पड़ता है.

Bastar Dussehra 2023
बस्तर दशहरा 2023
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 1, 2023, 8:12 PM IST

बस्तर दशहरा की तीसरी रस्म बारसी उतारनी हुई पूरी

बस्तर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की तीसरी रस्म बारसी उतारनी रविवार को पूरी कर ली गई है. विधि-विधान से जगदलपुर शहर के सिरहाकर भवन के पास इस रस्म को निभाया गया. पूजा में झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण कारीगरों ने साल की लकड़ी और पारंपरिक औजारों की पूजा की. फिर मोंगरी मछली और बकरे की बलि के दी गई. ताकि रथ बनाने में किसी प्रकार तरह की कोई दिक्कत ना आए.

बरसों पुरानी है ये परम्परा: बता दें कि ये परंपरा वर्षों पुरानी परम्परा है, जिसे बस्तर के झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण निभाते आ रहे हैं. इस पूजा के बाद ही बस्तर दशहरे में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ को बनाने का काम शुरू होता है. बस्तर दशहरे की दूसरी बड़ी रस्म डेरी गढ़ई के बाद बस्तर जिले के अलग-अलग गांव से ग्रामीण पारंपरिक टंगिया हथियार लेकर माचकोट और दरभा के जंगल में पहुंचते हैं. जंगल से साल के पेड़ों को काटकर सिरहासार भवन तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ग्रामीण रथ बनाने से पहले बारसी उतरनी की पूजा करते हैं. इस पूजा के बाद रथ बनाने का काम शुरू होता है.

पहले पाठ जात्रा और डेरी गढ़ई रस्म निभाई गई. रविवार को बारसी उतारनी रस्म निभाई गई. झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के नाईक के नेतृत्व में करीब 150 ग्रामीण रथ कारीगर जगदलपुर आए. ये सभी रथ बनाने का काम करेंगे. सभी कारीगर अपने साथ औजार लेकर पहुंचे हैं. सभी औजारों की पूजा हो गई है. रथ निर्माण का कार्य पूरा करके 15 अक्टूबर को रथ सौंप दिया जाएगा. इस साल 4 चक्के का रथ चलेगा. हालांकि रथ निर्माण के लिए कितनी लकड़ी आई है. इसका अनुमान पूरी लकड़ी आने के बाद लगाया जाएगा. -अर्जुन श्रीवास्तव, तहसीलदार

Bastar Dussehra concludes : 75 दिन बाद बस्तर दशहरा का समापन, निभाई गई अंतिम रस्म डोली विदाई
Bastar Dussehra Dairy Gadhai: धूमधाम से निभाई गई बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई, रथ बनाने का काम होगा शुरू
75 दिनों का बस्तर दशहरा संपन्न, मां दंतेश्वरी की डोली लौटी दंतेवाड़ा

इसलिए की जाती है बारसी उतारनी की पूजा: बस्तर के ग्रामीण और रथ कारीगर रविवार को बारसी उतारनी की पूजा विधि-विधान से किए. इस पूजा में अपने औजारों को रखकर उसकी पूजा की गई. ताकि रथ निर्माण का काम शुरू कर सकें. इन नियमों के पालन का मूल कारण होता है कि रथ बनाने में कोई विघ्न न आए. ग्रामीणों का मानना है कि रथ बनाने में कोई परेशानी ना हो इसलिए ये सब पूजा की जाती है.

बस्तर दशहरा की तीसरी रस्म बारसी उतारनी हुई पूरी

बस्तर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की तीसरी रस्म बारसी उतारनी रविवार को पूरी कर ली गई है. विधि-विधान से जगदलपुर शहर के सिरहाकर भवन के पास इस रस्म को निभाया गया. पूजा में झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण कारीगरों ने साल की लकड़ी और पारंपरिक औजारों की पूजा की. फिर मोंगरी मछली और बकरे की बलि के दी गई. ताकि रथ बनाने में किसी प्रकार तरह की कोई दिक्कत ना आए.

बरसों पुरानी है ये परम्परा: बता दें कि ये परंपरा वर्षों पुरानी परम्परा है, जिसे बस्तर के झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण निभाते आ रहे हैं. इस पूजा के बाद ही बस्तर दशहरे में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ को बनाने का काम शुरू होता है. बस्तर दशहरे की दूसरी बड़ी रस्म डेरी गढ़ई के बाद बस्तर जिले के अलग-अलग गांव से ग्रामीण पारंपरिक टंगिया हथियार लेकर माचकोट और दरभा के जंगल में पहुंचते हैं. जंगल से साल के पेड़ों को काटकर सिरहासार भवन तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ग्रामीण रथ बनाने से पहले बारसी उतरनी की पूजा करते हैं. इस पूजा के बाद रथ बनाने का काम शुरू होता है.

पहले पाठ जात्रा और डेरी गढ़ई रस्म निभाई गई. रविवार को बारसी उतारनी रस्म निभाई गई. झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के नाईक के नेतृत्व में करीब 150 ग्रामीण रथ कारीगर जगदलपुर आए. ये सभी रथ बनाने का काम करेंगे. सभी कारीगर अपने साथ औजार लेकर पहुंचे हैं. सभी औजारों की पूजा हो गई है. रथ निर्माण का कार्य पूरा करके 15 अक्टूबर को रथ सौंप दिया जाएगा. इस साल 4 चक्के का रथ चलेगा. हालांकि रथ निर्माण के लिए कितनी लकड़ी आई है. इसका अनुमान पूरी लकड़ी आने के बाद लगाया जाएगा. -अर्जुन श्रीवास्तव, तहसीलदार

Bastar Dussehra concludes : 75 दिन बाद बस्तर दशहरा का समापन, निभाई गई अंतिम रस्म डोली विदाई
Bastar Dussehra Dairy Gadhai: धूमधाम से निभाई गई बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई, रथ बनाने का काम होगा शुरू
75 दिनों का बस्तर दशहरा संपन्न, मां दंतेश्वरी की डोली लौटी दंतेवाड़ा

इसलिए की जाती है बारसी उतारनी की पूजा: बस्तर के ग्रामीण और रथ कारीगर रविवार को बारसी उतारनी की पूजा विधि-विधान से किए. इस पूजा में अपने औजारों को रखकर उसकी पूजा की गई. ताकि रथ निर्माण का काम शुरू कर सकें. इन नियमों के पालन का मूल कारण होता है कि रथ बनाने में कोई विघ्न न आए. ग्रामीणों का मानना है कि रथ बनाने में कोई परेशानी ना हो इसलिए ये सब पूजा की जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.