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एक कप कॉफी का जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स जानें..

कॉफी के फायदों और नुकसान के बारे में तो हम आमतौर पर पढ़ते और सुनते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कॉफी पारंपरिक फिल्टर कॉफी में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है. आइए जाने आपकी कॉफी का एक कप जलवायु परिवर्तन में कैसे प्रभाव डालती (Coffee Effect On Climate Change) है.

Coffee Effect On Climate Change
एक कप कॉफी का जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव
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Published : Jan 8, 2023, 10:14 PM IST

Updated : Jan 8, 2023, 11:01 PM IST

क्यूबेक सिटी: कॉफी की वैश्विक खपत लगभग 30 वर्षों से लगातार बढ़ रही (Global consumption of coffee rising steadily) है. प्रति व्यक्ति औसत 2.7 कप कॉफी की दैनिक खपत के साथ, कॉफी अब कनाडा का सबसे लोकप्रिय पेय है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में रोजाना करीब दो अरब कप कॉफी पी जाती है. इस मांग के कारण कॉफी तैयार करने के तरीकों में काफी विविधता आयी है. जिसमें कॉफी कैप्सूल का निर्माण भी शामिल है. इन कैप्सूल की लोकप्रियता ने जनता की राय को विभाजित कर दिया है. क्योंकि इसे तैयार करने की विधि पर्यावरण के लिए हानिकारक है. इसमें एकल-उपयोग वाली ‘पैकेजिंग’ का उपयोग किया जाता है.

उत्पादों और सेवाओं के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने पर काम कर रहे शोधकर्ताओं के रूप में, हम अक्सर कॉफी के कार्बन उत्सर्जन पर चर्चा करते हैं. हमने घर पर कॉफी तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई तकनीकों के कार्बन उत्सर्जन का अध्ययन करने का फैसला किया, और यह पता चला कि कॉफी कैप्सूल सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक नहीं हैं.

कॉफी का जीवन चक्र: घर पर कॉफी तैयार करने से होने वाला प्रदूषण इसका एक छोटा सा हिस्सा है. इससे पहले कि आप एक कप कॉफी का आनंद ले सकें, यह कई चरणों से गुजरता है जिसमें कॉफी ‘बीन्स’ (दाने) के कृषि उत्पादन, उनका परिवहन, ‘बीन्स’ को भूनने और पीसने से लेकर, कॉफी के लिए पानी गर्म करना और कॉफी डालने के लिए प्यालों को धोना तक शामिल है. इन कदमों से संसाधनों का उपयोग होता है और ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन होता (Greenhouse Gases are Emitted) है. कॉफी तैयार करने के तरीकों में कार्बन उत्सर्जन की तुलना करने के लिए, उसके पूरे जीवन चक्र पर विचार करना महत्वपूर्ण है: कॉफी के उत्पादन से लेकर पैकेजिंग और मशीनरी के निर्माण तक, कॉफी की तैयारी और उत्पादित कचरे तक.

कॉफी तैयार करने के चार तरीकों की तुलना करना: हमने इसका और अध्ययन करने का निर्णय लिया और इस विषय पर व्यापक साहित्य समीक्षा की. फिर हमने 280 मिलीलीटर कॉफी तैयार करने के चार तरीकों की तुलना करके कॉफी के कार्बन उत्सर्जन को मापा, यानी : 1) पारंपरिक फिल्टर कॉफी (25 ग्राम कॉफी) 2) एनकैप्सुलेटेड फिल्टर कॉफी (14 ग्राम कॉफी) 3) ब्रूड कॉफी (फ्रेंच प्रेस)) (17 ग्राम कॉफी) 4) घुलनशील कॉफी (12 ग्राम कॉफी), जिसे इंस्टैंट कॉफी भी कहा जाता है.

हमारे विश्लेषण से यह स्पष्ट रूप से पता चला कि पारंपरिक फिल्टर कॉफी में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है, मुख्यतः क्योंकि कॉफी की मात्रा का उत्पादन करने के लिए अधिक मात्रा में कॉफी पाउडर का उपयोग किया जाता है. यह प्रक्रिया पानी को गर्म करने और उसे गर्म रखने के लिए अधिक बिजली की खपत भी करती है.

ये भी पढ़ें : कम उम्र में शारीरिक संबंध लड़कियों के लिए है बड़ा खतरा, बस छोटा-सा ये काम बचाएगा आपकी जान

(पीटीआई-भाषा)

क्यूबेक सिटी: कॉफी की वैश्विक खपत लगभग 30 वर्षों से लगातार बढ़ रही (Global consumption of coffee rising steadily) है. प्रति व्यक्ति औसत 2.7 कप कॉफी की दैनिक खपत के साथ, कॉफी अब कनाडा का सबसे लोकप्रिय पेय है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में रोजाना करीब दो अरब कप कॉफी पी जाती है. इस मांग के कारण कॉफी तैयार करने के तरीकों में काफी विविधता आयी है. जिसमें कॉफी कैप्सूल का निर्माण भी शामिल है. इन कैप्सूल की लोकप्रियता ने जनता की राय को विभाजित कर दिया है. क्योंकि इसे तैयार करने की विधि पर्यावरण के लिए हानिकारक है. इसमें एकल-उपयोग वाली ‘पैकेजिंग’ का उपयोग किया जाता है.

उत्पादों और सेवाओं के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने पर काम कर रहे शोधकर्ताओं के रूप में, हम अक्सर कॉफी के कार्बन उत्सर्जन पर चर्चा करते हैं. हमने घर पर कॉफी तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई तकनीकों के कार्बन उत्सर्जन का अध्ययन करने का फैसला किया, और यह पता चला कि कॉफी कैप्सूल सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक नहीं हैं.

कॉफी का जीवन चक्र: घर पर कॉफी तैयार करने से होने वाला प्रदूषण इसका एक छोटा सा हिस्सा है. इससे पहले कि आप एक कप कॉफी का आनंद ले सकें, यह कई चरणों से गुजरता है जिसमें कॉफी ‘बीन्स’ (दाने) के कृषि उत्पादन, उनका परिवहन, ‘बीन्स’ को भूनने और पीसने से लेकर, कॉफी के लिए पानी गर्म करना और कॉफी डालने के लिए प्यालों को धोना तक शामिल है. इन कदमों से संसाधनों का उपयोग होता है और ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का उत्सर्जन होता (Greenhouse Gases are Emitted) है. कॉफी तैयार करने के तरीकों में कार्बन उत्सर्जन की तुलना करने के लिए, उसके पूरे जीवन चक्र पर विचार करना महत्वपूर्ण है: कॉफी के उत्पादन से लेकर पैकेजिंग और मशीनरी के निर्माण तक, कॉफी की तैयारी और उत्पादित कचरे तक.

कॉफी तैयार करने के चार तरीकों की तुलना करना: हमने इसका और अध्ययन करने का निर्णय लिया और इस विषय पर व्यापक साहित्य समीक्षा की. फिर हमने 280 मिलीलीटर कॉफी तैयार करने के चार तरीकों की तुलना करके कॉफी के कार्बन उत्सर्जन को मापा, यानी : 1) पारंपरिक फिल्टर कॉफी (25 ग्राम कॉफी) 2) एनकैप्सुलेटेड फिल्टर कॉफी (14 ग्राम कॉफी) 3) ब्रूड कॉफी (फ्रेंच प्रेस)) (17 ग्राम कॉफी) 4) घुलनशील कॉफी (12 ग्राम कॉफी), जिसे इंस्टैंट कॉफी भी कहा जाता है.

हमारे विश्लेषण से यह स्पष्ट रूप से पता चला कि पारंपरिक फिल्टर कॉफी में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है, मुख्यतः क्योंकि कॉफी की मात्रा का उत्पादन करने के लिए अधिक मात्रा में कॉफी पाउडर का उपयोग किया जाता है. यह प्रक्रिया पानी को गर्म करने और उसे गर्म रखने के लिए अधिक बिजली की खपत भी करती है.

ये भी पढ़ें : कम उम्र में शारीरिक संबंध लड़कियों के लिए है बड़ा खतरा, बस छोटा-सा ये काम बचाएगा आपकी जान

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jan 8, 2023, 11:01 PM IST
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