कमर दर्द को आज के दौर की सबसे आम समस्याओं में से एक माना जाता है. युवा हों या बुजुर्ग, माना जाता है कि आजकल लगभग हर तीसरा वयस्क इस समस्या से जूझ रहा हैं. पहले समय में जहां इस समस्या के लिए बढ़ती उम्र, हड्डियों में कमजोरी या रोग को जिम्मेदार माना जाता था, आजकल इसे विशेषतौर पर जीवनशैली जनित (Lifestyle problems disease) समस्याओं में से एक माना जाता है.
रखें जीवनशैली (Healthy lifestyle tips) चुस्त व दुरुस्त : कमर दर्द आज के दौर की सबसे आम समस्याओं में से एक है. पहले के समय में जहां कमरदर्द को बड़े बुजुर्गों की समस्या कहा जाता था लेकिन आज के दौर कम उम्र के लोगों, यहां तक की युवा व बच्चों में भी यह समस्या आम होने लगी है. जानकार मानते हैं कि वर्तमान में कमरदर्द के बढ़ते मामलों के लिए हड्डियों में समस्या या बीमारी से ज्यादा शरीर के पॉश्चर में खराबी, आसीन या असक्रिय जीवन शैली, अस्वास्थ्यकर भोजन तथा उसके कारण शरीर में पोषण की कमी जिम्मेदार हैं.
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जानकार व चिकित्सक मानते हैं कि यदि जीवनशैली सक्रिय तथा दुरुस्त हो तो कमर दर्द की समस्या से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है. लेकिन यदि किसी कारण से कमरदर्द की समस्या हो भी जाए, तो कुछ परिस्तिथ्यों को छोड़ कर सभी में फिजियोथेरेपी काफी लाभकारी हो सकती है. आयुर्वेद में भी कमर दर्द से निजात पाने के लिए कई प्रकार के उपचार बताए जाते हैं. कमर दर्द से राहत पाने के उपायों के बारें में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कमर दर्द होता क्यों है! इस बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभव ने दिल्ली की फिजियोथेरेपिस्ट तथा योग प्रशिक्षक डॉ सुष्मिता गुप्ता मुखर्जी (Dr Sushmita Gupta Mukherjee) से बात की .
क्यों होता हैं कमर दर्द: डॉ सुष्मिता बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में युवाओं में कमर दर्द होने के मामलें काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. यहां तक कि कई बार कक्षा 11 व 12 के बच्चे भी उनके पास इस समस्या के निदान के लिए आते हैं. कमर दर्द के कारणों के बारें में जानकारी देते हुए वह बताती हैं कि दरअसल हमारी शरीर की सभी हड्डियां टिश्यू और मांसपेशियों की मदद से एक दूसरे से जुड़ी हुई होती है. ये टिश्यू और मांसपेशियों सिर्फ हमारी हड्डियों को जोड़ कर कर ही नही रखते हैं बल्कि उनकी गतिविधयों को सरल करने तथा उन्हे अपने स्थान पर बने रहने में भी मदद करते हैं. लेकिन यदि किसी कारण से हमारी हड्डियों के फ्रेम की संरचना में हड्डियों या मांसपेशियों के स्थान में थोड़ा सा परिवर्तन आने लगे या मांसपेशियां व टिश्यू कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाए तो हमारी रीढ़ की हड्डी पर भी प्रभाव पड़ता है और चूंकि हमारे शरीर में कंकाल तंत्र का आधार हमारी रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) होती है, ऐसे में इन अवस्थाओं में गर्दन, पीठ तथा कमर में दर्द की आशंका बढ़ जाती है.
वह बताती हैं कि कई बार पॉश्चर खराब होने के कारण, लंबे समय तक बैठे रहने, खड़े या लेटे रहने के कारण, ज्यादा खेलकुद, भारी सामान उठाने, किसी चोट या समस्या के चलते या कई अन्य कारणों से भी हमारी रीढ़ की हड्डी या उससे जुड़ी मांसपेशियों पर तनाव या दबाव बढ़ने लगता हैं. विशेषतौर पर पॉश्चर खराब होने पर बैठते या खड़े होते समय कमर या कंधों के सीधा ना होने के कारण कमर के निचले हिस्से पर दबाव काफी ज्यादा बढ़ सकता है. जिसका असर कमर में दर्द के रूप में नजर आ सकता है. इसके अलावा कई बार व्यायाम ना करने या शारीरिक रूप से सक्रिय ना रहने पर मांसपेशियों में लचीलापन कम होने लगता है. जो कमर दर्द का कारण बन सकता है.
कई बार हड्डियों में कमजोरी या रोग के कारण भी कमर में दर्द की समस्या होने लगती है. यह समस्या उस समय ज्यादा बढ़ सकती है जब शरीर में पोषण की कमी हो या शरीर कमजोर हो. इसके अलावा इस समस्या का प्रभाव उस समय भी ज्यादा बढ़ सकता है जब पीड़ित जरूरी मात्रा में पानी ना पीता हो या वह ज्यादा तनाव या अवसाद का सामना कर रहा हो.
डॉ सुष्मिता (Dr. Sushmita Gupta Mukherjee) बताती हैं कि हड्डियों व मांसपेशियों का स्वास्थ्य दुरुस्त रहे इसके लिए बहुत जरूरी हैं कि स्वस्थ व पौष्टिक आहार का सेवन किया जाए, व्यायाम किए जाए, पॉश्चर का ध्यान रखा जाए तथा किसी भी प्रकार के खेल को खेलने, सामान उठाने या अन्य कार्यों को तमाम सावधानियों का ध्यान रखते हुए किया जाए. वह कहती हैं कि जीवन शैली यदि चुस्त और तंदुरुस्त होगी तभी शरीर भी स्वस्थ रहेगा और ना सिर्फ कमर दर्द बल्कि कई अन्य प्रकार के रोग व समस्याओं से भी बचाव किया जा सकेगा.
फिजियोथेरेपी है लाभकारी: डॉ सुष्मिता बताती हैं कि वैसे तो नियमित योग तथा अन्य प्रकार के व्यायाम करने से कमर दर्द की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है. लेकिन यदि किसी कारणवश यह समस्या अपनी चपेट में ले ही ले, तो ऐसे में जांच तथा चिकित्सा बहुत जरूरी हो जाती है. वह बताती हैं कि कमर दर्द में फिजियोथेरेपी काफी राहत दिला सकती है. इस चिकित्सा पद्दती में विभिन्न उपचारों, स्ट्रेचिंग व कमर को मजबूती देने वाले अभ्यासों से रीढ़ की हड्डी व उससे जुड़ी मांसपेशियों का तनाव व उनमें समस्याओं को कम करने व कमरदर्द से राहत दिलाने का प्रयास किया जाता है. इसके अलावा हड्डी या मांसपेशियों में चोट या लिगमेंट जैसी अवस्था में भी फिजियोथेरेपी (physiotherapy) काफी फायदेमंद मानी जाती है.
डॉ सुष्मिता (Dr. Sushmita Gupta Mukherjee Physiotherapist Yoga Instructor) बताती हैं कि आजकल कई अन्य प्रकार की थेरेपी भी प्रचलित हो रही हैं जिनके बारें में माना जाता है कि वे इस समस्या में राहत दिला सकती हैं. लेकिन किसी भी प्रकार की थेरेपी लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है और उनकी सलाह पर ही थेरेपी का चयन करना चाहिए.
आयुर्वेदिक उपचार (Back pain ayurvedic treatment) भी फायदेमंद : मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मनीषा काले (Dr Manisha Kale Physician) बताती हैं कि कमर दर्द में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति भी काफी फायदेमंद होती है. पंचकर्म (Panchakarma) तथा इस श्रेणी में आने वाले कई उपचारों के तहत औषधीय तेलों की मालिश तथा औषधि युक्त जल से सिकाई तथा कई अन्य प्रक्रियाओं से कमर दर्द तथा शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले दर्द से राहत दिलाने का प्रयास किया जाता है. लेकिन बहुत जरूरी है कि किसी प्रामाणिक संस्थान से प्रशिक्षित चिकित्सकों की देखरेख में ही यह उपचार कराया जाए.
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