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PM के आह्वान पर आत्मनिर्भर बनी लालसा, कई महिलाओं के साथ मिलकर कर रही ये काम - Example of Atmanirbharta

बिहार की वो महिलाएं जो कभी अपने पति के नाम से जानी जाती थी, जिनकी अपनी कोई पहचान नहीं थी आज उन महिलाओं ने तरक्की की एक नई इबारत लिखी है. इन्हीं महिलाओं में से एक हैं बेतिया के मझौलिया प्रखंड की रहनेवाली लालसा देवी. लालसा देवी ने कड़ी मेहनत से ना सिर्फ अपनी तकदीर बदली बल्कि कई महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं.

lalsa devi success story from bettiah
lalsa devi success story from bettiah
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Published : Apr 5, 2021, 1:51 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 1:57 PM IST

पश्चिम चंपारण(बेतिया): आज लालसा किसी पहचान की मोहताज नहीं है. कोरोना और लॉकडाउन ने जब सभी की जिंदगी बदल दी. बाहर काम कर रहे लोगों को काम छोड़ घर वापसी करनी पड़ी तो उन्हें में से एक लालसा और उनका परिवार भी था. लेकिन अपनी सूझ बूझ से लालसा देवी ने स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत की लालसा देवी आज दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही है.

lalsa devi success story from bettiah
अगरबत्ती बनाकर लालसा बनीं आत्मनिर्भर

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा बिहार का यह गांव

लालसा चडीगढ़ में बेचती थी सब्जी
लालसा देवी अपने पति के साथ चंडीगढ़ में सब्जी बेचने का काम करती थी. लॉकडाउन में रोजगार छिन गया और लालसा देवी अपने घर चली आई. अपने घर लौटी भूमिहीन, गरीब और कम पढ़ी लिखी लालसा देवी के परिवार के पास रोजगार का कोई साधन नहीं बचा था.

lalsa devi success story from bettiah
लॉकडाउन ने बदल दी लालसा देवी की जिंदगी

'लॉकडाउन में जब घर वापसी हुई तो परिवार के पास कुछ नहीं था. मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं और ना ही मेरे पति पढ़े हैं. तीन बच्चे हैं सब की परवरिश कैसे हो इसकी चिंता मुझे सताने लगी. तभी लॉकडाउन के दौरान मोदी जी ने आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र दिया. इस बीच मोबाइल देख रही थी और उसी में अगरबत्ती का व्यवसाय देखी. कम लागत में व्यवसाय चलाने की लालसा हो गई और मैं मुजफ्फरपुर चली गई. वहां 7 दिन रह कर एक फैक्ट्री में अगरबत्ती बनाने का हुनर भी सीखा, और वापस आकर मैंने उद्यम शुरू किया.'- लालसा देवी, उद्यमी

lalsa devi success story from bettiah
चारों ओर फैल रही बेतिया की अगरबत्ती की खुशबू

अगरबत्ती बनाने वाली फैक्ट्री में किया काम
इसी बीच लालसा देवी ने मोबाइल पर अगरबत्ती का व्यवसाय देखा और उसने देखा कि कम लागत में अगरबत्ती बना बेचने से ज्यादा फायदा है. लालसा देवी मुजफ्फरपुर गई और सात दिन तक अगरबत्ती बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया और अगरबत्ती बनाने का हुनर सीख गई.

lalsa devi success story from bettiah
लालसा देवी ने दिया कई महिलाओं को रोजगार

'आज मैं दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हूं. मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं. पति मेरे काम में हाथ बढ़ाते हैं. मेरा यह उद्योग और भी आगे बढ़ जाता लेकिन मेरे पास पूंजी का अभाव है. अगर सरकार मुझे आर्थिक मदद करें तो यह व्यवसाय और आगे बढ़ेगा.'- लालसा देवी, उद्यमी

स्वयं सहायता समूह से लिया ऋण
अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद लालसा देवी अपने गांव आई. स्वयं सहायता समूह से ऋण लिया और लगभग तीन लाख की लागत से अगरबत्ती बनाने वाली छोटी सी फैक्ट्री लगा ली. जिसमें अगरबत्ती बनाने के काम में लालसा के साथ ही कई और महिलाएं भी लगी हुईं हैं.

lalsa devi success story from bettiah
250 से 300 पैकेट अगरबत्ती प्रतिदिन की जाती है तैयार

'लॉकडाउन के बाद लालसा देवी ने अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया. हम लोग भी यहां काम करते हैं. पैसे की दिक्कत रहती थी. तो यहां काम कर रहे है. रोज का डेढ़ सौ दौ सौ मिल रहा है.'- कामिनी देवी, मजदूर

30 से 40 हजार महीने की कमाई
आज लालसा देवी महीने में 30 से 40 हजार महीने का कमा आ रही है. इतना ही नहीं लालसा देवी आसपास के 6 महिलाओं को भी काम पर रखी हुई है. जिन्हें अगरबत्ती पैक करना होता है. उन्हें प्रतिदिन 150 रुपये मजदूरी देती है. 6 महिलाओं के बीच 900 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देती है. महीने में लगभग 27 से 30 हजार मजदूरी देने के बाद 25 से 30 हजार लालसा देवी कमा रही हैं.

lalsa devi success story from bettiah
रोज का 150 से 200 तक कमा रही हैं महिलाएं

'हमलोग लालसा देवी का काम करते हैं. अगरबत्ती बनाने का काम करवाती है. अगरबत्ती भरने का काम है जिसमें डेढ़ सौ रूपये मिलते हैं.'-सुनीता देवी, मजदूर

घर में ही फैक्ट्री
लालसा देवी अपने चार कमरों वाले घर में ही अगरबत्ती बनाने का काम करती हैं. इन्हीं कमरों में अगरबत्ती का काम भी होता है और इन्हीं कमरों में लालसा देवी का परिवार भी रहता है. लालसा देवी और उनके साथ काम कर रही महिलाएं पूरी लगन से अगरबत्ती बनाती हैं.

आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही लालसा
लालसा के इस छोटे सी फैक्ट्री में 250 से 300 पैकेट अगरबत्ती प्रतिदिन तैयार की जाती है. जो 55 रुपये प्रति पैकेट बिकता है. लालसा देवी की अगरबत्ती बेतिया, सरिसवा बाजार सहित नरकटियागंज तक मार्केट में बिक रही है. आज लालसा देवी अपने पति धनेश साह और तीन बच्चों के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही है. बस उसे थोड़ी सी सरकारी सहायता की जरूरत है. जिससे वह अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ा सके. लालसा देवी की लालसा और पीएम मोदी के दिये मूल मंत्र 'आत्मनिर्भरता' ने पूरे परिवार के साथ ही गांव की दूसरी महिलाओं की भी तकदीर बदल दी है.

यह भी पढ़ें- मशरूम से उत्पाद बनाकर बेच रहीं महिलाएं, आत्मनिर्भर होने के साथ दूसरों को दे रहीं काम

पश्चिम चंपारण(बेतिया): आज लालसा किसी पहचान की मोहताज नहीं है. कोरोना और लॉकडाउन ने जब सभी की जिंदगी बदल दी. बाहर काम कर रहे लोगों को काम छोड़ घर वापसी करनी पड़ी तो उन्हें में से एक लालसा और उनका परिवार भी था. लेकिन अपनी सूझ बूझ से लालसा देवी ने स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत की लालसा देवी आज दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही है.

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अगरबत्ती बनाकर लालसा बनीं आत्मनिर्भर

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा बिहार का यह गांव

लालसा चडीगढ़ में बेचती थी सब्जी
लालसा देवी अपने पति के साथ चंडीगढ़ में सब्जी बेचने का काम करती थी. लॉकडाउन में रोजगार छिन गया और लालसा देवी अपने घर चली आई. अपने घर लौटी भूमिहीन, गरीब और कम पढ़ी लिखी लालसा देवी के परिवार के पास रोजगार का कोई साधन नहीं बचा था.

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लॉकडाउन ने बदल दी लालसा देवी की जिंदगी

'लॉकडाउन में जब घर वापसी हुई तो परिवार के पास कुछ नहीं था. मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं और ना ही मेरे पति पढ़े हैं. तीन बच्चे हैं सब की परवरिश कैसे हो इसकी चिंता मुझे सताने लगी. तभी लॉकडाउन के दौरान मोदी जी ने आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र दिया. इस बीच मोबाइल देख रही थी और उसी में अगरबत्ती का व्यवसाय देखी. कम लागत में व्यवसाय चलाने की लालसा हो गई और मैं मुजफ्फरपुर चली गई. वहां 7 दिन रह कर एक फैक्ट्री में अगरबत्ती बनाने का हुनर भी सीखा, और वापस आकर मैंने उद्यम शुरू किया.'- लालसा देवी, उद्यमी

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चारों ओर फैल रही बेतिया की अगरबत्ती की खुशबू

अगरबत्ती बनाने वाली फैक्ट्री में किया काम
इसी बीच लालसा देवी ने मोबाइल पर अगरबत्ती का व्यवसाय देखा और उसने देखा कि कम लागत में अगरबत्ती बना बेचने से ज्यादा फायदा है. लालसा देवी मुजफ्फरपुर गई और सात दिन तक अगरबत्ती बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया और अगरबत्ती बनाने का हुनर सीख गई.

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लालसा देवी ने दिया कई महिलाओं को रोजगार

'आज मैं दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हूं. मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं. पति मेरे काम में हाथ बढ़ाते हैं. मेरा यह उद्योग और भी आगे बढ़ जाता लेकिन मेरे पास पूंजी का अभाव है. अगर सरकार मुझे आर्थिक मदद करें तो यह व्यवसाय और आगे बढ़ेगा.'- लालसा देवी, उद्यमी

स्वयं सहायता समूह से लिया ऋण
अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद लालसा देवी अपने गांव आई. स्वयं सहायता समूह से ऋण लिया और लगभग तीन लाख की लागत से अगरबत्ती बनाने वाली छोटी सी फैक्ट्री लगा ली. जिसमें अगरबत्ती बनाने के काम में लालसा के साथ ही कई और महिलाएं भी लगी हुईं हैं.

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250 से 300 पैकेट अगरबत्ती प्रतिदिन की जाती है तैयार

'लॉकडाउन के बाद लालसा देवी ने अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया. हम लोग भी यहां काम करते हैं. पैसे की दिक्कत रहती थी. तो यहां काम कर रहे है. रोज का डेढ़ सौ दौ सौ मिल रहा है.'- कामिनी देवी, मजदूर

30 से 40 हजार महीने की कमाई
आज लालसा देवी महीने में 30 से 40 हजार महीने का कमा आ रही है. इतना ही नहीं लालसा देवी आसपास के 6 महिलाओं को भी काम पर रखी हुई है. जिन्हें अगरबत्ती पैक करना होता है. उन्हें प्रतिदिन 150 रुपये मजदूरी देती है. 6 महिलाओं के बीच 900 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देती है. महीने में लगभग 27 से 30 हजार मजदूरी देने के बाद 25 से 30 हजार लालसा देवी कमा रही हैं.

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रोज का 150 से 200 तक कमा रही हैं महिलाएं

'हमलोग लालसा देवी का काम करते हैं. अगरबत्ती बनाने का काम करवाती है. अगरबत्ती भरने का काम है जिसमें डेढ़ सौ रूपये मिलते हैं.'-सुनीता देवी, मजदूर

घर में ही फैक्ट्री
लालसा देवी अपने चार कमरों वाले घर में ही अगरबत्ती बनाने का काम करती हैं. इन्हीं कमरों में अगरबत्ती का काम भी होता है और इन्हीं कमरों में लालसा देवी का परिवार भी रहता है. लालसा देवी और उनके साथ काम कर रही महिलाएं पूरी लगन से अगरबत्ती बनाती हैं.

आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही लालसा
लालसा के इस छोटे सी फैक्ट्री में 250 से 300 पैकेट अगरबत्ती प्रतिदिन तैयार की जाती है. जो 55 रुपये प्रति पैकेट बिकता है. लालसा देवी की अगरबत्ती बेतिया, सरिसवा बाजार सहित नरकटियागंज तक मार्केट में बिक रही है. आज लालसा देवी अपने पति धनेश साह और तीन बच्चों के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही है. बस उसे थोड़ी सी सरकारी सहायता की जरूरत है. जिससे वह अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ा सके. लालसा देवी की लालसा और पीएम मोदी के दिये मूल मंत्र 'आत्मनिर्भरता' ने पूरे परिवार के साथ ही गांव की दूसरी महिलाओं की भी तकदीर बदल दी है.

यह भी पढ़ें- मशरूम से उत्पाद बनाकर बेच रहीं महिलाएं, आत्मनिर्भर होने के साथ दूसरों को दे रहीं काम

Last Updated : Apr 5, 2021, 1:57 PM IST
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