बगहा: इंडो नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज नियंत्रण कक्ष से इस मानसून सत्र का सर्वाधिक 3 लाख 14 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नदी किनारे बसे लोग दहशत में हैं. उफनती गंडक नदी की हिलोरें उन्हें रात में सोने नहीं दे रही है. साथ ही दियारा में उनकी फसल भी डूब गई है. लिहाजा किसान चिंतित हैं.
गंडक में उफान..आफत में जान: बता दें कि नेपाल में भारी बारिश के बाद वाल्मीकिनगर गंडक बराज से आज इस मानसून सत्र में सर्वाधिक 3 लाख 14 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के साथ ही नदी में उफान आ गया है. बगहा शहर के आनंदनगर और पारसनगर में नदी किनारे बसे लोग अब महफूज जगह पर बसाने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि जब से गंडक नदी का जलस्तर बढ़ा है तबसे रात में पानी की आवाज उन्हें सोने नहीं दे रही है.
"हमें कहीं भी रहने के लिए शरण नहीं दिया जा रहा है. गंगा जी ने घर खेत सब लील लिया है. पानी बढ़ गया है, डर लग रहा है. नींद नहीं आ रही है."- सवारी देवी, पीड़ित
'डर से नींद नहीं आती': ग्रामीणों का कहना है कि डर के कारण सभी रात भर जगते रहते हैं. यहां तक कि बच्चे भी रात जागरण कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कटावरोधी कार्य भले ही हुआ हो लेकिन पानी उसके ऊपर तक चढ़ गया है. घरों के पीछे तक पानी हिलोरे मार रहा है.
"रात को हम सब सोते नहीं हैं. डर लगता है कि कहीं सुबह पानी और ऊपर चढ़ा तो पता नहीं बच्चे मिलेंगे या नहीं. पानी में बह गए तो हम कहां ढूंढेंगे. सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है. पानी की आवाज रात को सुनकर बच्चे डर रहे हैं."- कृष्णावती देवी, आनंदनगर गांव, निवासी
"गंगा जी ने सबकुछ लील लिया है, हमलोग दाने दाने को मोहताज हो गए हैं. ना जमीन है ना रहने का ठिकाना है. हमलोगों की हालत काफी खराब है. रहने के लिए जगह मिले तो हम चले जाते. सरकार ने कटाव रोधी कार्य कराए तो लेकिन फिर भी पानी चढ़ रहा है."- कृष्णावती देवी, पीड़ित
दियारा इलाके में फसल बर्बाद: इतना ही नहीं यहां बसे लोगों का दियारा में खेती बाड़ी भी है, लेकिन नदी के बढ़े हुए जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने नाव परिचालन पर पाबंदी लगा दी है. यही वजह है कि किसान अपने खेतों की तरफ नहीं जा पा रहे हैं. किसानों का कहना है की उनकी खेती दियारा में है और जब पानी बढ़ा है तो पूरी फसल गंडक नदी के पानी से डूब गयी है. नतीजतन इस बार फसलें बर्बाद हो जाएंगी जिसकी चिंता अलग सता रही है.
"दियरा में खेती है. नाव बंद है हम नहीं जा पा रहे हैं. सारी फसल डूब गई. धान और गेंहू की फसल बर्बाद हो गई."- दीनबंधु , किसान दियारा
अलर्ट पर प्रशासन: एहतियातन बराज के सभी 36 फाटक उठा दिए गए हैं और 24 घंटे 3 शिफ़्ट में ऑटोमेटिक व मैनुअल तरीके से पल पल सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी मॉनिटरिंग की जा रही है. बता दें कि गंडक दियारावर्ती व मैदानी इलाकों में नदी का पानी तेजी से फैल रहा है और दियारा समेत सारण व गोपालगंज में भी एक बार फिर यह पानी तबाही मचा सकती है.
बांधों की 24 घंटे की जा रही निगरानी: नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद गण्डक नदी में उफान आ गया है. नदी तट पर कराए गए फ्लड फाइटिंग कार्यों के बावजूद ज़िला प्रशासन और जल संसाधन विभाग की ओर से बांधों की 24 घंटे सतत निगरानी की जा रही है. नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव के बाद कभी बाढ़ तो कभी कटाव की समस्या उत्पन्न हो रही है जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
मंत्री संजय झा ने दिया था ये आश्वासन: बता दें कि जल संसाधन मंत्री संजय झा ने पिछले महीने बगहा के इसी प्वाइंट पर निरीक्षण किया था और कहा था कि शहर को बाढ़ और कटाव से बचा लिया जाएगा. किसी तरह के चिंता की बात नहीं है. ऐसे में यदि गंडक नदी का जलस्तर बढ़ता है तो देखने वाली बात यह होगी की बगहा को शासन और प्रशासन कितना सुरक्षित रख पाता है.