रायपुर: चुनाव आयोग ने आज 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव दो चरणों में होगा. पहले चरण का चुनाव 7 नवंबर को है. वहीं, दूसरे चरण का चुनाव 17 नवंबर को है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का पहला चरण:
पहले चरण में 20 सीटों पर चुनाव होना है.
नोटिफिकेशन अधिसूचना 13 अक्टूबर 2023
नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर 2023
नामांकन की स्क्रूटनी 23 अक्टूबर 2023
नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर
पहले चरण की वोटिंग 7 नवंबर
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण:
दूसरे चरण में 70 सीटों पर चुनाव होना है.
नोटिफिकेशन अधिसूचना 21 अक्टूबर
नामांकन की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर
नामांकन की स्क्रूटनी 31 अक्टूबर
नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 2 नवंबर
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प्रदेश में आचार संहिता लागू: छत्तीसगढ़ के सभी मतदान केन्द्रों में सुरक्षा के खास इतंजाम किए गए हैं. इधर, चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस और बीजेपी अपने तय तारीख तक ही तय गाइडलाइन के अनुसार ही चुनाव प्रचार करेंगे. बता दें छत्तीसगढ़ में विधानसभा का कार्यकाल 3 जनवरी 2024 को खत्म हो रहा है. इससे पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
प्रदेश के 5 संभागों की 90 सीटों पर होगा चुनाव: छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा. प्रदेश का पांचों संभाग अपने आप में बेहद खास है. हालांकि बस्तर संभाग जिसे छत्तीसगढ़ सत्ता का प्रवेश द्वार कहा जाता है, उस संभाग के 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस ने एक बार फिर सत्ता वापसी की पूरी तैयारी कर रही है. वहीं, बीजेपी ने भी चुनाव को लेकर कमर कस लिया है. भाजपा सत्ता काबिज के लिए लगातार जनता के बीच जाकर वोट की अपील कर रही है. वहीं, कांग्रेस भी जनता को अपने पाले में लेने के लिए अपने पिछले 5 सालों में किए गए विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा की वर्तमान स्थिति: छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सीट हैं, जिसमें से कांग्रेस 71 सीटों पर काबिज है. वहीं भाजपा के पास 13 सीटें हैं. इसके अलावा जेसीसीजे 3 और बहुजन समाजवादी पार्टी के पास दो सीटें हैं.
चुनावी वादों पर कितना अमल हुआ?: कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव 2018 में 36 वादे किए थे, जिसमें से उसका दवा है कि 34 वादे पूरे हो गए हैं, हालांकि विपक्ष का दावा है कि एक भी वादे पूर्ण रूप से पूरे नहीं किए गए हैं. शराबबंदी और नियमितीकरण के वादे को अब तक सरकार पूरा नहीं कर सकी है, जो चुनाव में प्रमुख मुद्दा होगा.
सत्ता विरोधी लहर की स्थिति क्या है?: वर्तमान स्थिति को देखते हुए कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. वहीं भाजपा भी चुनाव के नजदीक आते-आते आक्रमक होती जा रही है. यही वजह है कि इस बार का विधानसभा चुनाव किस ओर करवट लेगा यह कह पाना मुश्किल है. दोनों ही राजनीतिक दलों में जीत हार का अंतर दो-चार सीट से ही होने की संभावना है.
टिकट के लिए कई दावेदार: छत्तीसगढ़ के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस में टिकट के लिए होड़ मची हुई है लेकिन भाजपा ने इस बार सांसदों को विधानसभा चुनाव उतारने का फार्मूला अपनाया है. भाजपा ने इस बीच उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है,लेकिन कांग्रेस अब तक एक भी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं कर सकी है. इस वजह से अब तक प्रदेश में चुनाव प्रचार प्रसार और अभियान को गति नहीं मिल सकी है.
विपक्ष का मुद्दा क्या होगा?: शराबबंदी, नियमितीकरण, शराब घोटाला, बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण न होना,जाति जनगणना, पीएससी स्कैम,कोयला लेवी घोटाला, गौठान घोटाला, डीएमएफ फंड में गड़बड़ी, 'महादेव सट्टेबाजी स्कैम, धान खरीदी, महिलाओं के खिलाफ अपराध और बढ़ता क्राइम, महिला आरक्षण,बेरोजगारी, गरीबी और आदिवासी विकास,पीएम आवास योजना में गड़बड़ी, 'नक्सलवाद का मुद्दा.
लोगों की क्या अपेक्षा है?: प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़े, शिक्षा में और बेहतर सुधार हो सके, बदहाल सड़कें दुरुस्त हो, बिजली पानी की व्यवस्था पर्याप्त हो, कुछ नए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएं, जिसे ब्लॉक जिला सहित प्रदेश का विकास हो सके, अधूरे निर्माण कार्य पूर्ण हो, व्यस्ततम जगह पर बड़े-बड़े पुल का निर्माण कराया जाए.
सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे: 76 प्रतिशत आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का हस्ताक्षर न करना प्रदेश का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है. प्रदेश के अधिकतर सड़कों की हालत खराब है यह भी चुनावी मुद्दा हो सकता है. वहीं शराबबंदी के मामले में भी सरकार घिरी हुई नजर आ रही है. इसके अलावा कोल, जमीन माफिया को संरक्षण देने का भी राज्य सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं. पीएससी घोटाला आरोप भी प्रदेश स्तरीय मुद्दा है, जिसे भुनाने में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को आवास न मिलने का आरोप लगाते हुए भी विपक्ष ने सरकार को घेर रखा है. पिछले 5 सालों में प्रदेश में कोई बड़ा प्रोजेक्ट का ना आना और किसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण न होना भी सरकार के लिए मुसीबत का सबब है. वहीं धर्मांतरण भी बस्तर में प्रमुख मुद्दा है.