पश्चिम चंपारण: देश की आजादी के 73 वर्ष से अधिक समय बीत गया है. प्रदेश से लेकर केन्द्र सरकार तक विकास का तैयार रोड मैप दिखाकर वोट मांग रही है. सरकार की ओर से तो गांवों को भी डिजिटल बनाने की बात हो रही है, लेकिन अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़क नहीं है. इस गड्ढों में तब्दील कच्ची सड़क से ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ता है.
पश्चिम चंपारण के सिकटा प्रखंड के धनकुटवा पंचायत के ग्रामीण जनसहयोग से सड़क का निर्माण कर रहे हैं. जब किसी ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने खुद कुदाल उठाया और सड़क के निर्माण कार्य में लग गए. उनका कहना है कि बाढ़ में क्षतिग्रस्त सड़क का निर्माण सरकारी कोष से नहीं हुआ. चार महीनों से गांव के लोग शासन और प्रशासन से फरियाद करते रहे. लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी. इसके बाद जनसहयोग से चंदा इकट्ठा कर हमने इस सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया.
ग्रामीणों ने किया सड़क निर्माण
सिकटा प्रखंड के धनकुटवा पंचायत के नरकटिया गांव के करीब 3 किलोमीटर तक ग्रामीणों ने सड़क का निर्माण किया है. ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर पहले जेसीबी की मदद से सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया और जब पैसा खत्म हो गए तो उन्होंने खुद कुदाल उठाया और सड़क के निर्माण कार्य में लग गए.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि अगस्त महीने में लगातार तीन बार बाढ़ आया, जिसमें नरकटिया गांव चारों तरफ से घिर गया था. बाढ़ की समाप्ति के बाद किसानों को गन्ना हरिनगर चीन मील में भेजने में काफी परेशानी होने लगी. उन्होंने लगातार शासन व प्रशासन से गुहार लगाई. लेकिन सरकारी कोष से सड़क का निर्माण व मरम्मती नहीं हुआ. इधर चीनी मिल में गन्ना की पेराई भी शुरू हो गई थी. काफी इंतजार के बाद किसानों ने थक हार कर खुद ही सड़क मरम्मती का बेड़ा उठा लिया और जनसहयोग से चंदा इकट्ठा कर क्षतिग्रस्त सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया.