रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार जारी ईडी की कार्रवाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. बघेल सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के छापे की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. प्रदेश में बीते 8 महीनों से लगातार ईडी की कार्रवाई जारी है. पहली बार छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले की पहली सुनवाई मई के पहले सप्ताह यानी 4 मई को होगी.
PMLA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बघेल सरकार: प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी की पीएमएलए के प्रावधानों के खिलाफ बघेल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है. जिसमें मुख्य मुकदमा प्रवर्तन निदेशालय ईडी की तरफ से छत्तीसगढ़ में की जा रही कार्रवाई को लेकर है. ये केस सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस रविंद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पीठ में पहुंची है.
इस केस में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और छत्तीसगढ़ के वकील समीर सोढ़ी ने जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है. पीएमएलए की धारा 17, धारा 50, धारा 63 और धारा 71 को लेकर सवाल उठाए गए हैं. इसे संविधान के विपरीत बताया गया है.
पीएमएलए की किस धारा का क्या मतलब है यहां समझिए
- धारा 17,खोज और जब्ती
- धारा 50, समन दस्तावेजों को पेश करने और सबूत देने आदि के बारे में अधिकारियों की शक्तियां
- धारा 63, गलत सूचना या सूचना देने में विफलता आदि के लिए सजा
- धारा 71, ओवरराइडिंग प्रभाव
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पिछले साल भी हुई थी सुनवाई: ईडी की कार्रवाई को लेकर बीते साल भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) पर बड़ा फैसला सुनाया खथा. इसमें कोर्ट ने ईडी के कई अधिकारों की पुष्टि की थी. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को कोर्ट ने झटका दिया था. इसके साथ ही पीएमएलए कानून की विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने यह कहा था कि साल 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी के सभी अधिकारों को बरकरार रखा है. इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के विधायक गोविंद सिंह की अर्जी पर पीएमएलए की धारा 17,50, 63 और 71 को दी गई चुनौती वाली याचिका पर विचार करने को अपनी मंजूरी दे दी थी.