बगहा: वाल्मीकिनगर स्थित जल संसाधन विभाग के ऊपरी शिविर 3 नम्बर पहाड़ निवासी अरुण कुमार को अपने घर की सफाई करने के दौरान पहाड़ी कछुआ मिला. कछुआ को अरुण ने वन विभाग के हवाले कर दिया गया है. बता दें कि यह उस प्रजाति का कछुआ है जो शुद्ध शाकाहारी होता है और उसे पानी से बैर है.
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वाल्मीकिनगर में मिला दुर्लभ प्रजाति का कछुआ: अरुण कुमार ने बताया कि कछुआ मिलने की जानकारी वन विभाग को दी गई, जिसके बाद वनकर्मी गजेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे और कछुए को उनके सुपुर्द कर दिया गया. वन विभाग ने मेडिकल जांच के बाद कछुआ को वीटीआर कक्ष संख्या एक के जंगलों में सुरक्षित छोड़ दिया.
"कैंपस में साफ सफाई के दौरान यह कछुआ मिला. घास के बीच में था. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को जानकारी दी गई जिसके बाद टीम कछुए को लेकर चली गई."- अरुण कुमार, ग्रामीण
पीले रंग के इस कछुए को कहते हैं 'पार्वती': नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड सोसायटी (न्यूज़) के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि इस प्रजाति का कछुआ पहाड़ी के ढलानों पर वास करता है और यह शुद्ध शाकाहारी जीव होता है. यह एलोंगेटेड हिल टर्टल प्रजाति का है जिसे लोकल बोली में पार्वती कह कर पुकारा जाता है.
"पहाड़ों पर वास करने पर इसे पार्वती नाम दिया गया है, जो पूर्णरूपेण जमीन पर ही रहता है. यह पानी की बजाय जमीन पर ही रहता है क्योंकि इसे पानी से बैर है. पानी में वास करने पर इसकी मौत की संभावना रहती है. अक्सर ये पहाड़ों की ढलानों पर पाए जाते हैं."- अभिषेक, प्रोजेक्ट मैनेजर,नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड सोसायटी
तीन प्रजाति के पाए जाते हैं कछुए: बता दें कि कछुए अमूमन तीन प्रजाति के होते हैं. पहला समुंद्री खारे पानी मे पाया जाता है जिसके पंजे नहीं होते हैं बल्कि स्लीपर्ज होते हैं. ये सिर्फ समुंदर के पानी मे पाए जाते हैं. दूसरे प्रजाति के कछुए मीठे पानी मे पाए जाते हैं जिनके पंजे बत्तख के पंजों के समान होते हैं, जो पानी और जमीन दोनों ही जगहों पर पाए जाते हैं. उपर्युक्त दोनों प्रजाति के कछुए सर्वाहारी होते हैं.
यह कछुआ शुद्ध शाकाहारी : तीसरे प्रजाति के कछुए सिर्फ जमीनों पर ही पाए जाते हैं और ये शुद्ध शाकाहारी जीव होते हैं. बता दें कि कछुओं की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. इन कछुओं के अंगों का उपयोग यौन वर्धक दवाइयां बनाने समेत अन्य दवाइयों के तौर पर किया जाता है.
दुर्लभ कछुए के लिए चुकाई जाती है अधिक कीमत: गांव-देहात और जंगलों से महज 100 से 500 रुपये में खरीदा जाने वाला कछुआ प्रजाति विशेष के हिसाब से बांग्लादेश में 2000 से 10,000 रुपये में आसानी से बिक जाता है. जानकारी के अनुसार दुर्लभ तिलकधारी कछुओं की एक-एक पीस के लिए सवा लाख रुपये तक मिल जाते हैं.