पश्चिमी चंपारण (बगहा): पश्चिमी चंपारण जिला में सुशासन की सरकार में सरकारी योजनाओं में लूट की ऐसी छूट मची है कि मुर्दे भी मजदूरी कर मेहनताना की राशि उठाते हैं और बाढ़ से लबालब गड्ढे भी सरकारी मुलाजिमों की कृपा से तालाब की श्रेणी में आ जाते हैं. साथ ही साथ पोखर खुदाई की राशि भी निर्गत कर दी जाती है.
मुर्दे करते हैं मनरेगा में मजदूरी
मरे हुए लोग काम भी कर रहे और पैसे भी उठा रहे. ये हम नहीं कह रहे हैं. ये तो मनरेगा के रिकॉर्ड में है. दरअसल गण्डक दियारा पार सुदूरवर्ती ठकराहां प्रखण्ड से ऐसा ही मामला सामने आया है. जगीरहा पंचायत अंतर्गत भतहवा गांव निवासी स्वर्गीय जलेबी देवी के पति हरिहर यादव बताते हैं कि इनकी पत्नी की मृत्यु 12 दिसम्बर 2019 को ही हो गई है. बावजूद मनरेगा अंतर्गत उनको सरकारी आंकड़ों में फरवरी और मार्च तक 15-15 दिनों तक मजदूरी करते दिखाया गया है.
जॉब कार्ड न होने पर भी किया जा रहा भुगतान
इतना ही नहीं हरिहर यादव के नाम न तो जॉब कार्ड है और ना ही उन्होंने मजदूरी की है. लेकिन उनके नाम पर भी भुगतान हुआ है. जिनके पास जॉबकार्ड है उन्हें काम नहीं दिया जा रहा.
गड्ढे बन गए सरकारी तालाब...निर्गत हो गई राशि
प्रखण्ड में यदि सरकार अपनी योजनाओं की जांच करा दे तो करोड़ो रुपयों की हेराफेरी सामने आएगी. जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की मानें तो कोइरपट्टी पंचायत के मलाही टोला अंतर्गत एक कच्ची सड़क के ईंटकरण के नाम पर दो-दो बार राशि निर्गत की गई है. बाढ़ के पानी से डूबे गड्ढे को सरकारी तालाब दिखाकर उसके खुदायी के नाम पर राशि निर्गत कर दी गई है. और यह सब कुछ सरकारी अधिकारियों, कर्मियों और स्थानीय रसूखदारों की मिलीभगत से हुआ है.
सवाल सुन भाग खड़े हुए मनरेगा पदाधिकारी
इस प्रखण्ड में ऐसे कई मामले हैं जहां जमकर लूट खसोट की गई है. मनरेगा में तो कई दिव्यांग और अचलस्थ बुजुर्गों के नाम पर मजदूरी की राशि का बंदरबांट हुआ है. इन सभी मामलों पर जब मनरेगा पदाधिकारी जियाउद्दीन से बात करने की कोशिश की गई तो वो कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आये.
एसडीएम ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
वहीं एसडीएम शेखर आनंद ने सिर्फ इतना कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है. इसको लेकर वे समीक्षात्मक बैठक करेंगे. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि जनता के हित में लागू की गई इन योजनाओं में लूट खसोट के लिए जिम्मेदार सरकारी मुलाजिमों पर कार्रवाई होती भी या नहीं.