बेतिया(वाल्मीकिनगर): पिपरासी प्रखंड स्थित सिसकारी सरेह में पिछले एक सप्ताह से एक बाघ डेरा जमाये हुए है. लेकिन अभी तक वन विभाग बाघ को पकड़ने या जंगल की तरफ खदेड़ने में सहयोग नहीं कर रहा है. इसे लेकर किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है. वही बाघ के लगातार चहलकदमी के कारण किसानों की खेती का काम प्रभावित हो रहा है.
सिसकारी सरेह में डेरा जमाये है बाघ
बुधवार को देर शाम सिसकारी सरेह में गन्ना की छिलाई कर रहे लोगों ने पास के खेत में बाघ के गुर्राने की आवाज सुनी. इसके बाद उन्हें अपना काम छोड़कर जाना पड़ा. इसे लेकर किसानों ने वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से बाघ सरेह में मौजूद है. लोगों ने बताया कि इसकी जानकारी वन विभाग को देने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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चलाया सर्च अभियान
ग्रामीणों ने खुद बाघ को खदेड़ने का जिम्मा उठा लिया है. इसे लेकर गुरुवार को दर्जनों किसानों ने लाठी डंडे और भाला आदि लेकर खेतों में सर्च अभियान चलाया. ग्रामीणों ने बताया कि सभी किसान हैं, हमलोगों की खेती दियारा में ही है. खेती से ही आजीविका चलती है. बाघ के डर से खेती के काम के साथ मजदूरों का भी काम बंद हो गया है.
वन विभाग को किया सूचित
किसानों ने बताया कि अगर जल्द इस तरफ पहल नही होती है तो हम लोग प्रखंड मुख्यालय पर धरना देंगे. वही प्रमुख यशवंत नारायण यादव ने बताया कि ग्रामीणों ने उन्हें भी सूचना दी है. उन्होंने वन विभाग को सूचित कर दिया है.